tag:blogger.com,1999:blog-38573954253355157622024-03-16T12:38:11.056+05:30खुल्लम खुल्लामे दैनिक राष्ट्रीय हिंदी मेल का सम्पादक हूँ.खुल्लम खुल्ला मेरी अभिव्यक्ति है .अपना विचार खुलेआम दुनिया के सामने व्यक्त करने का यह सशक्त माध्यम है.अरुण बंछोर-मोबाइल -9074275249 ,7974299792 सबको प्यार देने की आदत है हमें, अपनी अलग पहचान बनाने की आदत है हमे, कितना भी गहरा जख्म दे कोई, उतना ही ज्यादा मुस्कराने की आदत है हमें...अरुण बंछोरhttp://www.blogger.com/profile/12855170553657623179noreply@blogger.comBlogger498125tag:blogger.com,1999:blog-3857395425335515762.post-91383345812961276112018-10-15T15:29:00.002+05:302018-10-15T15:29:17.413+05:30माँ दुर्गा उपासना का माहौल और मी टू अभियान की गूँज<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
इन दिनों देश में नारी शक्ति की प्रतीक समझी जाने वाली देवी मां दुर्गा की उपासना हो रही है और इसी समय नारी का एक तबका यौन शोषण के मामले पर एकजुट हो रहा है। इन्हीं यौन शोषण के मामलों को उजागर करने के लिए अमेरिका में नाम से शुरू हुआ अभियान दुनिया के अन्य देशों में होता हुआ भारत में भी आया है। एक फिल्म अभिनेत्री के बयान से शुरू हुआ यह किस्सा भारत में इन दिनों सुर्खियां बना हुआ है। विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी स्त्रियां अपने साथ हुए यौन अत्याचार के ब्योरे दे रही हैं और कुछेक मामलों में दोषी को समाज से बहिष्कृत करने या उसे सजा देने की मांग भी कर रही हैं। इस तरह फिल्म, टीवी, मॉडलिंग, पत्रकारिता और साहित्य से लेकर राजनीति, समाजसेवा, व्यवसाय तक से जुड़े कई नामी-गिरामी चेहरों से पर्दा हट रहा है। स्त्रियों के हृदयविदारक किस्से समाज के असंवेदनशील एवं असभ्य होने को दर्शा रहे हैं। <br />जहां पांव में पायल, हाथ में कंगन, हो माथे पे बिंदिया... इट हैपन्स ओनली इन इंडिया, जब भी कानों में इस गाने के बोल पड़ते हैं, गर्व से सीना चौड़ा होता है। लेकिन जब उन्हीं कानों में यह पड़ता है कि इन पायल, कंगन और बिंदिया पहनने वाली औरतों के साथ इंडिया के संभ्रांत एवं नामी-गिरामी चेहरे क्या करते हैं, उसे सुनकर सिर शर्म से झुकता है। पिछले कुछ दिनों में इंडिया ने कुछ और ऐसे मौके दिए जब अहसास हुआ कि फिल्मी दुनिया के साथ ही अन्य क्षेत्रों में यौन शोषण कितना पसरा हुआ है। ये बेहद चर्चित या फिर एक दायरे तक सीमित मामले सामने आए हैं वे तो महज बानगी भर हैं। यह सहज ही समझा जा सकता है कि यौन प्रताड़ना का शिकार हुई तमाम महिलाएं ऐसी होंगी जो अपनी आपबीती बयान करने का साहस नहीं जुटा पा रही होंगी। निःसंदेह यह #MeToo अभियान के प्रति भारतीय समाज के रुख-रवैये पर निर्भर करेगा कि यौन प्रताड़ना से दो-चार हुई महिलाएं भविष्य में अपनी आपबीती बयान करने के लिए आगे आती हैं या नहीं? यौन-शोषण का आरोप लगाने से पहले महिलाओं को भी गंभीर होना होगा, क्योंकि अक्सर ऐसे मामलों में बदला लेने या अपने मन-माफिक न होने, या आर्थिक लाभ या अन्य लाभ के लिये झूठे आरोप भी लगाकर चर्चा में रहने की अनेक महिलाओं की मानसिकता होती है, ऐसी महिलाओं से इन आन्दोलन को नुकसान पहुंच सकता है। यह सावधानी एवं सतर्कता ही इस आन्दोलन को सार्थक एवं सफल बना सकती है। अब इसके लिये क्या किया जाना चाहिए, इस पर भी चिन्तन होना जरूरी है। कुछ मामलों में अपवाद भी हो सकता है जो स्त्री-पुरुष के सम्बन्धों के बीच अविश्वास पैदा करेगा। ऐसा होना भी एक बड़े असन्तुलन एवं इंसानी रिश्तों के बीच दूरियां पैदा कर देगा, जो अधिक घातक हो सकता है। स्त्री-पुरुष दोनों की रजामंदी से हुए यौन संबंध को अपने स्वार्थ के लिये 10-20 वर्ष बाद यौन-शोषण का नाम देना भी इस आन्दोलन की पवित्रता को धूमिल कर सकता है। ये ऐसे प्रश्न हैं जिन पर भी विचार किया जाना चाहिए। अभी तक फिल्म जगत से लेकर राजनीतिक व संगीत क्षेत्र में कार्यरत महिलाओं ने अपने उन पुराने सहयोगियों पर यौन शोषण के आरोप लगाए हैं जो अपने क्षेत्र के शीर्ष व्यक्तित्व हैं, हस्ती हैं। परन्तु इस प्रकार की घटनाओं को उजागर करने को हम यदि कोई महिला आंदोलन समझने की भूल करते हैं तो यह प्रतिभाशाली महिलाओं के लिये ही अंततः नुक्सानदायक हो सकता है और समूचे कार्य क्षेत्रों में महिला कर्मियों के लिए अनावश्यक रूप से सन्देह पैदा कर सकता है। महिलाओं को लेकर ऐसा सन्देह, भय या दूरी का माहौल न बने, बल्कि उनकी अस्मिता अक्षुण्ण रहे, यह सोचना है। नारी का पवित्र आँचल सबके लिए स्नेह, सुरक्षा, सुविधा, स्वतंत्रता, सुख और शांति का आश्रय स्थल बने ताकि इस सृष्टि में बलात्कार, गैंगरेप, नारी उत्पीड़न, यौन-शोषण जैसे शब्दों का अस्तित्व ही समाप्त हो जाए।<br />जो भी हो, यौन शोषण के हाल के जो मामले सामने आए हैं वे यही प्रकट कर रहे हैं कि अब महिलाएं चुप बैठने वाली नहीं हैं। वहशी एवं दरिन्दे लोग ही नारी को नहीं नोचते, समाज के तथाकथित ठेकेदार कहे जाने वाले और प्रतिष्ठित लोग भी नारी की स्वतंत्रता एवं अस्मिता को कुचलने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं, स्वतंत्र भारत में यह कैसा समाज बन रहा है, जिसमें महिलाओं की आजादी छीनने की कोशिशें और उससे जुड़ी यौन शोषण की त्रासदीपूर्ण घटनाओं ने बार-बार हम सबको शर्मसार किया है। मी टू अभियान नारी के साथ नाइंसाफी एवं यौन शोषण की स्थितियों पर आत्म-मंथन करने का है, उस अहं के शोधन करने का है जिसमें पुरुष-समाज श्रेष्ठताओं को गुमनामी में धकेल कर अपना अस्तित्व स्थापित करना चाहता है। <br />प्रश्न है कि क्या उनकी मर्जी के खिलाफ नारी का यौन शोषण होता है? क्यों नारी के जिस्म को नोंचा जाता है ? किसी भी तरह से प्रभावपूर्ण स्थिति में पहुंच गए पुरुष यह मानकर चलते दिख रहे हैं कि उनके मातहत काम करने वाली कोई भी स्त्री उनकी यौन पिपासा की पूर्ति के लिए स्वाभाविक रूप से उपलब्ध है। अगर महिला आसानी से इसके लिए राजी नहीं होती तो वह लालच देकर या ताकत का इस्तेमाल करके अपनी ख्वाहिश पूरी करना चाहता है। वैसे यह बीमारी भारत जैसे सामंती मूल्यों वाले समाज में ही नहीं, विकसित और आधुनिक समझे जाने वाले अमेरिकी समाज में भी है। पिछले साल अमेरिका और यूरोप में चले मी टू आन्दोलन ने हॉलीवुड समेत कई नामी-गिरामी दायरों को हिलाकर रख दिया था। अभिनेत्री एलिसा मिलानो ने प्रख्यात फिल्म निर्माता हार्वी वाइंस्टाइन पर यौन शोषण का आरोप लगाया था। इसके बाद तो कई अभिनेत्रियों ने अपनी पीड़ा बयान की। <br />इसी क्रम में यह हकीकत भी सामने आई कि स्त्री-पुरुष संबंधों के मामले में पुरुषों के दिमागी