सोमवार, 15 अक्तूबर 2018

माँ दुर्गा उपासना का माहौल और मी टू अभियान की गूँज

इन दिनों देश में नारी शक्ति की प्रतीक समझी जाने वाली देवी मां दुर्गा की उपासना हो रही है और इसी समय नारी का एक तबका यौन शोषण के मामले पर एकजुट हो रहा है। इन्हीं यौन शोषण के मामलों को उजागर करने के लिए अमेरिका में नाम से शुरू हुआ अभियान दुनिया के अन्य देशों में होता हुआ भारत में भी आया है। एक फिल्म अभिनेत्री के बयान से शुरू हुआ यह किस्सा भारत में इन दिनों सुर्खियां बना हुआ है। विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी स्त्रियां अपने साथ हुए यौन अत्याचार के ब्योरे दे रही हैं और कुछेक मामलों में दोषी को समाज से बहिष्कृत करने या उसे सजा देने की मांग भी कर रही हैं। इस तरह फिल्म, टीवी, मॉडलिंग, पत्रकारिता और साहित्य से लेकर राजनीति, समाजसेवा, व्यवसाय तक से जुड़े कई नामी-गिरामी चेहरों से पर्दा हट रहा है। स्त्रियों के हृदयविदारक किस्से समाज के असंवेदनशील एवं असभ्य होने को दर्शा रहे हैं। 
जहां पांव में पायल, हाथ में कंगन, हो माथे पे बिंदिया... इट हैपन्स ओनली इन इंडिया, जब भी कानों में इस गाने के बोल पड़ते हैं, गर्व से सीना चौड़ा होता है। लेकिन जब उन्हीं कानों में यह पड़ता है कि इन पायल, कंगन और बिंदिया पहनने वाली औरतों के साथ इंडिया के संभ्रांत एवं नामी-गिरामी चेहरे क्या करते हैं, उसे सुनकर सिर शर्म से झुकता है। पिछले कुछ दिनों में इंडिया ने कुछ और ऐसे मौके दिए जब अहसास हुआ कि फिल्मी दुनिया के साथ ही अन्य क्षेत्रों में यौन शोषण कितना पसरा हुआ है। ये बेहद चर्चित या फिर एक दायरे तक सीमित मामले सामने आए हैं वे तो महज बानगी भर हैं। यह सहज ही समझा जा सकता है कि यौन प्रताड़ना का शिकार हुई तमाम महिलाएं ऐसी होंगी जो अपनी आपबीती बयान करने का साहस नहीं जुटा पा रही होंगी। निःसंदेह यह #MeToo अभियान के प्रति भारतीय समाज के रुख-रवैये पर निर्भर करेगा कि यौन प्रताड़ना से दो-चार हुई महिलाएं भविष्य में अपनी आपबीती बयान करने के लिए आगे आती हैं या नहीं?  यौन-शोषण का आरोप लगाने से पहले महिलाओं को भी गंभीर होना होगा, क्योंकि अक्सर ऐसे मामलों में बदला लेने या अपने मन-माफिक न होने, या आर्थिक लाभ या अन्य लाभ के लिये झूठे आरोप भी लगाकर चर्चा में रहने की अनेक महिलाओं की मानसिकता होती है, ऐसी महिलाओं से इन आन्दोलन को नुकसान पहुंच सकता है। यह सावधानी एवं सतर्कता ही इस आन्दोलन को सार्थक एवं सफल बना सकती है। अब इसके लिये क्या किया जाना चाहिए, इस पर भी चिन्तन होना जरूरी है। कुछ मामलों में अपवाद भी हो सकता है जो स्त्री-पुरुष के सम्बन्धों के बीच अविश्वास पैदा करेगा। ऐसा होना भी एक बड़े असन्तुलन एवं इंसानी रिश्तों के बीच दूरियां पैदा कर देगा, जो अधिक घातक हो सकता है। स्त्री-पुरुष दोनों की रजामंदी से हुए यौन संबंध को अपने स्वार्थ के लिये 10-20 वर्ष बाद यौन-शोषण का नाम देना भी इस आन्दोलन की पवित्रता को धूमिल कर सकता है। ये ऐसे प्रश्न हैं जिन पर भी विचार किया जाना चाहिए। अभी तक फिल्म जगत से लेकर राजनीतिक व संगीत क्षेत्र में कार्यरत महिलाओं ने अपने उन पुराने सहयोगियों पर यौन शोषण के आरोप लगाए हैं जो अपने क्षेत्र के शीर्ष व्यक्तित्व हैं, हस्ती हैं। परन्तु इस प्रकार की घटनाओं को उजागर करने को हम यदि कोई महिला आंदोलन समझने की भूल करते हैं तो यह प्रतिभाशाली महिलाओं के लिये ही अंततः नुक्सानदायक हो सकता है और समूचे कार्य क्षेत्रों में महिला कर्मियों के लिए अनावश्यक रूप से सन्देह पैदा कर सकता है। महिलाओं को लेकर ऐसा सन्देह, भय या दूरी का माहौल न बने, बल्कि उनकी अस्मिता अक्षुण्ण रहे, यह सोचना है। नारी का पवित्र आँचल सबके लिए स्नेह, सुरक्षा, सुविधा, स्वतंत्रता, सुख और शांति का आश्रय स्थल बने ताकि इस सृष्टि में बलात्कार, गैंगरेप, नारी उत्पीड़न, यौन-शोषण जैसे शब्दों का अस्तित्व ही समाप्त हो जाए।
जो भी हो, यौन शोषण के हाल के जो मामले सामने आए हैं वे यही प्रकट कर रहे हैं कि अब महिलाएं चुप बैठने वाली नहीं हैं। वहशी एवं दरिन्दे लोग ही नारी को नहीं नोचते, समाज के तथाकथित ठेकेदार कहे जाने वाले और प्रतिष्ठित लोग भी नारी की स्वतंत्रता एवं अस्मिता को कुचलने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं, स्वतंत्र भारत में यह कैसा समाज बन रहा है, जिसमें महिलाओं की आजादी छीनने की कोशिशें और उससे जुड़ी यौन शोषण की त्रासदीपूर्ण घटनाओं ने बार-बार हम सबको शर्मसार किया है। मी टू अभियान नारी के साथ नाइंसाफी एवं यौन शोषण की स्थितियों पर आत्म-मंथन करने का है, उस अहं के शोधन करने का है जिसमें पुरुष-समाज श्रेष्ठताओं को गुमनामी में धकेल कर अपना अस्तित्व स्थापित करना चाहता है। 
प्रश्न है कि क्या उनकी मर्जी के खिलाफ नारी का यौन शोषण होता है? क्यों नारी के जिस्म को नोंचा जाता है ? किसी भी तरह से प्रभावपूर्ण स्थिति में पहुंच गए पुरुष यह मानकर चलते दिख रहे हैं कि उनके मातहत काम करने वाली कोई भी स्त्री उनकी यौन पिपासा की पूर्ति के लिए स्वाभाविक रूप से उपलब्ध है। अगर महिला आसानी से इसके लिए राजी नहीं होती तो वह लालच देकर या ताकत का इस्तेमाल करके अपनी ख्वाहिश पूरी करना चाहता है। वैसे यह बीमारी भारत जैसे सामंती मूल्यों वाले समाज में ही नहीं, विकसित और आधुनिक समझे जाने वाले अमेरिकी समाज में भी है। पिछले साल अमेरिका और यूरोप में चले  मी टू आन्दोलन ने हॉलीवुड समेत कई नामी-गिरामी दायरों को हिलाकर रख दिया था। अभिनेत्री एलिसा मिलानो ने प्रख्यात फिल्म निर्माता हार्वी वाइंस्टाइन पर यौन शोषण का आरोप लगाया था। इसके बाद तो कई अभिनेत्रियों ने अपनी पीड़ा बयान की।
इसी क्रम में यह हकीकत भी सामने आई कि स्त्री-पुरुष संबंधों के मामले में पुरुषों के दिमागी विसंगतियों एवं विकृतियों को दूर करने का काम आज भी पूरी दुनिया में बचा हुआ है। यह बड़ा काम है, जिसकी आवश्यकता भारत में ही नहीं, पूरी दुनिया में है। नारी का दुनिया में सर्वाधिक गौरवपूर्ण सम्मानजनक स्थान है। नारी धरती की धुरा है। स्नेह का स्रोत है। मांगल्य का महामंदिर है। परिवार की पीढ़िका है। पवित्रता का पैगाम है। उसके स्नेहिल साए में जिस सुरक्षा, शाीतलता और शांति की अनुभूति होती है वह हिमालय की हिमशिलाओं पर भी नहीं होती। सुप्रसिद्ध कवयित्रि महादेवी वर्मा ने ठीक कहा था- ‘नारी सत्यं, शिवं और सुंदर का प्रतीक है। उसमें नारी का रूप ही सत्य, वात्सल्य ही शिव और ममता ही सुंदर है। इन विलक्षणताओं और आदर्श गुणों को धारण करने वाली नारी फिर क्यों बार-बार छली जाती है, लूटी जाती है, यौन-शोषण की शिकार होती है। यह कहना कठिन है कि भारत में सहसा शुरू हुए अभियान का अंजाम क्या होगा, लेकिन महिलाओं को यौन शोषण से बचाए रखने वाले माहौल का निर्माण हर किसी की प्राथमिकता में होना चाहिए।

