शुक्रवार, 3 दिसंबर 2010

ख़ास खबर

दाँतों के लिए मारे जा रहे हैं हाथी
(अरुण बंछोर)
पिछले दो महीनों में छत्तीसगढ़ के उत्तरी इलाके में दो हाथियों को करंट लगाकर मारा जा चुका है। एक मामले में तो जंगल विभाग के अधिकारियों ने हाथी के शिकार का मामला दर्ज किया है लेकिन दूसरे मामले में उनका कहना है कि वह शिकार का मामला नहीं है और दुर्घटनावश वह हाथी मारा गया।

लेकिन वन्य संरक्षण में लगे कार्यकर्ताओं का कहना है कि दोनों ही मामले हाथी के शिकार के हैं और दोनों ही हाथियों को उनके दाँतों के लिए मारा गया। ये और बात है कि दोनों ही मामलों में शिकारी दाँत निकालने में सफल नहीं हो सके और इससे पहले ही अधिकारियों को इसका पता चल गया।
उल्लेखनीय है कि हाथी के दाँतों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में बहुत कीमत मिलती है। जानकार लोगों का कहना है कि भारत में ही दो दाँतों की कीमत दो से तीन लाख तक मिल जाती है।
करंट : ताजा मामला छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से कोई ढाई सौ किलोमीटर दूर स्थित जंगलों का है। यह इलाक़ा कोरबा से कोई पचास किलोमीटर दूर है।
वाइल्ड लाइफ एसओएस की कार्यकर्ता मीतू गुप्ता के अनुसार इस हाथी को करंट लगाकर 29 नवंबर की रात मारा गया था, लेकिन इसका पता 30 नवंबर को लगा। पहली दिसंबर को हुए पोस्टमॉर्टम के अनुसार इस हाथी की मौत करंट लगने से हुई और इस जख्म की वजह करंट लगना ही है।
मीतू गुप्ता का कहना है कि जहाँ हाथी मरा हुआ पाया गया है वहाँ मिले एल्यूमिनियम के तार के टुकड़ों और हाथी के शरीर में लगी चोटों से स्पष्ट है कि उसे मारने के लिए ही शिकारियों ने जाल बिछाया था।
इस इलाके के असिस्टेंट कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट (एसीएफ) प्रभात मिश्रा ने बीबीसी से हुई बातचीत में स्वीकार किया कि यह करंट से हाथी मारने का है और 30 नवंबर को यह मामला दर्ज कर लिया गया है।
उन्होंने कहा, 'अभी अंतिम निर्णय पर हम नहीं पहुँचे हैं, लेकिन आरंभिक तौर पर यह करंट लगाकर हाथी को मारने का मामला है और इसमें शिकार का मामला होने से इनकार नहीं किया जा सकता।'
इससे पहले अक्टूबर के पहले सप्ताह में उत्तरी छत्तीसगढ़ के ही धरमजयगढ़ में एक हाथी मरा हुआ पाया गया था। यह हाथी भी दंतैल हाथी था।
उस इलाके के डीएफओ मसीह ने बीबीसी को बताया कि एक हाथी करंट लगने से मारा गया था लेकिन उन्होंने इसे शिकार का मामला मानने से इनकार किया।
उनका कहना था, 'किसानों ने खेत में सूअर आदि से बचने के लिए करंट लगाया होगा और उसमें हाथी दुर्घटनावश मारा गया। उसे सीधे-सीधे शिकार का मामला नहीं कहा जा सकता।'
लेकिन मीतू गुप्ता ने का कहना है कि वह भी शिकार का मामला था क्योंकि उस हाथी के दाँत निकालने के लिए टंगिए से वार किए गए थे जो बाद में स्पष्ट दिखाई दे रहे थे।
समस्या : छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ बरसों में हाथियों की समस्या बढ़ी है। इसकी वजह वही है जो पूरे देश की है। जंगलों की कटाई और जंगल के इलाकों में खदानों का कार्य होना। इससे हाथियों के प्राकृतिक वास में बाधा आई है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने हाथियों के संरक्षण के लिए एक कॉरिडोर के निर्माण का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था और केंद्र सरकार ने इसे मंजूरी भी दे दी थी। लेकिन उसी इलाक़ों में कोयले के भंडार मिलने के बाद राज्य की रमन सिंह सरकार ने उस इलाक़े को हाथियों का कॉरिडोर अधिसूचित नहीं कर रही है।
पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार को कोयला तो लाभ का मामला दिखता है लेकिन हाथी नहीं। दूसरी ओर हाथियों की बढ़ती संख्या की वजह से किसानों को होने वाला फसलों का नुकसान बढा़ है और उनके बीच टकराव भी बढ़ा है।
लेकिन ताजा मामले फसल के नुकसान के नहीं हैं क्योंकि जिस समय इन हाथियों को मारा गया है उस समय खेतों में फसल नहीं थी।

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