विसंगतियों एवं विकृतियों को दूर करने का काम आज भी पूरी दुनिया में बचा हुआ है। यह बड़ा काम है, जिसकी आवश्यकता भारत में ही नहीं, पूरी दुनिया में है। नारी का दुनिया में सर्वाधिक गौरवपूर्ण सम्मानजनक स्थान है। नारी धरती की धुरा है। स्नेह का स्रोत है। मांगल्य का महामंदिर है। परिवार की पीढ़िका है। पवित्रता का पैगाम है। उसके स्नेहिल साए में जिस सुरक्षा, शाीतलता और शांति की अनुभूति होती है वह हिमालय की हिमशिलाओं पर भी नहीं होती। सुप्रसिद्ध कवयित्रि महादेवी वर्मा ने ठीक कहा था- ‘नारी सत्यं, शिवं और सुंदर का प्रतीक है। उसमें नारी का रूप ही सत्य, वात्सल्य ही शिव और ममता ही सुंदर है। इन विलक्षणताओं और आदर्श गुणों को धारण करने वाली नारी फिर क्यों बार-बार छली जाती है, लूटी जाती है, यौन-शोषण की शिकार होती है। यह कहना कठिन है कि भारत में सहसा शुरू हुए अभियान का अंजाम क्या होगा, लेकिन महिलाओं को यौन शोषण से बचाए रखने वाले माहौल का निर्माण हर किसी की प्राथमिकता में होना चाहिए।</div>
अरुण बंछोरhttp://www.blogger.com/profile/12855170553657623179noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3857395425335515762.post-2526641175601964282015-05-11T20:28:00.002+05:302015-05-11T20:28:51.283+05:30विचार<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="post-body entry-content" id="post-body-7671600173805999959" itemprop="description articleBody" style="background-color: black; color: seashell; font-family: Arial, Tahoma, Helvetica, FreeSans, sans-serif; font-size: 13.1999998092651px; line-height: 1.4; position: relative; width: 570px;">
<div dir="ltr" trbidi="on">
<ol>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">जब हम किसी को ख़ुशी नही दे सकते तो उन्हें दुख देने का भी कोई हक़ नही है ..!!</span></li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"> <span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">हमारे माता पिता द्वारा ये हमारा जीवन उधार में मिली है ..इस कर्ज को केवल उन्हें खुशियों देकर ही चुकाया जा सकता है ..!!</span></span></li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">प्यार जताने की नही प्यार को महसूस करना जरूरी होता है ..!</span></li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"> </span><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">दर्द की सबसे अच्छी दवा मुस्कान (मुस्कराहट ) होती है !</span></li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"></span></span>इन्सान कभी मुसीबत से नही हारता लेकिन जब उसके अपने इस कठिन समय में इक-इक कर साथ छोड़ते जाते है तो वह कमजोर पड़ने लगता है और अन्त में उसकी हार निश्चित हो जाती है ..!</span> </span></li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"> </span><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">तस्वीर में कोई खराबी नही होती है देखने वालों के मन में खराबी होती है ....!</span></li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"> </span><span class="userContent">दोस्ती हमेशा दिल से करें, दिमाग से नही क्यूंकि जो दिमाग से दोस्ती की जाती है उसमे स्वार्थ छिपा होता है ..!!</span></li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"><span class="userContent"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"></span></span><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">समय गति के साथ साथ हम अपनी जिन्दगी में कुछ ना कुछ तजुर्बा हासिल करते रहते है ..तजुर्बा पाने का कोई शार्ट कट साधन नही है ..!!</span></li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">रिश्तो में विश्वास भले ही कम हो जायें लेकिन अधिकार तो हमेशा बने रहते है ..!!</span></li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"></span></span><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">जब आप किसी का दिल से सम्मान करते है तो बदले में उतने ही प्यार से सम्मान आपको भी वापिस मिल जाता है..!!</span></li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"></span></span></span><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">आप अपने किसी खास विश्वासी ब्यक्ति पर भी हद से ज्यादा विश्वास न करे, क्योंकि विश्वास में भी विष होता है, जिसका विष साँप के विष से अधिक जहरीला होता है ...!!</span></li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"></span></span></span></span><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"></span></span></span><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">दुःख और परिश्रम मानव जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है क्यूकि दुःख के बिना हृदय निर्मल नहीं होता और परिश्रम के बिना मनुष्य का विकास नहीं होता..!!</span></li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"> </span><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"></span><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">मित्रता हमेशा एक अच्छी जिम्मेदारी हो सकती है लेकिन एक मौका कभी नहीं हो सकती..!!</span></li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"> </span><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"></span><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">एक अच्छा दिमाग और एक अच्छा दिल का मेल, हमेशा बिजय का ही स्वाद देता है !!</span></li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"> </span><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">जब आप किसी के गलतियों पर गुस्सा करते है तो आप सदैव अपने आप को ही सजा देते है...!</span></li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"></span><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">दिल में आने का रास्ता तो होता है पर जाने का नही, इसलिए जब कोई दिल से जाता है तो दिल तोड़ कर ही जाता है ..!!</span></li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"></span><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">सच्ची मोहब्बत जेल की तरह होती है, जिसमे उम्र बीत जाती है पर सजा पूरी नही होती..!!