सोमवार, 11 मई 2015

विचार

  1. जब हम किसी को ख़ुशी नही दे सकते तो उन्हें दुख देने का भी कोई हक़ नही है ..!!
  2.  हमारे माता पिता द्वारा ये हमारा जीवन उधार में मिली है ..इस कर्ज को केवल उन्हें खुशियों देकर ही चुकाया जा सकता है ..!!
  3. प्यार जताने की नही प्यार को महसूस करना जरूरी होता है ..!
  4.  दर्द की सबसे अच्छी दवा मुस्कान (मुस्कराहट ) होती है !
  5. इन्सान कभी मुसीबत से नही हारता लेकिन जब उसके अपने इस कठिन समय में इक-इक कर साथ छोड़ते जाते है तो वह कमजोर पड़ने लगता है और अन्त में उसकी हार निश्चित हो जाती है ..! 
  6.  तस्वीर में कोई खराबी नही होती है देखने वालों के मन में खराबी होती है ....!
  7.  दोस्ती हमेशा दिल से करें, दिमाग से नही क्यूंकि जो दिमाग से दोस्ती की जाती है उसमे स्वार्थ छिपा होता है ..!!
  8. समय गति के साथ साथ हम अपनी जिन्दगी में कुछ ना कुछ तजुर्बा हासिल करते रहते है ..तजुर्बा पाने का कोई शार्ट कट साधन नही है ..!!
  9. रिश्तो में विश्वास भले ही कम हो जायें लेकिन अधिकार तो हमेशा बने रहते है ..!!
  10. जब आप किसी का दिल से सम्मान करते है तो बदले में उतने ही प्यार से सम्मान आपको भी वापिस मिल जाता है..!!
  11. आप अपने किसी खास विश्वासी ब्यक्ति पर भी हद से ज्यादा विश्वास न करे, क्योंकि विश्वास में भी विष होता है, जिसका विष साँप के विष से अधिक जहरीला होता है ...!!
  12. दुःख और परिश्रम मानव जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है क्यूकि दुःख के बिना हृदय निर्मल नहीं होता और परिश्रम के बिना मनुष्य का विकास नहीं होता..!!
  13.  मित्रता हमेशा एक अच्छी जिम्मेदारी हो सकती है लेकिन एक मौका कभी नहीं हो सकती..!!
  14.  एक अच्छा दिमाग और एक अच्छा दिल का मेल, हमेशा बिजय का ही स्वाद देता है !!
  15.  जब आप किसी के गलतियों पर गुस्सा करते है तो आप सदैव अपने आप को ही सजा देते है...!
  16. दिल में आने का रास्ता तो होता है पर जाने का नही, इसलिए जब कोई दिल से जाता है तो दिल तोड़ कर ही जाता है ..!!
  17. सच्ची मोहब्बत जेल की तरह होती है, जिसमे उम्र बीत जाती है पर सजा पूरी नही होती..!!
  18.  महिलाएं उन पुरुषों को बेहद पसंद करती हैं, जो उन्हें रिसपेक्ट देते हैं..इसलिए आप सभी से नम्र निवेदन है स्त्री का सम्मान करे ...!!
  19. अंग्रेजी भाषा न जानने का जितना दुःख नही मुझे ,उससे कही ज्यादा हिन्दी भाषा जानने पर गर्व है, क्योंकि हिन्दी भाषा हमारी मातृभाषा है ..!! 
  20.  हमारे लिए दोस्त वही अनमोल होते है जिनके विचार सुन्दर होते है जैसे पत्थरों के ढेर में से सभी पत्थरे नही पूजे जाते है ..!
  21.  हमारे जीवन में होने वाले बिभिन्न क्रियाओ एवम घटनाओ से हम कुछ न कुछ सीखते रहते है इसलिए हम कह सकते है कि हमारा जीवन २४*७ चलने वाला पाठशाला है ..!
  22.  गलत लोगो के संगती से फर्क नही पड़ता, फर्क पड़ता है तो उनके गलत मानसिकता से ..!
  23.  हमारे जीवन में होने वाले बिभिन्न क्रियाओ एवम घटनाओ से हम कुछ न कुछ सीखते रहते है इसलिए हम कह सकते है कि हमारा जीवन २४*७ चलने वाला पाठशाला है ..!
  24.  यदि हमारा जीवन का डगर समस्याओ से अस्त-ब्यस्त है तो इस डगर को पार करने की देर है ..उसपार खुशियाँ आपना आँचल फैलाये इंतज़ार कर रही होती है ...!
  25.  मनुष्य साहसपूर्ण ढंग से किसी भी समस्या,दुःख का निदान कर सकता है ..!
  26.  परिस्थिति जब हमारे खिलाफ़ हो जाये तो हमे शांति और समझदारी से काम लेना चाहिए ..!
  27.  यदि कभी आपकी आशा निराशा में बदल गयी हो तो मायूश होने के बजाय पुन: मन में नये आशाएं जागृत करने की आवश्यकता है ...मन की इच्छाए और आशाएं कभी मरने नही चाहिए ..!
  28.  यदि किसी सामूहिक समस्या का हल चाहिए तो हमेशा सामने वालो को भी सोचने का समय दे !
  29.  उन सज्जनों और देविओं की उम्र और ओहदा सब बेकार है जिन्हने अपने अनुभव को अपने तक ही सिमित रखा है ...!
  30.  अच्छी बातें करने वाले को लोगो के सत्कार और झिझकार दोनों का सामना करना होता है, जहाँ सत्कार से आप ख़ुश होते है वही झिझकार से कभी मायूस न हो ..!
  31.  मै छोटे की भी इज्ज़त करती हूँ और बड़ो की भी मेरे लिए उनका उम्र नही चरित्र (ब्यवहार) मायने रखता है ..!
