रविवार, 7 मार्च 2010

रोमांस

दिल अपना और प्रीत पराई
हाय फ्रैंड्स ! रोमांस करने वाले बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो पहले दिन से अंतिम दिन तक खुशी के झूले पर सवार हों और उन्हें कोई कष्ट नहीं हुआ हो। ज्यादातर लोग तो इसकी पीड़ा से ही कराहते रहते हैं। फिर भी यदि आप यह पैगाम दें कि कोई प्यार न करे, दुनियादारी के हिसाब से चले तो प्यार करने वाले शायद ही इस बात को मानें।

प्यार करने वालों की सबसे विचित्र बात यह लगती है कि वे कई बार ऐसे रिश्ते में पड़ जाते हैं जो समाज के सांचे में किसी तरह से फिट नहीं बैठते उसके बावजूद उनकी उम्मीद यही होती है कि अन्य सोशल रिलेशनशिप की तरह ही उनका यह रिलेशन भी स्वीकार हो जाए, परमानेंट हो जाए। सोसाइटी द्वारा अस्वीकार किए जाने की बात तो छोड़ें, कई बार वे खुद ऐसे रिश्ते से कब मुकर जाएँगे खुद उन्हें मालूम नहीं होता पर जब एक दिन ऐसा हो जाता है तो वे इस कदर आसमान-जमीन एक करने लगते हैं मानों उन्हें इसका रत्ती भर भी अनुमान या आभास नहीं था ।

ऐसे ही एक अनएक्सपेक्टेड अलगाव से विचलित हो गए हैं, प्रकाश। पहले तो वह एक शादीशुदा महिला से प्रेम कर बैठे और फिर जब उस महिला को प्रकाश के प्यार के अति गंभीर रूप का अहसास हुआ तो वह डर कर पीछे हट गई। उसने इस रिश्ते से तौबा कर लिया लेकिन प्रकाश हैं कि उन्हें भूल नहीं पा रहे हैं।

दिन-रात उससे मिलने के लिए बेकरार रहते हैं। उनकी मानसिक व शारीरिक सेहत खराब हो रही है। सबसे मिलना-जुलना छोड़ उन्होंने तनहाई को ही अपना साथी बना लिया है। प्रकाश जी, आपकी फ्रैंड न तो अपने हसबैंड से अलग रह रही थीं और न ही उनका डिवोर्स का इरादा था फिर आपने कैसे सोच लिया कि वह आपके साथ रहने लगेंगी या मिलती रहेंगी । उनका अपने हसबैंड के साथ मनमुटाव हो गया था, वह जीवन में उदास और अकेली हो गई थीं, उन्हें एक हमदर्द दोस्त की जरूरत थी जिससे कि वह अपनी उदासीनता और नीरसता तोड़ सकें।

आपमें उन्हें वह दोस्त नजर आया। देखते-देखते वह इतने करीब आ गई कि आप दोनों में कोई भेद नहीं रह गया। इसलिए अब आपको उनकी जुदाई सही नहीं जा रही है । आप इस सच को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं कि वह आपको छोड़ सकती हैं पर हकीकत यही है कि वह आपको कभी नहीं मिलेंगी । आपको इस बात का भी कष्ट है कि आपकी भावना के साथ खेला गया। आपका इस्तेमाल किया गया और जब वह संभल गई और अपने पति के साथ ताल-मेल बैठा लिया तो आपको दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल कर फेंक दिया।

आप जितना जी चाहें उसे या खुद को कोस लें पर अब इस रिश्ते में कुछ नहीं हो सकता है। दरअसल, आप अकेले थे और आपको उसका साथ मिला तो आप उसकी तुलना में अधिक भावुकता से जुड़ते गए। यूँ तो उसे भी एक समय आपकी बहुत ज्यादा जरूरत थी पर इसलिए नहीं कि वह अपना घर-बार तोड़कर या छोड़कर आपके पास आना चाहती बल्कि इसलिए कि वह अपना घर बचाना चाहती थी। वह चाहती थी कि वह खुश रहे ताकि वह अपने पति की छोटी-मोटी अप्रिय बातों को नजरअंदाज कर उसे खुश रख सके। दोस्ती की ताकत से उसकी सहनशक्ति बढ़ जाए।


NDहर समय कुढ़ने-घुटने के बजाय वह खुशी-खुशी अपने पति का खयाल रख सके। यदि गहराई से देखा जाए तो वह खुद से ज्यादा अपने शादी के रिश्ते की परवाह करती रही। उसने तमाम प्रकार का निजीपन बाँटने के बाद भी कभी आपके साथ जीवन बिताने का कोई वायदा नहीं किया। इसके बावजूद आप उसे स्वार्थी समझ रहे हैं।

प्रकाश जी, आपको चाहे जितना भी बुरा लगे पर आपको यह बात स्वीकार करनी ही पड़ेगी कि आपकी भूमिका केवल एक नर्स की रही है। नर्स एक मरीज की जितनी भी सेवा कर ले, उसके कष्ट को कम करने के लिए जितना भी जतन कर ले, उसके सिरहाने बैठकर अपनी कितनी भी नींदें उड़ा ले, मोह बढ़ा ले पर अच्छा होने पर मरीज अपने घर ही लौटता है। यही दुनिया का दस्तूर है। इसे समझते हुए आगे बढ़ें तो जीना आसान हो जाएगा। जब भी इस प्रकार के रिश्ते होते हैं उसमें तभी तक तीसरे की जरूरत होती है जब तक उस रिश्ते में उसकी गुंजाइश होती है। जब किसी भी वजह से वह जरूरत दरकार नहीं होती है तो रिश्ता खुद ब खुद कमजोर पड़ता जाता है और एक दिन टूट जाता है।

प्रकाश जी, अव्वल तो आपको ऐसे रिश्ते में पड़ना नहीं चाहिए था। हर व्यक्ति को पहले अपने बारे में सोचना चाहिए। आप मैंटली और फिजीकली हेल्दी रहेंगे तो दूसरों की भी मदद कर सकते हैं। आपकी दोस्त ने अपने बारे में सोचा। खुद को संभालकर उसने अपने परिवार को बचाया। उसे गिल्ट इसलिए नहीं है क्योंकि एक तो वह यह सोचती है कि इस रिश्ते से आपको भी उतनी ही खुशी मिली, दूसरे ऐसे रिश्ते का यही अंजाम होना था यह कमोबेश आप भी मानकर ही चल रहे होंगे।

प्रकाश जी, जीने का सबसे अच्छा और आसान तरीका यह है कि आप अपने सभी कदम को हर हाल में न्यायसंगत ठहरा दें। अगर वह सबकुछ छोड़कर आपके पास आ जाती तो उनका तर्क होता, सच्चे प्यार के साथ कैसे बेवफाई करे और नहीं छोड़ा तो उसका तर्क है कि पहला फर्ज उसके पति की मान मर्यादा है।

इसी प्रकार आप भी सोचें कि यह एक नेक मदद थी और साथ ही आपको एक अनुभव का अवसर मिला। आगे किसी भी पेचीदा रिश्ते या कहें कि उलझे हुए रिलेशन में पड़ने के बजाय आप अपने लिए उचित रिश्ते की तलाश करेंगे। यकीनन यह एक्सपिरिएंस आपको अपने लाइफ-पार्टनर के साथ एक बेहतर हसबैंड के रूप में पेश आने के काम आएगा।

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