</span></li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"> </span><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">महिलाएं उन पुरुषों को बेहद पसंद करती हैं, जो उन्हें रिसपेक्ट देते हैं..इसलिए आप सभी से नम्र निवेदन है स्त्री का सम्मान करे ...!!</span></li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"></span><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">अंग्रेजी भाषा न जानने का जितना दुःख नही मुझे ,उससे कही ज्यादा हिन्दी भाषा जानने पर गर्व है, क्योंकि हिन्दी भाषा हमारी मातृभाषा है ..!! </span></li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"> हमारे लिए दोस्त वही अनमोल होते है जिनके विचार सुन्दर होते है जैसे पत्थरों के ढेर में से सभी पत्थरे नही पूजे जाते है ..!</span></li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"> </span>हमारे जीवन में होने वाले बिभिन्न क्रियाओ एवम घटनाओ से हम कुछ न कुछ सीखते रहते है इसलिए हम कह सकते है कि हमारा जीवन २४*७ चलने वाला पाठशाला है ..!</li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"> गलत लोगो के संगती से फर्क नही पड़ता, फर्क पड़ता है तो उनके गलत मानसिकता से ..!</li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"> <span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">हमारे जीवन में होने वाले बिभिन्न क्रियाओ एवम घटनाओ से हम कुछ न कुछ सीखते रहते है इसलिए हम कह सकते है कि हमारा जीवन २४*७ चलने वाला पाठशाला है ..!</span></li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"> </span><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">यदि हमारा जीवन का डगर समस्याओ से अस्त-ब्यस्त है तो इस डगर को पार करने की देर है ..उसपार खुशियाँ आपना आँचल फैलाये इंतज़ार कर रही होती है ...!</span></li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"> </span><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">मनुष्य साहसपूर्ण ढंग से किसी भी समस्या,दुःख का निदान कर सकता है ..!</span></li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"> </span><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">परिस्थिति जब हमारे खिलाफ़ हो जाये तो हमे शांति और समझदारी से काम लेना चाहिए ..!</span></li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"> </span>यदि कभी आपकी आशा निराशा में बदल गयी हो तो मायूश होने के बजाय पुन: मन में नये आशाएं जागृत करने की आवश्यकता है ...मन की इच्छाए और आशाएं कभी मरने नही चाहिए ..!</li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"> <span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">यदि किसी सामूहिक समस्या का हल चाहिए तो हमेशा सामने वालो को भी सोचने का समय दे !</span></li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"> </span><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">उन सज्जनों और देविओं की उम्र और ओहदा सब बेकार है जिन्हने अपने अनुभव को अपने तक ही सिमित रखा है ...!</span></li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"> </span><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">अच्छी बातें करने वाले को लोगो के सत्कार और झिझकार दोनों का सामना करना होता है, जहाँ सत्कार से आप ख़ुश होते है वही झिझकार से कभी मायूस न हो ..!</span></li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"> </span><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">मै छोटे की भी इज्ज़त करती हूँ और बड़ो की भी मेरे लिए उनका उम्र नही चरित्र (ब्यवहार) मायने रखता है ..!</span></li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"> </span><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">प्यार का सिला उस गुलाब के पौधे से सीखिए जो अपने जमीं पर रहते हुए नाज़ुक कलि को सराखो पर रखता है ....!</span></li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"> हमे एक उद्देश्य निर्धारित करके उसे प्राप्त करने की कोशिश करते रहना चाहिए !</span></li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"> </span><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">गुलाब के जैसे हम इंसानों की पहचान होनी चाहिए जैसे गुलाब जमीन से उठाकर फिर जमीन पर आ गिरे तब भी गुलाब ही कहलाती है ...!</span></li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">किसी ब्यक्ति को जानने के लिए अधिक दिन की नही बल्कि एक दिल की जरूरत होती है ...!</span></li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"> </span><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">खुद के मनोरंजन के लिए साधन हर समय, हर वक्त हमारे पास मौजूद है हमे उसे क्रियान्वित करने की जरूरत है ...!</span></li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"> </span>अच्छाई-बुराई मनुष्य के बिकास के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी का कार्य करती है ..!</li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"> <span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">मन के गहराइयों में जो भी डूबेगा वो विचार रूपी बाल्टी में कुछ न कुछ शब्द बाहर ले आएगा ..!</span></li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"> इतना ही बोलिए जितना की सुनने वाले को बुरा न लगे ...!</span></li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"> </span>कुछ खूबसूरत चीजो को देखा या छुआ नही जा सकता केवल महसूस किया जाता है ...!</li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"> दिल तो प्रत्येक ब्यक्ति के पास होता है लेकिन दिलदार कोई कोई ही होता है ...!</li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;">दिल उनका बड़ा होता है जिनमे दया ,प्रेम एवं क्षमा का वास होता है ...!</li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;">अपने मन में अच्छे विचारो को ही जगह दे आपके सम्मान और बिकास के लिए उपयोगी सिद्ध होगा ..!</li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;">मन में बदले का भावना, अहंकार बश उत्पन्न होता है ...!</li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;">दिल की हर बात को अपने जुबान पर जल्दी नही लानी चाहिए,<br />लेकिन दिल की अच्छी और सच्ची बात जुबान पर लाने में देर भी नही लगानी चाहिए ...!</li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;">ईश्वर भी उसी ब्यक्ति का सहायता करते है जो अपने कार्यो के प्रति प्रयत्नशील रहता है ...!