  32.  प्यार का सिला उस गुलाब के पौधे से सीखिए जो अपने जमीं पर रहते हुए नाज़ुक कलि को सराखो पर रखता है ....!
  33.  हमे एक उद्देश्य निर्धारित करके उसे प्राप्त करने की कोशिश करते रहना चाहिए !
  34.  गुलाब के जैसे हम इंसानों की पहचान होनी चाहिए जैसे गुलाब जमीन से उठाकर फिर जमीन पर आ गिरे तब भी गुलाब ही कहलाती है ...!
  35. किसी ब्यक्ति को जानने के लिए अधिक दिन की नही बल्कि एक दिल की जरूरत होती है ...!
  36.  खुद के मनोरंजन के लिए साधन हर समय, हर वक्त हमारे पास मौजूद है हमे उसे क्रियान्वित करने की जरूरत है ...!
  37.  अच्छाई-बुराई मनुष्य के बिकास के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी का कार्य करती है ..!
  38.  मन के गहराइयों में जो भी डूबेगा वो विचार रूपी बाल्टी में कुछ न कुछ शब्द बाहर ले आएगा ..!
  39.  इतना ही बोलिए जितना की सुनने वाले को बुरा न लगे ...!
  40.  कुछ खूबसूरत चीजो को देखा या छुआ नही जा सकता केवल महसूस किया जाता है ...!
  41.  दिल तो प्रत्येक ब्यक्ति के पास होता है लेकिन दिलदार कोई कोई ही होता है ...!
  42. दिल उनका बड़ा होता है जिनमे दया ,प्रेम एवं क्षमा का वास होता है ...!
  43. अपने मन में अच्छे विचारो को ही जगह दे आपके सम्मान और बिकास के लिए उपयोगी सिद्ध होगा ..!
  44. मन में बदले का भावना, अहंकार बश उत्पन्न होता है ...!
  45. दिल की हर बात को अपने जुबान पर जल्दी नही लानी चाहिए,
    लेकिन दिल की अच्छी और सच्ची बात जुबान पर लाने में देर भी नही लगानी चाहिए ...!
  46. ईश्वर भी उसी ब्यक्ति का सहायता करते है जो अपने कार्यो के प्रति प्रयत्नशील रहता है ...!
  47. घबराते वे लोग है जिनको अपने उपर तनिक भी विश्वास नही होता है ...!
  48. इन्सान स्वार्थ ,फ़रेब ,धोखा,लालच रूपी जमीन पर दोस्ती का मजबूत और टिकाऊ माकन नही बना सकता...!
  49.  मधुर वाणी बोलने वाले ब्यक्ति के आस पास कभी भी दरिद्रता नही भटकती ..!
  50. सहानुभूति केवल हौसलाअफजाई नही करता बल्कि आपसी प्रेम को भी बढ़ता है ...!
  51. जो ख़्वाब आँखों को पीड़ा देते हो उन्हें नही देखना चाहिए ...!
  52. ये दुनियाँ ख़ूबसूरत हमको तभी दिखेगी जब हमारा मन ख़ूबसूरत होगा ..!
  53. प्रत्येक ब्यक्ति का सोच अपने ही दिमाग की उपज होती है उपर हमारा कोई प्रतिबन्ध नही होता ...!
  54.  फ्रस्ट्रेशन एक बुद्धिजीवी मनुष्य को क्षण भर के लिए ही सही लेकिन बुद्धिहीन बना ही देता है ...!
  55.  उस ब्यक्ति की दोस्ती ज्यादा दिन नहीं टिक सकती, जिसका दिल शुद्ध व पवित्र नहीं है..!
  56.  मीठे व बुद्धिमानी से प्रयोग किये गये शब्द चुम्बक की तरह लोगो का ध्यान आकर्षित करते है..!
  57.  आशीर्वाद दिल से निकलते है मुख केवल पुष्टि करता है ,,!
  58.  गधे को कितना भी चना क्यू न खिला दो वो घोड़ा नही बनता....! 
  59.  इस संसार में चाहे कोई कितना भी सुखी क्यू न हो लेकिन मन सुखी नही होता...!
  60.  हम चाहे तो जिन्दगी के हर क्षेत्र में समझौता करने की सोच सकते है लेकिन चरित्र के क्षेत्र में कभी भूलकर भी सोचना नही चाहिए ...!
  61.  व्याकरण की तरह जीवन में भी यह होता है कि अपवादों की संख्या नियमों से भी अधिक बढ़ जाती है....!
  62.  जो ब्यक्ति हमेशा दुसरो के भलाई की बातें करता है उसके मित्र एक नही अनेक होते है ...!
  63.  दिमाग उस नदी व तालाब की तरह होती है जिधर जल का प्रवाह होगा उधर ही बहने लगेगी ...!
  64.  जिसमे हमारा नुकसान नही उसे दुसरे को देने से परहेज कभी नही करना चाहिए ...! जैसे ज्ञान 
  65. किसी प्रतिष्ठित पद से ज्यादा प्रभावशाली मनुष्य का अपना चरित्र होता है ....!
  66.  एक विवेकशील ब्यक्ति कई बाहुबलियों से ज्यादा वलवान होता है..!
  67.  एक इन्सान में अदब तभी तक बना रहता है जब तक उसके दिल में दुसरे के लिए इज्ज़त होती है ..!
  68.  अज्ञानी ,मूर्खो की दोस्ती स्वं को कष्ट देती है ...क्योकि उसमे किसी तथ्य को समझने और उचित बोलने की क्षमता नही होती ...!
  69.  आप किसी नतीजे पर पहुचे उससे पहले सामने वालो को इत्तिलाह कर उसे भी सोचने/सफाई देने का समय दे... !
  70.  जो मनुष्य देखता है उसी को सत्य समझ बैठता है परन्तु कभी कभी वह पूर्णतया सत्य नही होता ...!

