शनिवार, 2 नवंबर 2013

भाजपा में मोदी युग

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की आपत्ति के बावजूद जिस तरह प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया है वह दर्शाता है कि 'पार्टी विद ए डिफरेंस' की छवि से भाजपा बिलकुल बाहर आ चुकी है। साथ ही आरएसएस का जिस तरह इस बार भाजपा पर दबाव रहा वह दर्शाता है कि वह किस तरह पार्टी को नियंत्रित करता है। ऐसे में भाजपा की ओर से कांग्रेस पर लगाये जाने वाले इन आरोपों का औचित्य नहीं समझ आता कि सरकार दस जनपथ से नियंत्रित होती है। यदि ऐसा है तो यह भी सिद्ध हो चुका है कि भाजपा नागपुर से नियंत्रित होती है। बहरहाल, जिन परिस्थितियों में मोदी की उम्मीदवारी का ऐलान किया गया है वह पार्टी की चुनावी संभावनाओं को क्षति पहुंचा सकते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि मोदी का बड़ा जनाधार है लेकिन वह लोकतांत्रिक नहीं माने जाते। भाजपा में नये युग का आरंभ हो चुका है। देखना होगा कि अटल-आडवाणी युग से मोदी-राजनाथ युग कितना भिन्न साबित होता है।

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