</li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;">घबराते वे लोग है जिनको अपने उपर तनिक भी विश्वास नही होता है ...!</li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;">इन्सान स्वार्थ ,फ़रेब ,धोखा,लालच रूपी जमीन पर दोस्ती का मजबूत और टिकाऊ माकन नही बना सकता...!</li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"> मधुर वाणी बोलने वाले ब्यक्ति के आस पास कभी भी दरिद्रता नही भटकती ..!</li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;">सहानुभूति केवल हौसलाअफजाई नही करता बल्कि आपसी प्रेम को भी बढ़ता है ...!</li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;">जो ख़्वाब आँखों को पीड़ा देते हो उन्हें नही देखना चाहिए ...!</li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;">ये दुनियाँ ख़ूबसूरत हमको तभी दिखेगी जब हमारा मन ख़ूबसूरत होगा ..!</li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;">प्रत्येक ब्यक्ति का सोच अपने ही दिमाग की उपज होती है उपर हमारा कोई प्रतिबन्ध नही होता ...!</li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"> फ्रस्ट्रेशन एक बुद्धिजीवी मनुष्य को क्षण भर के लिए ही सही लेकिन बुद्धिहीन बना ही देता है ...!</li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"> उस ब्यक्ति की दोस्ती ज्यादा दिन नहीं टिक सकती, जिसका दिल शुद्ध व पवित्र नहीं है..!</li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"> मीठे व बुद्धिमानी से प्रयोग किये गये शब्द चुम्बक की तरह लोगो का ध्यान आकर्षित करते है..!</li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"> आशीर्वाद दिल से निकलते है मुख केवल पुष्टि करता है ,,!</li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"> गधे को कितना भी चना क्यू न खिला दो वो घोड़ा नही बनता....! </li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"> इस संसार में चाहे कोई कितना भी सुखी क्यू न हो लेकिन मन सुखी नही होता...!</li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"> हम चाहे तो जिन्दगी के हर क्षेत्र में समझौता करने की सोच सकते है लेकिन चरित्र के क्षेत्र में कभी भूलकर भी सोचना नही चाहिए ...!</li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"> व्याकरण की तरह जीवन में भी यह होता है कि अपवादों की संख्या नियमों से भी अधिक बढ़ जाती है....!</li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"> जो ब्यक्ति हमेशा दुसरो के भलाई की बातें करता है उसके मित्र एक नही अनेक होते है ...!</li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"> दिमाग उस नदी व तालाब की तरह होती है जिधर जल का प्रवाह होगा उधर ही बहने लगेगी ...!</li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"> जिसमे हमारा नुकसान नही उसे दुसरे को देने से परहेज कभी नही करना चाहिए ...! जैसे ज्ञान </li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;">किसी प्रतिष्ठित पद से ज्यादा प्रभावशाली मनुष्य का अपना चरित्र होता है ....!</li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"> एक विवेकशील ब्यक्ति कई बाहुबलियों से ज्यादा वलवान होता है..!</li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"> एक इन्सान में अदब तभी तक बना रहता है जब तक उसके दिल में दुसरे के लिए इज्ज़त होती है ..!</li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"> अज्ञानी ,मूर्खो की दोस्ती स्वं को कष्ट देती है ...क्योकि उसमे किसी तथ्य को समझने और उचित बोलने की क्षमता नही होती ...!</li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"> आप किसी नतीजे पर पहुचे उससे पहले सामने वालो को इत्तिलाह कर उसे भी सोचने/सफाई देने का समय दे... !</li>
<li style="margin: 0px 0px 0.25em; padding: 0px;"> जो मनुष्य देखता है उसी को सत्य समझ बैठता है परन्तु कभी कभी वह पूर्णतया सत्य नही होता ...!</li>
</ol>
</div>
</div>
</div>
अरुण बंछोरhttp://www.blogger.com/profile/12855170553657623179noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3857395425335515762.post-47357056440994481312015-05-11T20:24:00.003+05:302015-05-11T20:29:05.888+05:30लव शायरी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="post-body entry-content" id="post-body-5218149415084080788" itemprop="description articleBody" style="background-color: black; color: seashell; font-family: Arial, Tahoma, Helvetica, FreeSans, sans-serif; font-size: 13.1999998092651px; line-height: 1.4; position: relative; width: 570px;">
<div dir="ltr" trbidi="on">
<div dir="ltr">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiLR4NmqCYWI6vlnQi3RaSuI-In1TjEzkxuBIjNVBOrFfknvBMqnETlMBFWu6pDIvokEnb9TKwqcYZYsK6wlhm1ZxHjXU0mgWlK4GecuaLDK6nRmyFYEU38PuoyQYbht2zzUKfLpsFfcbU/s1600/1530526_238005643042162_2060314817_n.jpg" imageanchor="1" style="color: #ddbb99; margin-left: 1em; margin-right: 1em; text-decoration: none;"><img border="0" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiLR4NmqCYWI6vlnQi3RaSuI-In1TjEzkxuBIjNVBOrFfknvBMqnETlMBFWu6pDIvokEnb9TKwqcYZYsK6wlhm1ZxHjXU0mgWlK4GecuaLDK6nRmyFYEU38PuoyQYbht2zzUKfLpsFfcbU/s1600/1530526_238005643042162_2060314817_n.jpg" style="-webkit-box-shadow: rgba(0, 0, 0, 0.0980392) 1px 1px 5px; background: rgb(255, 255, 255); border: 1px solid rgb(102, 0, 0); box-shadow: rgba(0, 0, 0, 0.0980392) 1px 1px 5px; padding: 8px; position: relative;" width="320" /></a></div>
<div style="text-align: center;">
<span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"><span class="text_exposed_show"></span></span><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">दिल की बात कभी गलत नही होता यह मान लीजिये,<br />दिल लेफ्ट में होते हुए भी हमेशा राईट में होता है यह जान लीजिये ..!!</span></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">दिल का दिल से दीदार होता है धीरे धीरे<br />प्यार को प्यार से प्यार होता है धीरे धीरे .!</span></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
मोहबत के सफर में गुम हो गया है कोई<br />