लव शायरी

दिल की बात कभी गलत नही होता यह मान लीजिये,
दिल लेफ्ट में होते हुए भी हमेशा राईट में होता है यह जान लीजिये ..!!


दिल का दिल से दीदार होता है धीरे धीरे
प्यार को प्यार से प्यार होता है धीरे धीरे .!

मोहबत के सफर में गुम हो गया है कोई
तुम मुझे ढूंढ ,मै तुझे ढूढ़ती हूँ ...!


क्यूँ माँगा तुमने दिल में थोड़ी सी जगह
 
 तुम तो सदा मेरे दिल में रहते हो ...!


मांग कर दिल में जगह पल में पराया कर दिया
अरे ! तुम तो सदा मेरे दिल में बसते हो ...!

 एक जमाना वो था मुहबब्त, बिन कारण हुआ करता
एक जमाना ये है, बिन कारण किसी से मुहब्बत नही होता ..!
( कारण - सूरत ,धन ,अमीरी-गरीबी ,पद , इत्यादि )


 नही होता दीदार उसका तो दिन रात क्यू तड़पती हूँ
नही है मेरे लिए क्या और कोई , उसी का रास्ता क्यू देखती हूँ ...!


 एक नज़र की आस में खुद रह जाओगे
इस तरह न देखो वरना देखते रह जाओगे
बेझिझक कह देना अपने दिल की बात वर्ना
सोचोगे तो जिन्दगी भर सोचते रह जाओगे...!

होंठो से तेरा होंठो को गीला कर दूँ
तेरे होंठो को में और भी अब रसीला कर दूँ
तू इस क़दर प्यार करे के प्यार की इन्तहा हो जाये
तेरे होंठो को चूस कर तुझे और भी जोशीला कर दूँ ..!

एक बार तो मुझे सीने से लगा ले
अपने दिल के सारे अरमान सजा ले
कब से है तड़प तुझे अपना बनाने की
आज तो मौका है मुझे अपने पास बुला ले..!

आपकी आदत है रूठ जाने की
मेरी फितरत नही किसी को मानाने की
पर मानाने को मजबूर कर देता है ये दिल
क्युकी ख़ुदा ने इजाजत नही दी आपका दिल दुखाने की..!

जब नगमे नही लिखे जाते
जब पैगाम नही भेजे जाते
ये मत समझना हम भूल गये आपको
ख्याल तो आता है बस अल्फाज नही मिल पाते ..!

उन्हें ये शिकायत है हमसे की
हम हर किसी को देखकर मुस्कुराते हूँ
जो ना समझ है वो क्या जाने
हमे तो हर चेहरे में वो नज़र आते है

तेरा प्यार ने ज़िन्दगी से पहचान करायी है
मुझे वो तूफानों से फिर लौटा के लायी है
बस इतनी ही दुआ करते है ख़ुदा से हम
बुझे ना ये शमा कभी जो हमने जलाये है ..!

प्यार की अनोखी मूरत हो तुम
ज़िन्दगी की एक ज़रूरत हो तुम
फूल तो खूबसूरत होते ही है
पर फूलो से भी खूबसूरत हो तुम

वो कहते है मजबूर है हम
न चाहते हुए भी दूर है हम
चुरा ली उन्होंने धडकने भी हमारी
फिर भी वो कहते है बे-कसूर है हम...!

बस मुझे आपका एक सलाम मिल जाये
सलाम के साथ एक पैगाम मिल जाये
खुस है आप मेरे बिना ये जानकर
दिल-ए-बेचैन को कुछ आराम मिल जाये..!

रूठ जाओ कितना भी पर माना लेंगे
दूर जाओ कितना भी भुला लेंगे
दिल आखिर दिल है कोई समुन्दर की रेट नही
जो लिख के नाम आपका हम युही मिटा देंगे ..!



बांहों में मेरी झूमकर तुम, अगर अपनी नज़र से पिलाओगे तुम
"रिया" तो होश गवां देगी अपनी, जन्नत में पहुच जाओगे तुम ..!

 रात बीतने को है फिर भी "रिया" को इन्तेजार है तेरा
अरे जालिम तू खुद क्यों नही कह देता तू प्यार है मेरा... !


 दिल की बात होंठो से गुजरी बस इजहार-ए अंदाज़ बदल रहे
दुनियाँ के नज़रो से छुप छुप के अब प्रेम शायरी में कर रहे है..!

गुड मोर्निंग शायरी

नई सुबह,
नई किरणें,
नई आशा,
नई उम्मीदें,
नये रास्ते,
इन सब के साथ आपको दिल से – सुप्रभात...!


सुबह काफी हो चुकी है, अब चिराघ बुझा दीजिये
एक हसीं दिन राह देखता है आपकी, बस पलकों के परदे उठा लीजिये..!
शुभ दिवस..!


 प्यारी सी ठंडी सी अच्छी सी खूबसूरत सी बड़ी सी भोली सी मीठी सी . .. गुड मोर्निंग...!


 नैनो के काजल से,
 महकों की बहार से,
 इस गुल-ए-गुलज़ार से,
दिल के हर तार से
बड़े ही प्यार से,
कहते हैं आपको... गुड मोर्निंग..!


 सजती रहे खुशियों की महफ़िल
लेकिन हर ख़ुशी सुहानी रहे
आप जिंदगी में इतने खुश रहें
कि हर ख़ुशी आपकी दीवानी रहे.....!
शुभ दिन

ख़्वाबों के जहाँ से अब लौट भी आओ
हुई है सुबह अब जाग भी जाओ
चाँद-तारों को अब कह भी दो ‘बाय’ और प्यारी सी सुबह को कहो, ‘हाय’.... गुड मोर्निंग...!

बुड्ढा हो चाहे बच्चा ...
झूठा हो चाहे सच्चा
ईश्वर तेरे हम सब बच्चा ..
दिन कर सबके अच्छा ..!
सु-प्रभात,आपका दिन शुभ एवं मंगलमय हो ..!


सूरत जो तेरी देखि अपने मन के झरोखे से
दिल में एक ज्वार उठी तुझे पाने की जो रुके ना रोके से..!
सु-प्रभात,आपका दिन शुभ एवं मंगलमय हो ..!

दर्द भरे शायरी


उठी जो शर्द हवा रोज बरस गया पानी
आह भरके सावन की गुजर गयी जवानी ..!

 गम ए आरजू तेरी आह में, शब् ए आरजू तेरी चाह में
जो उजड़ गया वो बसा नही और जो बिछड़ गया वो मिला नही ..!!


लगती है जिसके दिल पर, वो आँखों से नही रोते
जो अपनों के ही न हो पाए, वो किसी के नही होते ..!!


