गुरुवार, 22 अप्रैल 2010

मास्टर ब्लास्टर

वाह सचिन! 200*
हजारों साल नरगिस अपनी बेनूरी पर रोती है, बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा!
सहवाग और युवराज से तो लोगों को वनडे में दो सौ रनों की जादुई पारी की उम्मीद थी। यह चमत्कार सचिन तेंदुलकर के हाथों होगा यह किसी ने भी नहीं सोचा था। फागुन माह सचिन के जीवन में हमेशा नया रंग भरता रहा है। आज से सोलह बरस पहले इसी फागुन माह में सचिन के वनडे करियर में नई बहार आई थी। क्रिकेट के इस देवता को तब पहली बार वनडे में पारी की शुरुआत करने के लिए भेजा गया था। कीवियों के खिलाफ 1994 में खेले गए इस एकदिनी मैच में सचिन ने पहली बार अपना रंग दिखाया और मात्र 49 गेंदों पर धुआंधार 82 रनों की पारी खेली। यही से मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर का अभ्युदय हुआ।

इसके बाद दुनिया के इस सबसे बड़े क्रिकेट खिलाड़ी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। सचिन ने अपने करियर का पहला वनडे शतक [110 रन] भी इसी वर्ष 9 सितंबर को कोलंबो में आस्ट्रेलिया के खिलाफ बनाया था। उन्हें अपना पहला वनडे शतक जमाने में पांच साल तक इंतजार करना पड़ा था। बहरहाल कुछ भी हो आज क्रिकेट का यह मास्टर रिकार्डो की उस ऊंची मीनार बैठा है जहां तक देखने में किसी भी क्रिकेटर की टोपी भी जमीन पर गिर सकती है। विस्फोटक वीरू के जल्द आउट होने के बाद इस महानायक ने ग्वालियर के रूप सिंह स्टेडियम में क्रिकेट प्रेमियों को अपने मास्टर और ब्लास्टर दोनों स्वरूप के दर्शन कराए।

सुरसम्राट तानसेन की इस नगरी में तेंदुलकर ने अपने बल्ले की ऐसी तान छेड़ी कि सभी क्रिकेट पे्रमियों के मुखारबिंद से बार-बार सिर्फ वाह सचिन के अलावा और कुछ नहीं निकल रहा था। क्रिकेट की किवदंती बन चुके छोटे कद के इस बड़े खिलाड़ी ने फिर अनूठा कीर्तिमान रचा है। महान बल्लेबाज ने बुधवार को ग्वालियर के कैप्टन रूप सिंह स्टेडियम में नाबाद दोहरा शतक जमाया। वनडे क्रिकेट के करीब चालीस साल के इतिहास में इससे पहले कोई भी बल्लेबाज दोहरा शतक नहीं लगा सका था। सचिन की इस उपलब्धि पर स्टेडियम में मौजूद हजारों दर्शकों के साथ ही अपने घरों में टीवी स्क्रीन से चिपके करोड़ों हिंदुस्तानियों ने तहेदिल से उन्हें बधाई दी।

क्रिकेट के इस वामनाअवतार ने अपनी इस बेमिसाल पारी [नाबाद 200] में 147 गेंदें खेलीं और 25 चौके व तीन छक्के लगाए। सचिन ने यह दर्शा दिया कि आसमान छूने के लिए पंखों की नहीं हौसले की जरूरत होती है। सहवाग के साथ भारतीय पारी की शुरुआत करने आए सचिन ने सिर्फ 37 गेंदों पर अ‌र्द्धशतक जमा दिया था। करियर का 46वां वनडे शतक ठोकने के बाद तो दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाज उनके सामने असहाय नजर आए। उन्होंने जहां चाहा मनमाफिक शॉट खेलकर अपनी पारी को सजाते और दर्शकों का मनोरंजन करते रहे।

मास्टर-ब्लास्टर ने पहले वायने पार्नेल की गेंद पर दो रन लेकर वनडे क्रिकेट में सबसे बड़ी पारी खेलने का विश्व रिकार्ड अपने नाम किया। इसके बाद भारतीय पारी के अंतिम ओवर में लेंग्वेल्ट की गेंद पर एक रन लेकर उन्होंने 200 रन के जादुई आंकड़े को छुआ। सचिन से पहले वनडे क्रिकेट की सबसे बड़ी पारी [194] खेलने का रिकार्ड संयुक्त रूप से पाकिस्तान के सईद अनवर और जिंबाब्वे के चा‌र्ल्स कोवेंट्री के नाम था। अनवर ने भारत और कोवेंट्री ने बांग्लादेश के खिलाफ यह उपलब्धि हासिल की थी। इससे पहले सचिन का सर्वश्रेष्ठ स्कोर 186 रन था, जो उन्होंने 1999 में न्यूजीलैंड के खिलाफ हैदराबाद में बनाया था। भारतीय रन मशीन कहे जाने वाले सचिन ने अपनी इस 46वीं शतकीय पारी के दौरान अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 31 हजार रन भी पूरे कर लिए। यह उपलब्धि हासिल करने वाले भी वह दुनिया के पहले बल्लेबाज हैं।

1 टिप्पणी:

Mayur Malhar ने कहा…

bahut khoob.
sachin jaisa koi nahi hai.