तुम मुझे ढूंढ ,मै तुझे ढूढ़ती हूँ ...!</div>
<div style="text-align: center;">
<br />
<br />
<span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">क्यूँ माँगा तुमने दिल में थोड़ी सी जगह<br /> </span> तुम तो सदा मेरे दिल में रहते हो ...!</span><br />
<span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"><br /></span>
मांग कर दिल में जगह पल में पराया कर दिया<br />
अरे ! तुम तो सदा मेरे दिल में बसते हो ...!<br />
<br />
<div class="separator" style="clear: both;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiUD0nFNSM2bWx-HI39OeKXPlf7ZfoE7Xdu7EJxzOfC-j4djItpinkQ0uXFvhBOdSAxH0ATpF3LtomfgixS-htvjOy9RFqCj7EfU6VNFVBAZ6dEqCf4UEsvDuXV8ayW5czKTXxP5tTVCx4/s1600/Untitled-1+copy.jpg" imageanchor="1" style="color: #ddbb99; margin-left: 1em; margin-right: 1em; text-decoration: none;"><img border="0" height="248" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiUD0nFNSM2bWx-HI39OeKXPlf7ZfoE7Xdu7EJxzOfC-j4djItpinkQ0uXFvhBOdSAxH0ATpF3LtomfgixS-htvjOy9RFqCj7EfU6VNFVBAZ6dEqCf4UEsvDuXV8ayW5czKTXxP5tTVCx4/s1600/Untitled-1+copy.jpg" style="-webkit-box-shadow: rgba(0, 0, 0, 0.0980392) 1px 1px 5px; background: rgb(255, 255, 255); border: 1px solid rgb(102, 0, 0); box-shadow: rgba(0, 0, 0, 0.0980392) 1px 1px 5px; padding: 8px; position: relative;" width="320" /></a></div>
</div>
<div style="text-align: center;">
<span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">एक जमाना वो था मुहबब्त, बिन कारण हुआ करता<br />एक जमाना ये है, बिन कारण किसी से मुहब्बत नही होता ..!<br />( कारण - सूरत ,धन ,अमीरी-गरीबी ,पद , इत्यादि )</span><br />
<br />
<div class="separator" style="clear: both;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgm3Jug3UkmY0XLyeDT0-28UftY5iCzu91tglorJT4f6Ol23wuOOG63DbgvS4VoCUQwPtUcy_BZ0LqAcugtXAU6lxgkPuGO0se5GVb4-9NMmwyxPkdzqDbCUhzLPGKVy4KdjNO2deXhUMA/s1600/579201_750089191688415_332113299_nkjpg.jpg" imageanchor="1" style="color: #ddbb99; margin-left: 1em; margin-right: 1em; text-decoration: none;"><img border="0" height="301" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgm3Jug3UkmY0XLyeDT0-28UftY5iCzu91tglorJT4f6Ol23wuOOG63DbgvS4VoCUQwPtUcy_BZ0LqAcugtXAU6lxgkPuGO0se5GVb4-9NMmwyxPkdzqDbCUhzLPGKVy4KdjNO2deXhUMA/s1600/579201_750089191688415_332113299_nkjpg.jpg" style="-webkit-box-shadow: rgba(0, 0, 0, 0.0980392) 1px 1px 5px; background: rgb(255, 255, 255); border: 1px solid rgb(102, 0, 0); box-shadow: rgba(0, 0, 0, 0.0980392) 1px 1px 5px; padding: 8px; position: relative;" width="320" /></a></div>
</div>
<div style="text-align: center;">
<span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"> </span>नही होता दीदार उसका तो दिन रात क्यू तड़पती हूँ<br />
नही है मेरे लिए क्या और कोई , उसी का रास्ता क्यू देखती हूँ ...!<br />
<br />
<br />
एक नज़र की आस में खुद रह जाओगे<br />
इस तरह न देखो वरना देखते रह जाओगे<br />
बेझिझक कह देना अपने दिल की बात वर्ना<br />
सोचोगे तो जिन्दगी भर सोचते रह जाओगे...!<br />
<br />
होंठो से तेरा होंठो को गीला कर दूँ<br />
तेरे होंठो को में और भी अब रसीला कर दूँ<br />
तू इस क़दर प्यार करे के प्यार की इन्तहा हो जाये<br />
तेरे होंठो को चूस कर तुझे और भी जोशीला कर दूँ ..!<br />
<br />
एक बार तो मुझे सीने से लगा ले<br />
अपने दिल के सारे अरमान सजा ले<br />
कब से है तड़प तुझे अपना बनाने की<br />
आज तो मौका है मुझे अपने पास बुला ले..!<br />
<br />
आपकी आदत है रूठ जाने की<br />
मेरी फितरत नही किसी को मानाने की<br />
पर मानाने को मजबूर कर देता है ये दिल<br />
क्युकी ख़ुदा ने इजाजत नही दी आपका दिल दुखाने की..!<br />
<br />
जब नगमे नही लिखे जाते<br />
जब पैगाम नही भेजे जाते<br />
ये मत समझना हम भूल गये आपको<br />
ख्याल तो आता है बस अल्फाज नही मिल पाते ..!<br />
<br />
उन्हें ये शिकायत है हमसे की<br />
हम हर किसी को देखकर मुस्कुराते हूँ<br />
जो ना समझ है वो क्या जाने<br />
हमे तो हर चेहरे में वो नज़र आते है<br />
<br />
तेरा प्यार ने ज़िन्दगी से पहचान करायी है<br />
मुझे वो तूफानों से फिर लौटा के लायी है<br />
बस इतनी ही दुआ करते है ख़ुदा से हम<br />
बुझे ना ये शमा कभी जो हमने जलाये है ..!<br />
<br />
प्यार की अनोखी मूरत हो तुम<br />
ज़िन्दगी की एक ज़रूरत हो तुम<br />
फूल तो खूबसूरत होते ही है<br />
पर फूलो से भी खूबसूरत हो तुम<br />
<br />
वो कहते है मजबूर है हम<br />
न चाहते हुए भी दूर है हम<br />
चुरा ली उन्होंने धडकने भी हमारी<br />
फिर भी वो कहते है बे-कसूर है हम...!<br />
<br />
बस मुझे आपका एक सलाम मिल जाये<br />
सलाम के साथ एक पैगाम मिल जाये<br />
खुस है आप मेरे बिना ये जानकर<br />
दिल-ए-बेचैन को कुछ आराम मिल जाये..!<br />
<br />
रूठ जाओ कितना भी पर माना लेंगे<br />
दूर जाओ कितना भी भुला लेंगे<br />
दिल आखिर दिल है कोई समुन्दर की रेट नही<br />
जो लिख के नाम आपका हम युही मिटा देंगे ..!<br />
<br />
<div class="separator" style="clear: both;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhAVdEZPIojLgJZl7ZAkdXWs4VoNHAq1TkzuQKyizis82_FyMTGpn2lqK-mNgwHPUyussZrj-hcx-uySbCbyKd0gn3u_gw-3iAuQSvGlcg0sI9h9c6QtHEBEA1NpBtqeaMD_IyRLwjp-mM/s1600/awesome+pic.jpg" imageanchor="1" style="color: #ddbb99; margin-left: 1em; margin-right: 1em; text-decoration: none;"><img border="0" height="306" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhAVdEZPIojLgJZl7ZAkdXWs4VoNHAq1TkzuQKyizis82_FyMTGpn2lqK-mNgwHPUyussZrj-hcx-uySbCbyKd0gn3u_gw-3iAuQSvGlcg0sI9h9c6QtHEBEA1NpBtqeaMD_IyRLwjp-mM/s1600/awesome+pic.jpg" style="-webkit-box-shadow: rgba(0, 0, 0, 0.0980392) 1px 1px 5px; background: rgb(255, 255, 255); border: 1px solid rgb(102, 0, 0); box-shadow: rgba(0, 0, 0, 0.0980392) 1px 1px 5px; padding: 8px; position: relative;" width="320" /></a></div>
</div>
<div style="text-align: center;">
<br />
<br />
बांहों में मेरी झूमकर तुम, अगर अपनी नज़र से पिलाओगे तुम<br />
"रिया" तो होश गवां देगी अपनी, जन्नत में पहुच जाओगे तुम ..!<br />