 मौत सिर्फ नाम से बदनाम है, वरना तकलीफ तो जिन्दगी ही ज्यादा देती है.. 
और स्त्री (वीवी ) सिर्फ नाम से बदनाम है, वरना तकलीफ में वही साथ देती है ...!!


 खवाब एक, मुश्किलें हज़ार हैं
तन्हाई और गम मेरे जीवन भर के यार हैं
अब तो दिल मौत के लिए भी तैयार है
क्यूँकि इस जीवन मे सिर्फ़ एक बेवफा से प्यार है..!!


जुल्म इतना भी न कर की लोग कहे तुझे दुश्मन मेरा
क्यूंकि हमने जमाने को तुजे अपनी जान बता रखा है !!


 हमें मालूम था अंजाम इश्क का लेकिन
जवानी जोश पर थी जिन्दगी बर्बाद कर बैठी ..!!


 दिल का जख्म कैसे दिखाऊ किसी को यारों,
मरहम की जगह सब नमक लगाते है ..!!


 यदि रुठा हो प्यार तो मनाने मेँ क्या जाता है,
यही प्यार है यारोँ इसके हर ढंग मेँ मजा आता है.!!


 हंसो इतना कि तेरी हंसी पे सारा जमाना रो दे
रोना इतना कि आँसुओं की बाढ़ में वो सब कुछ खो दे.!


 गमें इश्क में आपके चूर होकर
तड़पता है दिल मेरा मजबूर होकर ..!!


 संगीत सुनकर ज्ञान नहीं मिलता
 मंदिर जा कर भगवान नहीं मिलता
 पत्थर तो इसलिए पूजते हैं लोग
 क्यूँ कि विश्वास के लायक इंसान नहीं मिलता !!


 रास्ते खुद ही तबाही के निकाले हम ने
 कर दिया दिल किसी पत्थर के हवाले हमने
 हाँ ! मालूम हैं क्या चीज़ हैं मुहब्बत यारो
अपना ही घर जल कर देखें हैं उजाले हमने..!



 आँखों के सागर में ये जलन हैं कैसी
आज दिल को तड़पने की लगन हैं कैसी
बर्फ की तरह पिघल जायेगी जिंदगी
ये तेरी दूर रहने की कसम हैं कैसी....!


 रोया है बहुत तब जरा करार मिला है
 इस जहाँ में किसे भला सच्चा प्यार मिला है
 गुजर रही है जिंदगी इम्तिहान के दौर से
 एक ख़तम तो दूसरा तैयार मिला है..!


 रोने से किसी को पाया नहीं जाता
खोने से किसी को भुलाया नहीं जाता
यादें तो रहती है हमेशा ही ताज़ी
चाहे जिन्दगी में जितनी भी हो बर्बादी ..!


जख्म जब मेरे सीने के भर जायेंगें
आसूं भी मोती बन कर बिखर जायेंगें
ये मत पूछना किस-किस ने धोखा दिया
वर्ना कुछ अपनों के चेहरे उतर जायेंगें..!


 दर्द हैं दिल मैं पर इसका ऐहसास नहीं होता
रोता हैं दिल जब वो पास नहीं होता
बरबाद हो गए हम उनकी मोहब्बत मैं
और वो कहते हैं कि इस तरह प्यार नहीं होता...!!




 तुमने आंसू ही दिये हैं हमेशा इन आँखों को
आज कुछ पल के लिए इन होंठो को मुस्काने दो..!


आज भी तलाशती है नजरे प्रेम से लबालब उस कश्ती को ,
हमारे ही कमी से जो डूब गयी थी शक के नदी में ..!!


 सोचते हैं अक्सर तन्हाई में रहके
क्या मिला हमें परछाई में रहके
मोहब्बत करके भी कुछ हासिल न हुआ
बस तड़पते है हर पल रुसवाई में रहके..!!


रोने से किसी को पाया नहीं जाता 
खोने से किसी को भुलाया नहीं जाता
यादें तो रहती है हमेशा ही ताज़ी
चाहे जिन्दगी में जितनी भी हो बर्बादी ..!

दोस्तों मै अभी जाती हूँ पुनः मुलाकात होगी
आप पंक्ति पे गौर करे दर्द ए प्यार का एहसास होगी ..!
उसने कहा था आँखे भर देखा करो मुझे लेकिन
जब आँखे भर आती है तो वो नज़र नही आते ...!




अब कुछ अच्छा नही लगता ये क्या हो गया मुझे
शायद किसी अजनबी की बददुआ लग गयी मुझे ...!


 कहते है लोग हमारे समाज में असीम प्यार है
देखना आज है मुझको इस पर कितनो को एतबार है ...!


 मन में जिनके औरतो के लिए कोई सम्मान नही
उनका आस पास भटकना कोई खतरे से कम नही ...!


 दिल के दर्द जल्दी जुबा पे आते नही 
शराब के जुबा पे लगते ही अन्दर रह पते नही ...!


 मोहब्बत की हवा जिस्म की दवा बन गयी
आपसे दुरी मेरे चाहत की सजा बन गयी
अब कैसे भुलाऊ आपको एक पल के लिए
आपकी याद हमारी जीने की वजह बन गयी ...!

 शीशे के तौह्फे न देना किसी को लोग तोड़ दिया करते है
बहुत ख़ूबसूरत हो जो
उनसे कभी मोहब्बत न करना
अक्सर खूबसूरती में मगरूर लोग ही दिल को तोड़ दिया करते है ...!


क्या करे तुमसे दूर जाने का मेरा कोई इरादा नही था
लेकिन हालात ने बिछड़ने के लिए मजबूर कर दिया था ..!




लगी खन्जर दिल पर तो दर्द उतनी न हुई
जितनी दर्द उनके हाथ में खन्जर देख हुई..!


 किसी के दर्द को तुम अपना बना के देखो
बद्दुआओ की जगह दिल से दुआए निकलेगी ..!


कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तेरा ख्याल भी
दिल को खुसी के साथ साथ होता रहा मलाल भी
सब कुछ मेरे पास था पर तू न मेरे पास थी
तेरे यादो के सहारे कटी वो कैसे रात थी.....!

 क्या हुआ गरीबी के कपड़े से ढके है जो मेरे तन
अमीरों से ज्यादा और गंगा से निर्मल है मेरे मन ...!

 क्यू कहूँ ये आजकल अपने दिन खराब हैं
बस उलझ गये हैं काटों में समझ लो गुलाब हैं...!

शिकायत तो नही लेकिन इतना जरुर पूछना चाहती हूँ जमाने से
आखिर वो क्या करे जो जमाने के ही जुल्म से मजबूर हो जाये ...!

ए ज़िन्दगी ढूँढ कोई बिछड़ गया है मुझसे
गर वो न मिला तो "सुन" तुझे भी ख़ुदा हफ़ीज़..!

