बुधवार, 9 जून 2010

प्यार

प्रेम के अतिरिक्त अमृत नहीं

इतनी प्रेम से भरी बातें तूने लिखी है कि एक-एक शब्द मीठा हो गया है। क्या तुझे पता है कि जीवन में प्रेम के अतिरिक्त न कोई मिठास है, न कोई सुवास है? शायद प्रेम के अतिरिक्त और कोई अमृत नहीं है!

प्यार एहसास है रुह से महसूस करने का

रिश्तों की कोई निर्धारित परिभाषा नहीं होती। कोशिश भी की जाए तो शायद कोई ऐसी परिभाषा नहीं ग़ढ़ी जा सकती जो रिश्तों को गहराई से परिभाषित कर सके। आशय यह नहीं कि रिश्ता कोई उलझी हुई इबारत है जिसे समझाया नहीं जा सकता,

प्यार का रसायन !

ना ये केमिस्ट्री होती, ना मैं स्टूडेंट होता ना ये लेबोरेटरी होती, ना ये एक्सीडेंट होता कल प्रेक्टिकल में नजर आई एक लड़की सुंदर थी, नाक थी उसकी टेस्ट ट्यूब जैसी बातों में उसकी, ग्लूकोज की मिठास थी साँसों में एस्टर की खुशबू भी साथ थी

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