<br />
रात बीतने को है फिर भी "रिया" को इन्तेजार है तेरा<br />
अरे जालिम तू खुद क्यों नही कह देता तू प्यार है मेरा... !<br />
<br />
<br />
<span class="fbPhotosPhotoCaption" data-ft="{"tn":"*G","type":45}" id="fbPhotoPageCaption" tabindex="0">दिल की बात होंठो से गुजरी बस इजहार-ए अंदाज़ बदल रहे<br />दुनियाँ के नज़रो से छुप छुप के अब प्रेम शायरी में कर रहे है..!</span></div>
</div>
</div>
</div>
</div>
अरुण बंछोरhttp://www.blogger.com/profile/12855170553657623179noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3857395425335515762.post-57289910145538649202015-05-11T20:23:00.003+05:302015-05-11T20:23:43.961+05:30गुड मोर्निंग शायरी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="post-body entry-content" id="post-body-5868609731062222373" itemprop="description articleBody" style="background-color: black; color: seashell; font-family: Arial, Tahoma, Helvetica, FreeSans, sans-serif; font-size: 13.1999998092651px; line-height: 1.4; position: relative; width: 570px;">
<div dir="ltr" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgz6Jthhl9AoMEUVF8CdJaLhV3ARNRaAQZO_7_52cESEVeDWV4goQ0NwXvN71yoRFhNkpZRP_KgHovj8mHNn4PSBWlF8MXAp7IvSawrNIsFHZEEvXer6R8r97AFFcfoQt0KM72fttKHPeQ/s1600/1959607_10151907059110756_92948835_n+copy.jpg" imageanchor="1" style="color: #ddbb99; margin-left: 1em; margin-right: 1em; text-decoration: none;"><img border="0" height="264" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgz6Jthhl9AoMEUVF8CdJaLhV3ARNRaAQZO_7_52cESEVeDWV4goQ0NwXvN71yoRFhNkpZRP_KgHovj8mHNn4PSBWlF8MXAp7IvSawrNIsFHZEEvXer6R8r97AFFcfoQt0KM72fttKHPeQ/s1600/1959607_10151907059110756_92948835_n+copy.jpg" style="-webkit-box-shadow: rgba(0, 0, 0, 0.0980392) 1px 1px 5px; background: rgb(255, 255, 255); border: 1px solid rgb(102, 0, 0); box-shadow: rgba(0, 0, 0, 0.0980392) 1px 1px 5px; padding: 8px; position: relative;" width="320" /></a></div>
<div style="text-align: center;">
नई सुबह,</div>
<div style="text-align: center;">
नई किरणें,</div>
<div style="text-align: center;">
नई आशा,</div>
<div style="text-align: center;">
नई उम्मीदें,</div>
<div style="text-align: center;">
नये रास्ते,</div>
<div style="text-align: center;">
इन सब के साथ आपको दिल से – सुप्रभात...!</div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
सुबह काफी हो चुकी है, अब चिराघ बुझा दीजिये</div>
<div style="text-align: center;">
एक हसीं दिन राह देखता है आपकी, बस पलकों के परदे उठा लीजिये..!</div>
<div style="text-align: center;">
शुभ दिवस..!</div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
प्यारी सी ठंडी सी अच्छी सी खूबसूरत सी बड़ी सी भोली सी मीठी सी . .. गुड मोर्निंग...!</div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
नैनो के काजल से,</div>
<div style="text-align: center;">
महकों की बहार से,</div>
<div style="text-align: center;">
इस गुल-ए-गुलज़ार से,</div>
<div style="text-align: center;">
दिल के हर तार से</div>
<div style="text-align: center;">
बड़े ही प्यार से,</div>
<div style="text-align: center;">
कहते हैं आपको... गुड मोर्निंग..!</div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
सजती रहे खुशियों की महफ़िल</div>
<div style="text-align: center;">
लेकिन हर ख़ुशी सुहानी रहे</div>
<div style="text-align: center;">
आप जिंदगी में इतने खुश रहें</div>
<div style="text-align: center;">
कि हर ख़ुशी आपकी दीवानी रहे.....!</div>
<div style="text-align: center;">
शुभ दिन</div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
ख़्वाबों के जहाँ से अब लौट भी आओ</div>
<div style="text-align: center;">
हुई है सुबह अब जाग भी जाओ</div>
<div style="text-align: center;">
चाँद-तारों को अब कह भी दो ‘बाय’ और प्यारी सी सुबह को कहो, ‘हाय’.... गुड मोर्निंग...!<br /><br />बुड्ढा हो चाहे बच्चा ...<br />झूठा हो चाहे सच्चा<br />ईश्वर तेरे हम सब बच्चा ..<br />दिन कर सबके अच्छा ..!<br />सु-प्रभात,आपका दिन शुभ एवं मंगलमय हो ..!<br /><br /><br />सूरत जो तेरी देखि अपने मन के झरोखे से<br />दिल में एक ज्वार उठी तुझे पाने की जो रुके ना रोके से..!<br />सु-प्रभात,आपका दिन शुभ एवं मंगलमय हो ..!</div>
</div>
</div>
</div>
अरुण बंछोरhttp://www.blogger.com/profile/12855170553657623179noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3857395425335515762.post-69583289858254473102015-05-11T20:22:00.002+05:302015-05-11T20:22:56.112+05:30दर्द भरे शायरी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="post-body entry-content" id="post-body-2489281044507377215" itemprop="description articleBody" style="background-color: black; color: seashell; font-family: Arial, Tahoma, Helvetica, FreeSans, sans-serif; font-size: 13.1999998092651px; line-height: 1.4; position: relative; width: 570px;">
<div dir="ltr" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg5AeFFvDSrKvW8MLWHn2nektOVCjzGmVtFkGqEBT7p6ZT7IWyaNlbbeS6zcs0monZBvVNt3lZ80Y56Yl294owxmdR4VmGVSfXWhEmsH02j4AcUeuxpIG_RmIm4vA-lHCX-8bbw1taB8_4/s1600/10365822_1413407485612682_4781066869669517502_n.jpg" imageanchor="1" style="color: #ddbb99; margin-left: 1em; margin-right: 1em; text-decoration: none;"><img border="0" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg5AeFFvDSrKvW8MLWHn2nektOVCjzGmVtFkGqEBT7p6ZT7IWyaNlbbeS6zcs0monZBvVNt3lZ80Y56Yl294owxmdR4VmGVSfXWhEmsH02j4AcUeuxpIG_RmIm4vA-lHCX-8bbw1taB8_4/s1600/10365822_1413407485612682_4781066869669517502_n.jpg" style="-webkit-box-shadow: rgba(0, 0, 0, 0.0980392) 1px 1px 5px; background: rgb(255, 255, 255); border: 1px solid rgb(102, 0, 0); box-shadow: rgba(0, 0, 0, 0.0980392) 1px 1px 5px; padding: 8px; position: relative;" width="320" /></a></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">उठी जो शर्द हवा रोज बरस गया पानी<br />आह भरके सावन की गुजर गयी जवानी ..!</span></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"> </span><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">गम ए आरजू तेरी आह में, शब् ए आरजू तेरी चाह में<br />जो उजड़ गया वो बसा नही और जो बिछड़ गया वो मिला नही ..!!</span></div>