__सुना है चाहने वाले तो मुक़द्दर से मिला करते है
__________फिर उसे इस बात की तकलीफ़ क्यों,
उसके जिन्दगी से मेरे चले जाने के बाद...!


 जब नाम तेरा प्यार से लिखती हैं उँगलियाँ
मेरी तरफ ज़माने कि उठती है उँगलियाँ. !

 थे अकेले हम तो खुले थे हजारो रास्ते ,
बंद कर लिए मैंने ख़ुद सनम तेरे वास्ते ..!

शुक्रवार, 5 सितंबर 2014

शिक्षक, गुरू और शिक्षा

किसी भी राष्ट्र का आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक विकास उस देश की शिक्षा पर निर्भर करता है। शिक्षा के अनेक आयाम हैं, जो राष्ट्रीय विकास में शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हैं। वास्तविक रूप में शिक्षा का आशय है ज्ञान, ज्ञान का आकांक्षी है-शिक्षार्थी और इसे उपलब्ध कराता है शिक्षक। एक के बगैर दूसरे का अस्तित्व नहीं। यहां शिक्षा व्यवस्था को संचालित करने वाली प्रबंधन इकाई के रूप में प्रशासन नाम की नई चीज जुड़ने से शिक्षा ने व्यावसायिक रूप धारण कर लिया है। शिक्षण का धंधा देश में आधुनिक घटना के रूप में देखा जा सकता है। देश की शिक्षा व्यवस्था एवं शिक्षकों की मौजूदा चिंतनीय दशा के लिए हमारी राष्ट्रीय और प्रादेशिक सरकारें सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं, जिसने शिक्षक समाज के अपने हितों की पूर्ति का साधन बना लिया है। शिक्षा वह है, जो जीवन की समस्याओं को हल करे, जिसमें ज्ञान और काम का योग है? आज विद्यालय में विद्यार्थी अध्यापक से नहीं पढ़ते, बल्कि अध्यापक को पढ़ते हैं।
प्राचीनकाल की ओर देखें तब भारत में ज्ञान प्रदान करने वाले गुरु थे, अब शिक्षक हैं। शिक्षक और गुरु में भिन्नता है। गुरु के लिए शिक्षण धंधा नहीं, बल्कि आनंद है, सुख है। शिक्षक अतीत से प्राप्त सूचना या जानकारी को आगे बढ़ाता है, जबकि गुरु ज्ञान प्रदान करता है। सूचना एवं ज्ञान में भी भिन्नता है। सूचना अतीत से मिलती है, जबकि ज्ञान भीतर से प्रस्फुटित होता है। गुरु ज्ञान प्रदान करता है और शिक्षक सूचना। शिक्षा विकास की कुंजी है। विश्वास जैसे आवश्यक गुणों के जरिए लोगों को अनुप्रमाणित कर सकती है। विकसित एवं विकासशील दोनों वर्ग के देशों में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका समझी गई है। भारत में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर समय-समय पर बहस होती रही है। इसे विडंबना ही कहें कि हम आज तक सर्व स्वीकार्य शिक्षा व्यवस्था कायम नहीं कर सके। उल्लेखनीय है कि तमाम सरकारी प्रयासों के बावजूद आज 19 वर्ष की आयु समूह में दुनिया की कुल निरक्षर आबादी का लगभग 50 प्रतिशत समूह भारत में है। कहा जाता है कि तरुणाई देश का भविष्य है। राष्ट्र निर्माण में युवा पीढ़ी की अहम भूमिका है। इस संदर्भ में भारत की स्थिति अत्यधिक शर्मनाक और हास्यास्पद ही मानी जा सकती है। देश में लगातार हो रहे नैतिक एवं शैक्षणिक पतन से हमारे युवा वर्ग पर सर्वाधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। देश के विश्वविद्यालय प्रतिवर्ष बेरोजगार नौजवानों की फौज तैयार करते जा रहे हैं। किसी ने ठीक ही कहा है - "सत्ता की नाकामी राजनीतिक टूटन को जन्म देती है।" हमारी राजनीतिक पार्टियां, जातियों में विघटित हो रही हैं। परिणामस्वरूप मानव समाज आत्म केंद्रित और स्वार्थ केंद्रित होता जा रहा है। आज देश की राजनीति में काम और योग्यता का मूल्यांकन न होकर धन, बल और बाहुबल का बोलबाला है। लोकतंत्र के गौरव और प्रतिष्ठा का प्रतीक हमारी संसद वैचारिक प्रवाह चिंतन मनन की जगह द्वेष, कलह, झूठी शान और दिखावे के स्वर उभरते नजर आते हैं। देश के कर्णधारों की कथनी-करनी के बीच बढ़ते अंतर ने मानव-मानव के बीच आस्था और विश्वास का संकेत खड़ा कर दिया है। व्यावसायिकता की आंच से मानवीय संवेदनाएं ध्वस्त हो रही हैं और हमारी कथित भाग्य विधाता शिक्षक समाज राष्ट्र में व्याप्त इस भयावह परिस्थिति को निरीह और असहाय प्राणी बनकर मूकदर्शक की भांति देखने को विवश हैं। दुर्भाग्य से हमारे देश में समाज के सर्वाधिक प्रतिष्ठित और आदर प्राप्त "शिक्षक" की हालत अत्यधिक दयनीय और जर्जर कर दी गई है। शिक्षक शिक्षण छोड़कर अन्य समस्त गतिविधियों में संलग्न हैं। वह प्राथमिक स्तर का हो अथवा विश्वविद्यालयीन, उससे लोकसभा, विधानसभा सहित अन्य स्थानीय चुनाव, जनगणना, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री अथवा अन्य इस श्रेणी के नेताओं के आगमन पर सड़क किनारे बच्चों की प्रदर्शनी लगवाने के अतिरिक्त अन्य सरकारी कार्य संपन्न करवाए जाते हैं। देश की शिक्षा व्यवस्था एवं शिक्षकों की मौजूदा चिंतनीय दशा के लिए हमारी राष्ट्रीय और प्रादेशिक सरकारें सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं, जिसने शिक्षक समाज के अपने हितों की पूर्ति का साधन बना लिया है। शिक्षा वह है, जो जीवन की समस्याओं को हल करे, जिसमें ज्ञान और काम का योग है? आज विद्यालय में विद्यार्थी अध्यापक से नहीं पढ़ते, बल्कि अध्यापक को पढ़ते हैं। वर्षभर उपेक्षा और प्रताड़ना सहन करने वाले समाज के दीनहीन समझे जाने वाले आज के कर्मवीर, ज्ञानवीर पराक्रमी और स्वाभिमानी शिक्षकों को 5 सितंबर को देशभर में सम्मान प्रदान कर सरकार शिक्षक दिवस की औपचारिकता पूरी करती है। संभावना आज की असीमित एवं अपरिमित है। निष्क्रिय समाज सक्रिय दुर्जनों से खतरनाक है। किसी महापुरुष द्वारा व्यक्त यह कथन हमें भयावह परिदृश्य से उबारने की प्रेरणा दे सकता है।

