गुरुवार, 11 फ़रवरी 2010

मुलाकात

इंसानियत पर आधारित है ‘माई नेम इज खान’:शाहरुख खान
strong>फिल्म में मैं रिजवान खान का किरदार निभा रहा हूँ जिसे एस्पर्जर नाम की बीमारी है। कांदिवली से लेकर अमेरिका तक के उसके सफर की कहानी इस फिल्म में दिखाई गई है। उसे सीधी बात ही समझ में आती है। एक अलग तरह के रूप में दर्शक इस बार मुझे देखेंगे और उम्मीद करता हूँ कि उसे पसंद करेंगे।

फिल्म का नाम आपको कितना सार्थक लगता है ?
फिल्म की कहानी रिजवान खान के इर्द-गिर्द घूमती है। वह पूरी फिल्म का आधार है और खान उसका सरनेम है। फिल्म में बातचीत के दौरान इस वाक्य का प्रयोग किया गया है। यह एक साधारण-सा वाक्य है जो कहानी को जोड़ता है इसलिए इससे बेहतर फिल्म का नाम मेरी समझ से तो दूसरा नहीं हो सकता था।

लेकिन फिल्म का नाम काफी विवादों में रहा है ?
नाम से लोगों को ऐसा लग रहा है कि फिल्म इस्लाम पर आधारित है लेकिन ऐसा है नहीं। फिल्म का आधार इंसानियत है। प्रोमोज में भी एक सीन है जिसमें मेरी पत्नी मंदिरा हिंदू है और मैं मुसलमान। मुझे यह समझ नहीं आता कि जिस धर्म के बारे में हम जानते ही नहीं हैं, हम उसे सही या गलत कैसे कह सकते हैं। अपने धर्म का सम्मान करने के लिए दूसरे धर्म को भला-बुरा कहना या उसका मजाक उड़ाना गलत है ।

फिल्मों को लेकर आजकल विवाद हो रहे हैं। आपको क्या लगता है?
फिल्म कला की अभिव्यक्ति का साधन है और कला की अभिव्यक्ति पर पाबंदी नहीं लगाई जा सकती है। मुझे बुरा लगता है जब थोड़े से प्रचार के लिए लोग फिल्मों पर विवाद खड़ा करने लगते हैं जो कि गलत है। जब सेंसर बोर्ड फिल्म को पास कर देती है तो फिर उस पर सवाल उठाने का कोई कारण ही नहीं बनता है ।

करण जौहर के बारे में आपकी क्या राय है?
करण ने जब से अपने करियर की शुरुआत की है मैं तब से उनके साथ काम कर रहा हूँ और वक्त के साथ उनके अंदर के बदलावों को भी करीब से देखा है। जब कॉलेज से निकला था तो उसने "कुछ-कुछ होता है" बनाई थी। तब से लेकर आज तक उसकी सोच में आए बदलावों को उसकी फिल्मों में देखा जा सकता है।

लंबे समय के बाद और आप साथ में काम कर रहे हैं। काजोल के बारे में आपका क्या कहना है?
काजोल एक बहुत ही बेहतरीन अभिनेत्री हैं। वह सह कलाकार होने के साथ ही मेरी बहुत अच्छी दोस्त हैं। असल जिंदगी में भले वह चाहे जैसी हों लेकिन कैमरा ऑन होते ही वह पूरी तरह से बदल जाती है। ऐसा लगता है कि जैसे किसी ने उस पर जादू कर दिया हो। काजोल इस समय बॉलीवुड की सबसे बेहतरीन अदाकारा हैं।

सुना है कि आप अपने बच्चों से हिंदी में ही बात करना पसंद करते हैं?
मैं हमेशा कोशिश करता हूं कि मेरे बच्चे हिंदी जरूर बोलें। मैं उन्हें हिंदी में कहानियाँ सुनाता हूँ। मेरी कोशिश होती है कि मैं उनसे ज्यादा से ज्यादा हिंदी में बात करूँ।

अपनी सफलता का श्रेय आप किसे देते हैं?
मेरी ही नहीं, इस इंडस्ट्री में जो भी सफल हैं सभी का कारण उनकी हिंदी का अच्छा होना है। अमिताभ बच्चन, आमिर खानWatch the New Look of Aamir !! या मेरी सफलता की मुख्य वजह हमारी हिंदी का ज्ञान है। मैं समझता हूँ कि इस इंडस्ट्री में वही सफल होता है जिसकी हिंदी पर अच्छी पकड़ है।

अपने भाषा ज्ञान को बनाए रखने के लिए क्या करते हैं?
मैं किताबें बहुत पढ़ता हूँ और बच्चों को थोड़ा-बहुत बदलकर कहानियाँ सुनाता हूँ। कई बार कुछ किताबें अच्छी लगती हैं तो कुछ निर्देशकों या फिल्म निर्माताओं को मैं उस किताब पर फिल्म बनाने के लिए भी कहता हूँ पर अभी तक किसी ने मुझे हाँ नहीं कहा है। "स्लमडॉग मिलियनेयर" भी जब मैंने पढ़ी थी तब उस पर फिल्म बनाने के लिए वो किताब मैंने एक निर्देशक को दी थी लेकिन कुछ समय बाद पता चला कि डैनी बोयल इस पर फिल्म बना रहे हैं।

क्या कारण है कि इतनी सफलता हासिल करने के बाद भी आप हॉलीवुड की फिल्मों में नहीं दिखते हैं?
मेरी हिंदी अच्छी है। मेरा मानना है कि काम हमेशा उसी भाषा में करना चाहिए जो आपको आती हो, क्योंकि उसी भाषा में आप अपनी भावनाओं को सही ढंग से व्यक्त कर सकते हैं। हाल ही में मैंने कमल हासन के लिए दक्षिण की एक फिल्म की थी। उन्होंने मुझे हिंदी में उसका अनुवाद भी दिया था। बड़ी समस्या होती थी। पहले वहाँ की भाषा में पढ़ो, फिर हिंदी में उसका मतलब समझो और उसके बाद एक्टिंग के लिए उनकी भाषा में प्रेक्टिस करो। उसके बाद भी सही एक्सप्रेशन नहीं आ रहे थे। जहाँ तक हॉलीवुड की बात है तो मेरी अँग्रेजी अच्छी है लेकिन उच्चारण भारतीय है। मैं उनकी तरह नहीं बोल सकता हूँ इसलिए मैं वहाँ पर काम नहीं कर सकता।

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