<div style="text-align: center;">
<span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"><br /></span></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">लगती है जिसके दिल पर, वो आँखों से नही रोते<br />जो अपनों के ही न हो पाए, वो किसी के नही होते ..!!</span></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"> </span><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">मौत सिर्फ नाम से बदनाम है, वरना तकलीफ तो जिन्दगी ही ज्यादा देती है.. </span></div>
<div style="text-align: center;">
<span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">और स्त्री (वीवी ) सिर्फ नाम से बदनाम है, वरना तकलीफ में वही साथ देती है ...!!</span></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<span class="userContent"> </span><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">खवाब एक, मुश्किलें हज़ार हैं<br />तन्हाई और गम मेरे जीवन भर के यार हैं<br />अब तो दिल मौत के लिए भी तैयार है<br />क्यूँकि इस जीवन मे सिर्फ़ एक बेवफा से प्यार है..!!</span></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">जुल्म इतना भी न कर की लोग कहे तुझे दुश्मन मेरा<br />क्यूंकि हमने जमाने को तुजे अपनी जान बता रखा है !!</span></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"> </span><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">हमें मालूम था अंजाम इश्क का लेकिन<br />जवानी जोश पर थी जिन्दगी बर्बाद कर बैठी ..!!</span></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"> </span><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">दिल का जख्म कैसे दिखाऊ किसी को यारों,<br />मरहम की जगह सब नमक लगाते है ..!!</span></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"> </span><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">यदि रुठा हो प्यार तो मनाने मेँ क्या जाता है,<br />यही प्यार है यारोँ इसके हर ढंग मेँ मजा आता है.!!</span></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"> हंसो इतना कि तेरी हंसी पे सारा जमाना रो दे<br />रोना इतना कि आँसुओं की बाढ़ में वो सब कुछ खो दे.!</span></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"> गमें इश्क में आपके चूर होकर<br />तड़पता है दिल मेरा मजबूर होकर ..!!</span></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
संगीत सुनकर ज्ञान नहीं मिलता</div>
<div style="text-align: center;">
मंदिर जा कर भगवान नहीं मिलता</div>
<div style="text-align: center;">
पत्थर तो इसलिए पूजते हैं लोग</div>
<div style="text-align: center;">
क्यूँ कि विश्वास के लायक इंसान नहीं मिलता !!</div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
रास्ते खुद ही तबाही के निकाले हम ने</div>
<div style="text-align: center;">
कर दिया दिल किसी पत्थर के हवाले हमने</div>
<div style="text-align: center;">
हाँ ! मालूम हैं क्या चीज़ हैं मुहब्बत यारो</div>
<div style="text-align: center;">
अपना ही घर जल कर देखें हैं उजाले हमने..!</div>
<br /><br /><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhuv06Uzx8XKFEjXrs5PNxPXQg7TJlKVOF_Ps6iwDKuS9KjBgYt4kYku-WCAlDiBE7xojOD74xnDrfZo1WJ_PsHpt7JDCRI1Y7ynrPZ30aVeegfwkvQeDf0D_UhIAGAYGPgm9DmBGW88Qg/s1600/famke+crying.jpg" imageanchor="1" style="color: #ddbb99; margin-left: 1em; margin-right: 1em; text-decoration: none;"><img border="0" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhuv06Uzx8XKFEjXrs5PNxPXQg7TJlKVOF_Ps6iwDKuS9KjBgYt4kYku-WCAlDiBE7xojOD74xnDrfZo1WJ_PsHpt7JDCRI1Y7ynrPZ30aVeegfwkvQeDf0D_UhIAGAYGPgm9DmBGW88Qg/s1600/famke+crying.jpg" style="-webkit-box-shadow: rgba(0, 0, 0, 0.0980392) 1px 1px 5px; background: rgb(255, 255, 255); border: 1px solid rgb(102, 0, 0); box-shadow: rgba(0, 0, 0, 0.0980392) 1px 1px 5px; padding: 8px; position: relative;" width="320" /></a></div>
<br /><div style="text-align: center;">
आँखों के सागर में ये जलन हैं कैसी</div>
<div style="text-align: center;">
आज दिल को तड़पने की लगन हैं कैसी</div>
<div style="text-align: center;">
बर्फ की तरह पिघल जायेगी जिंदगी</div>
<div style="text-align: center;">
ये तेरी दूर रहने की कसम हैं कैसी....!</div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
रोया है बहुत तब जरा करार मिला है</div>
<div style="text-align: center;">
इस जहाँ में किसे भला सच्चा प्यार मिला है</div>
<div style="text-align: center;">
गुजर रही है जिंदगी इम्तिहान के दौर से</div>
<div style="text-align: center;">
एक ख़तम तो दूसरा तैयार मिला है..!</div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">रोने से किसी को पाया नहीं जाता<br />खोने से किसी को भुलाया नहीं जाता<br />यादें तो रहती है हमेशा ही ताज़ी<br />चाहे जिन्दगी में जितनी भी हो बर्बादी ..!</span></div>
<br /><br /><div style="text-align: center;">
जख्म जब मेरे सीने के भर जायेंगें</div>
<div style="text-align: center;">
आसूं भी मोती बन कर बिखर जायेंगें</div>
<div style="text-align: center;">
ये मत पूछना किस-किस ने धोखा दिया</div>
<div style="text-align: center;">
वर्ना कुछ अपनों के चेहरे उतर जायेंगें..!</div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
दर्द हैं दिल मैं पर इसका ऐहसास नहीं होता</div>
<div style="text-align: center;">
रोता हैं दिल जब वो पास नहीं होता</div>
<div style="text-align: center;">
बरबाद हो गए हम उनकी मोहब्बत मैं</div>
<div style="text-align: center;">
और वो कहते हैं कि इस तरह प्यार नहीं होता...!!</div>
