मंगलवार, 14 जनवरी 2014

|।हनुमान चालीसा।।

दोहा : श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥ बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार॥ चौपाई : जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर॥ रामदूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥ महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी॥ कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुंडल कुंचित केसा॥ हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै। कांधे मूंज जनेऊ साजै। संकर सुवन केसरीनंदन। तेज प्रताप महा जग बन्दन॥ विद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर॥ प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया॥ सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा॥ भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्र के काज संवारे॥ लाय सजीवन लखन जियाये। श्रीरघुबीर हरषि उर लाये॥ रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥ सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥ सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा॥ जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कबि कोबिद कहि सके कहां ते॥ तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा॥ तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना। लंकेस्वर भए सब जग जाना॥ जुग सहस्र जोजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥ प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं॥ दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥ राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥ सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रक्षक काहू को डर ना॥ आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक तें कांपै॥ भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै॥ नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा॥ संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥ सब पर राम तपस्वी राजा। तिन के काज सकल तुम साजा। और मनोरथ जो कोई लावै। सोइ अमित जीवन फल पावै॥ चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा॥ साधु संत के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे॥ अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता॥ राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा॥ तुम्हरे भजन राम को पावै। जनम-जनम के दुख बिसरावै॥ अन्तकाल रघुबर पुर जाई। जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई॥ और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेइ सर्ब सुख करई॥ संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥ जै जै जै हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥ जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहि बंदि महा सुख होई॥ जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा॥ तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय मंह डेरा॥ दोहा : पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप। राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥

शुक्रवार, 3 जनवरी 2014

बेमतलब सुर्खियां बटोरते हैं केजरीवाल

5 साल पहले ही लालबत्ती छोड़ चुके हैं रमन! दिल्ली के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की लाल बत्ती की गाडिय़ों का उपयोग करने से मना करना मीडिया में बहस का विषय बना हुआ है। लोग सीएम की सुरक्षा और उसके विशिष्ट होने का हवाला देकर कह रहे हैं हैं कि उनको लाल बत्ती नहीं छोडऩी चाहिए वहीं कई लोगों का कहना है कि खास को आम जनता के बीच जाने के लिए आम बनना ज़रूरी है ऐसे में केजरीवाल का फैसला बेहद सही है। कई लोगों का यह भी कहना है कि देश के अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों और अन्य बड़े नेताओं को केजरीवाल से सीख लेनी चाहिए और उनकी तरह ही सादगी से रहना चाहिए। लेकिन मुख्यमंत्रियों के ऐसे सुझाव देने वाले लोग नहीं जानते कि एक मुख्यमन्त्री ऐसे हैं जो पहले से ही लाल बत्ती की गाडिय़ों का उपयोग बंद कर चुके हैं. लेकिन इसके लिए उन्होंने केजरीवाल के जितना प्रचार नहीं किया और यही नहीं ये मुख्यमंत्री हर साल अपने पूरे राज्य का भ्रमण करते हैं, लोगों से मिलकर उनकी समस्याओं को सुनते और सुलझाते भी हैं। हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह की। डॉ सिंह ने तीसरी बार छत्तीसगढ़ राज्य की कमान सम्भाली है। उन्हें एक मृदुभाषी और मिलनसार नेता के रूप में पूरे राज्य में जाना जाता है। रमन सिंह ने अपनी गाडी से लाल बत्ती पांच साल पहले ही हटवा दी है, यही नहीं उनकी फॉलो गाडिय़ों में भी लालबत्ती नहीं है. यदि किसी फॉलो गाडी में लाल बत्ती लगी होती है तो वे उस गाडी की लाल बत्ती जलाने से मना कर देते हैं। उन्होंने कहा कि मैं तो पांच सालों से बिना लाल बत्ती के घूम रहा हूं।