गुरुवार, 28 अगस्त 2014

मजबूत इरादा

लेखक - अरुण कुमार बंछोर
जीवन को सुंदर ढंग से जीने की कला तो कोई विक्की से सीखे। ऐसा भी नहीं कि रजना से शादी के बाद उसने जिंदगी को सुंदर मोड दिया हो। अच्छी जीवनसंगिनी मिलने से पहले भी वह जिंदादिल इंसान था। मगर शादी के बाद खुशियां बढ गई। चलो कहीं बाहर चलते हैं। दिन भर तुम घर में और मैं दफ्तर में.., शाम तो हम दोनों साथ बिताएं, दफ्तर से लौटते ही विक्की ने रंजना से कहा। रंजना ने नौकरी नहीं की। वह दिन भर घर के कामों में व्यस्त रहती और विकी के घर लौटने की प्रतीक्षा करतीहै। शाम की उदासी मुझे भाती नहीं, जी चाहता है उदासी को चुरा कर इसमें खुशियां भर दूं.., रंजना को बांहों में लेते हुए विक्की ने कहा । अरे कुछ तो ख्याल करो ,दरवाजा खुला है। वैसे भी शाम में उदासी कहां होती है! इसमें चाहे जितने रंग भर दो, यह निखरती जाती है.., बांहों की कैद से निकलते हुए रंजना चहकी। शाम की दीवानगी में डूबे विक्की को देखकर रंजना का मन कभी-कभी अतीत में गोते लगाने लगता। लेकिन यादों को झटक कर वह वर्तमान में लौट आती। स्मृति-पटल की दस्तक को अनसुना करना भी उसकी विवशता है। दरिया किनारे की वह शाम जब वह राजेश के साथ घूमती वहां आ गई थी। ..रंजना फिर अतीत में खो गई। अर्थशास्त्र विभाग के ऑनर्स के विद्यार्थियों ने महानदी पर पिकनिक मनाने का प्रोग्राम बनाया था। लडकियां कुछ डर रही थीं पर लडके उत्साहित थे। महानदी पार करने में तो देर हो जाएगी, मुझे डर लगता है, कामिनी ने कहा। पूरी नदी थोडे ही पार करेंगे। नदी जहां सूख जाती है, वहां रेत भरी जमीन होती है, उसे ही दियारा कहते हैं। वहीं सभी पिकनिक मनाने जाते हैं, रमेश ने लडकियों को समझाया। लहराती नदी को सभी नाव से झुक-झुक कर छू रहे थे। रायपुर यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों की उमंग देख कर महानदी भी मचल उठी थी। ऐसे चुप रहकर भला पिकनिक मनाते हैं? नाव पर नाच नहीं सकते तो क्या, गा तो सकते हैं, राजेश ने कहा तो सभी ने एक स्वर में सहमति जताई। गाने का सिलसिला चल पड़ा तो फिर रेत पर पहुंचकर ही रुका। इनके शोर से इठलाती नदी छल-छल करती ताल से ताल मिलाने लगी। अंतिम वर्ष होने के कारण सभी अपनी जुदाई के दर्द को नदी में बहा देना चाहते थे। अचानक रंजना की नजर राजेश से मिली जो अपलक उसे निहार रहा था। कुछ घबरा कर रंजना ने पलकें झुका लीं। कुछ देर वह यूं ही इधर-उधर देखती रही, लेकिन चोर नजरों से उसने देखा तो राजेश अभी भी उसे ही निहार रहा था। रेत पर पहुंचकर पहले कुछ लडकों ने चादर बिछाई तो कुछ ने खाना बनाने की तैयारियां शुरू कर दीं। लडकियों ने भी साथ दिया। लडके सूखी लकडियां ले आए। सबने मिल कर खाना बनाया। खाना लाजवाब था या फिर संग का स्वाद मीठा था। खाने के बाद अंत्याक्षरी शुरू हुई। लडकों और लडकियों के अलग-अलग ग्रुप बने। एक से बढ कर एक नए और पुराने फिल्मी गाने सबने अपने-अपने स्मृति-कोष से निकाले। दोनों समूहों ने मिल कर समां बांध दिया। प्रोफेसर भी दो समूहों में बंट गए। युवाओं के सुर में सुर मिला कर वे भी युवावस्था के दिनों में जा पहुंचे। चलो अब दियारा किनारे घूमा जाए। फिर भला ये दिन कहां लौटेंगे! हां, हां, सभी चलते हैं, कामिनी ने कहा। शाम होने से पहले लौटना भी है, इसीलिए जल्दी चलना होगा, विपुल ने कहा। भाई, हम लोग तो यहीं गपशप करेंगे। तुम लोग जाओ लेकिन जल्दी लौट आना क्योंकि शाम तक लौटना भी है.., प्रोफेसर गुप्ता ने दरी पर लेटते हुए कहा। मुझे तो सोच कर ही भय लगता है कि वह दिन दूर नहीं, जब नदी हमसे रूठ कर दूर चली जाएगी। फिर रेत ही रेट रहेगा। आज हम नाव से यहां तक पहुंचे हैं फिर रेत का महत्व कम हो जाएगा। किनारे से ही लोग रेट को देखेंगे, और नदी का जल कहीं दूर दिखाई देगा, एक साथी दार्शनिक भाव से बोल उठा। मस्ती चल ही रही थी कि अचानक जोरों से रेत भरी आंधी आ गई। संभलने का मौका भी नहीं मिला। रेत ने सबकी आंखों पर हमला बोल दिया था। आंखें बंद किए सभी तेज आंधी में पत्ते की तरह इधर-उधर दौडने लगे। किसी को यह होश नहीं था कि कौन किस दिशा में दौड रहा है। आंखों में रेत भरी थी, लेकिन सभी चीख रहे थे। रंजना ने दुपट्टे से अपना सिर ढका था। उसने सोचा भी नहीं था आंधी इस वेग से आएगी। वह भी किसी दिशा में भाग रही थी या रेत की आंधी उसे बहा ले जा रही थी। आंखें खोल नहीं सकती थी। आंधी के शोर में किसी दोस्त की आवाज भी नहीं सुनाई दे रही थी। भय से उसके हाथ-पांव कांपने लगे। कंठ सूख गया। थक गई तो किसी तरह एक ही जगह पर बैठ गई और मुंह छिपा लिया। एकाएक जैसे ही महसूस हुआ कि वह दूर आ गई है और अकेली है, सब्र का बांध टूट गया और वह जोरों से फूट कर रोने लगी। काफी देर बाद आंधी का वेग कम हुआ, पर रंजना इतनी डरी हुई थी कि आंखें नहीं खोल पा रही थी। थोडी देर बाद एकाएक उसे अपने कंधे पर किसी पुरुष के हाथों का स्पर्श महसूस हुआ। वह भय से चीख उठी। डरो नहीं रंजना, मैं हूं- राजेश। देखो