मे दैनिक राष्ट्रीय हिंदी मेल का सम्पादक हूँ.खुल्लम खुल्ला मेरी अभिव्यक्ति है .अपना विचार खुलेआम दुनिया के सामने व्यक्त करने का यह सशक्त माध्यम है.अरुण बंछोर-मोबाइल -9074275249 ,7974299792 सबको प्यार देने की आदत है हमें, अपनी अलग पहचान बनाने की आदत है हमे, कितना भी गहरा जख्म दे कोई, उतना ही ज्यादा मुस्कराने की आदत है हमें...
मंगलवार, 24 अगस्त 2010
एहसास
मुझे एहसास है रक्षाबंधन पर्व का क्योंकि मै अकेला हूँ.अपने परिजनों से काफी दूर.इंसान को कभी दुखी नहीं होना चाहिए.हर परिस्थितियों में हंसकर आगे बढना चाहिए.
""दूर रहने पर भी इस पर्व का एहसास होना ही चाहिए.... और ये भी सही है दूर रहने पर भी दुखी नहीं होना चाहिए ... "" बढ़िया विचार...रक्षाबंधन पर पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाये ...
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""दूर रहने पर भी इस पर्व का एहसास होना ही चाहिए.... और ये भी सही है दूर रहने पर भी दुखी नहीं होना चाहिए ... "" बढ़िया विचार...रक्षाबंधन पर पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाये ...
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