सभी इधर-उधर भागे हैं। एक-दूसरे को ढूंढ रहे हैं.., राजेश ने उसके पास बैठते हुए कहा। आंधी कम हो रही है, थोडी देर में पूरी थम जाएगी तो सभी आ जाएंगे, राजेश ने उसे आश्वस्त करते हुए कहा। रंजना की सिसकियां और बढ गई। उसका पूरा शरीर कांप रहा था। यह देख कर राजेश ने उसे अपनी बांहों का सहारा दिया। उस अशांत माहौल में इतना बडा संबल पाकर रंजना उससे लिपट गई। एकाएक वह घटा जो दोनों ने कभी सोचा भी नहीं था। आंधी और भय ने उन्हें इतना करीब ला दिया। रंजना घबराओ नहीं, मैं तुम्हारे साथ हूं, राजेश ने उसे सीने से लगाते हुए कहा। बांहों का कसाव बढता गया। सांसें आपस में टकराने लगीं। मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं रंजना, तुम्हें हमेशा करीब देखना चाहता हूं, अधीरता से राजेश ने कहा। राजेश की बांहों की जकडन में रंजना बेसुध सी हो गई थी। प्रेम का एहसास जन्म ले चुका था। भावनाएं शब्दों में बदलतीं, तभी कुछ जोडी कदमों की आहट ने उन्हें छिटका दिया। राजेश .. रंजना.. कहां हो तुम लोग? आवाजों ने रंजना की सुधि लौटा दी थी। उसकी आंखों में अब रेत के साथ ही शर्म की लाली भी थी। काफी देर बाद उसने आंखें खोलीं और भरपूर नजरों से राजेश को देखा। राजेश की आंखें बोल रहीं थीं कि यह शाम उसे हमेशा याद रहेगी। रंजना को याद आया कैसे क्लास में भी अकसर राजेश उसे निहारता रहता था। आज वह कितनी अजीब सी स्थिति में उसकी बांहों में समा गई थी। आंधी खत्म हो गई थी और दोनों के मन में एक असीम शांति थी। लडके-लडकियों का एक झुंड पास आ गया था..। विदाई के पल सभी के लिए मुश्किल हो रहे थे और लौटते हुए सभी खामोश थे। दरवाजे की घंटी बजते ही रंजना की विचार-तंद्रा टूटी। किसी काम से बाहर गए विक्की लौट गए थे। दरवाजा खुलते ही बोले, रंजना, चलो.. जल्दी तैयार हो जाओ, आज ट्रेन से आरंग घूमने चलते हैं। इतने दिनों से हम दिल्ली में हैं लेकिन ट्रेन में एक ही बार बैठे हैं, विक्की ने कहा। पहले चाय पी लो। फिर तैयारी करना, रंजना ने किचन में जाते हुए कहा। आज संडे है, शायद भीड कम हो, कमरे में जाते हुए विक्की ने कहा। संडे होने के बावजूद पार्किग में कहीं जगह नहीं मिली। अंत में कार पार्किग के बाहर छोड कर वे ट्रेन की ओर बढने लगे। हवा तेज थी। रंजना का आंचल लहरा रहा था। बालों की लट बार-बार चेहरे पर आकर परेशान कर रही थी। इन्हें खुला ही छोड दो न! तुम्हारे खुले बाल अच्छे लगते हैं, विक्की ने पीछे से क्लचर हटा कर उसके बाल खोल दिए। ट्रेन से शहर कुछ ज्यादा ही खूबसूरत दिख रहा था। लोटस टेंपल, इस्कॉन को उन्होंने चमकती रोशनी में देखा। उसने अपने बालों को समेटना चाहा तो विक्की ने रोक दिया। रंजना एक बार फिर यादों में खो गई। वर्षो पहले राजेश की कही बात उसे याद आने लगी, खुले बालों में तुम बहुत अच्छी लगती हो रंजना , बालों से रेत झाडते हुए राजेश ने उससे कहा था। आज उसे बार-बार राजेश क्यों याद आ रहा है! लौटते वक्त उन्हें बैठने की जगह नहीं मिली तो खडे रहे। भीड नहीं थी, फिर भी विक्की ने हिदायत दी, उतरते समय आराम से उतरना, हडबडाना नहीं। अचानक रंजना को महसूस हुआ कि कोई शख्स उसे अपलक निहार रहा है। ध्यान बंटने से वह लडखडा गई। तभी विक्की ने उसे थाम लिया। रंजना के मन में उत्सुकता जाग उठी कि वह व्यक्ति आखिर है कौन? उसने अस्त-व्यस्त हो आई साडी को चुपके से ठीक किया और खुले उलझे बालों को हाथ से सुलझाने की चेष्टा की। बातें करते-करते विक्की कुछ दूर हुआ तो वह शख्स फिर दिखा। पांच मिनट में हमारा स्टेशन आने वाला है, विक्की ने उसे परेशान देख कर कहा। इस बार रंजना ने भी उस व्यक्ति को ध्यान से देखा। मस्तिष्क पर जोर नहीं देना पडा। उम्र की परतें इंसान पर जम जाती हों, लेकिन चेहरे के हाव-भाव तो वही रहते हैं। सामने बैठा इंसान वही था, जिसने उस दिन अपनी बांहों का सहारा दिया था। रंजना को उसकी सांसों की गंध महसूस होने लगी। पहचान के भाव आते ही दोनों ओर से एक मुसकान झलकी। रंजना की आंखों में पहचान की झलक देख राजेश सीट से उठने लगा। उसने सोचा, रंजना से मिल ले। रंजना भी क्षण भर आगे बढी। रंजना स्टेशन आ गया है। धीरे-धीरे बाहर निकलना, कहता हुआ विक्की बाहर निकला। पीछे-पीछे रंजना भी गई। बाहर जाकर वह मुडी तो दरवाजे पर राजेश खडा था। तभी दरवाजा बंद हो गया। आगे देख कर चलो वर्ना गिर जाओगी, विक्की ने रंजना का हाथ थाम लिया। अनजाने में कही गई विक्की की बात रंजना को ठीक लगी। अतीत उसके वर्तमान को डिगा सकता है। मेरे हाथ थामे रहो और आराम से चलो। इतनी नर्वस क्यों हो जाती हो? विक्की ने उसे सहारा देते हुए कहा। दोनों चलते रहे। ट्रेन शायद कुछ स्टेशन आगे बढ चुकी होगी। इस शाम ने रंजना के शांत मन में उथल-पुथल मचा दी थी। लेकिन जो आंधी अचानक जीवन में आई वह अब थम भी चुकी थी। वह मजबूती से विक्की का हाथ थाम उसके साथ आगे बढती गई। अब जीवन में शांती थी..। एल -297 , न्यू सुभाष नगर ,भोपाल (मप्र) (बिना अनुमति के प्रकाशित ना करे)