<br /><br /><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi9eccx_EaapTym2jZ9ZcMTTDEn2fguyblbhBPLTk9TdBLmjsnot2ShZW10PE4afO40EjNEUEYsHazC7GmZd8RVZe5eC7arlRWO2JKY6jXxOCDUtmHtzZcSMPl6_UZWuVQJJTBrBnvbr0s/s1600/1174831_510730579001972_1003703644_n.jpg" imageanchor="1" style="color: #ddbb99; margin-left: 1em; margin-right: 1em; text-decoration: none;"><img border="0" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi9eccx_EaapTym2jZ9ZcMTTDEn2fguyblbhBPLTk9TdBLmjsnot2ShZW10PE4afO40EjNEUEYsHazC7GmZd8RVZe5eC7arlRWO2JKY6jXxOCDUtmHtzZcSMPl6_UZWuVQJJTBrBnvbr0s/s1600/1174831_510730579001972_1003703644_n.jpg" style="-webkit-box-shadow: rgba(0, 0, 0, 0.0980392) 1px 1px 5px; background: rgb(255, 255, 255); border: 1px solid rgb(102, 0, 0); box-shadow: rgba(0, 0, 0, 0.0980392) 1px 1px 5px; padding: 8px; position: relative;" width="320" /></a></div>
<br /><div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<span class="userContent">तुमने आंसू ही दिये हैं हमेशा इन आँखों को<br />आज कुछ पल के लिए इन होंठो को मुस्काने दो..!</span></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<br /></div>
<div style="text-align: center;">
<div>
<span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">आज भी तलाशती है नजरे प्रेम से लबालब उस कश्ती को ,</span><br /><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">हमारे ही कमी से जो डूब गयी थी शक के नदी में ..!!</span></div>
<br /><div>
<br /></div>
<div>
<span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"> </span><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">सोचते हैं अक्सर तन्हाई में रहके<br />क्या मिला हमें परछाई में रहके<br />मोहब्बत करके भी कुछ हासिल न हुआ<br />बस तड़पते है हर पल रुसवाई में रहके..!!</span></div>
<div>
<br /></div>
<div>
<br /></div>
<div>
<span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">रोने से किसी को पाया नहीं जाता </span><br /><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">खोने से किसी को भुलाया नहीं जाता</span><br /><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">यादें तो रहती है हमेशा ही ताज़ी</span><br /><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">चाहे जिन्दगी में जितनी भी हो बर्बादी ..!</span><br /><br /><div class="_5pbx userContent" data-ft="{"tn":"K"}">
दोस्तों मै अभी जाती हूँ पुनः मुलाकात होगी<br />आप पंक्ति पे गौर करे दर्द ए प्यार का एहसास होगी ..!</div>
<span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">उसने कहा था आँखे भर देखा करो मुझे लेकिन<br />जब आँखे भर आती है तो वो नज़र नही आते ...!</span><br /><br /></div>
</div>
<div style="text-align: center;">
<div class="separator" style="clear: both;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjIY1regc97lSDvghDmB5lUEvuxAWY6Mbjl7Fmf6NhxHFsWCuKEdstcRE0BtJZfLTh7n78k407Y-4Y1_2vTO9wUWjQUKUbzyabO73eA7HNokESgBuDdJNMxiHqr7mF1v3wFCOcBrtvqL_0/s1600/1236106_1412416332318407_139676695_n.jpg" imageanchor="1" style="color: #ddbb99; margin-left: 1em; margin-right: 1em; text-decoration: none;"><img border="0" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjIY1regc97lSDvghDmB5lUEvuxAWY6Mbjl7Fmf6NhxHFsWCuKEdstcRE0BtJZfLTh7n78k407Y-4Y1_2vTO9wUWjQUKUbzyabO73eA7HNokESgBuDdJNMxiHqr7mF1v3wFCOcBrtvqL_0/s1600/1236106_1412416332318407_139676695_n.jpg" style="-webkit-box-shadow: rgba(0, 0, 0, 0.0980392) 1px 1px 5px; background: rgb(255, 255, 255); border: 1px solid rgb(102, 0, 0); box-shadow: rgba(0, 0, 0, 0.0980392) 1px 1px 5px; padding: 8px; position: relative;" width="320" /></a></div>
</div>
<div style="text-align: center;">
<br /><br /><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">अब कुछ अच्छा नही लगता ये क्या हो गया मुझे<br />शायद किसी अजनबी की बददुआ लग गयी मुझे ...!</span><br /><br /><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"> <span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">कहते है लोग हमारे समाज में असीम प्यार है<br />देखना आज है मुझको इस पर कितनो को एतबार है ...!</span></span><br /><br /><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"> </span><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">मन में जिनके औरतो के लिए कोई सम्मान नही<br />उनका आस पास भटकना कोई खतरे से कम नही ...!</span><br /><br /><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}"> </span><span class="_5yl5" data-reactid=".3o.$mid=11410783463624=2a24e97ee0e87e18232.2:0.0.0.0.0">दिल के दर्द जल्दी जुबा पे आते नही </span><br /><span class="_5yl5" data-reactid=".3o.$mid=11410783463624=2a24e97ee0e87e18232.2:0.0.0.0.0">शराब के जुबा पे लगते ही अन्दर रह पते नही ...!</span><br /><br /><br /><span class="_5yl5" data-reactid=".3o.$mid=11410783463624=2a24e97ee0e87e18232.2:0.0.0.0.0"> </span>मोहब्बत की हवा जिस्म की दवा बन गयी<br />आपसे दुरी मेरे चाहत की सजा बन गयी<br />अब कैसे भुलाऊ आपको एक पल के लिए<br />आपकी याद हमारी जीने की वजह बन गयी ...!<br /><br /> शीशे के तौह्फे न देना किसी को लोग तोड़ दिया करते है<br />बहुत ख़ूबसूरत हो जो<br />उनसे कभी मोहब्बत न करना<br />अक्सर खूबसूरती में मगरूर लोग ही दिल को तोड़ दिया करते है ...!<br /><br /><br /><span class="userContent" data-ft="{"tn":"K"}">क्या करे तुमसे दूर जाने का मेरा कोई इरादा नही था<br />लेकिन हालात ने बिछड़ने के लिए मजबूर कर दिया था ..!</span><br /><br /><div class="separator" style="clear: both;">
</div>
<br /><div class="separator" style="clear: both;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgkVMiwmOFtsVrhSGUq2OnunoTvMCcPkWlvuQeLvwAkpmTxVjynIaRJMq3hiEiXaWdY56f3pndQE-bNcnqmhkyUDUsy-iUQQXziCk5KPazokeRX-YQr3ADwzZna7TD0r6IvxqgPXRnzqU4/s1600/uruk_hak.jpg" imageanchor="1" style="color: #ddbb99; margin-left: 1em; margin-right: 1em; text-decoration: none;"><img border="0" height="244" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgkVMiwmOFtsVrhSGUq2OnunoTvMCcPkWlvuQeLvwAkpmTxVjynIaRJMq3hiEiXaWdY56f3pndQE-bNcnqmhkyUDUsy-iUQQXziCk5KPazokeRX-YQr3ADwzZna7TD0r6IvxqgPXRnzqU4/s1600/uruk_hak.jpg" style="-webkit-box-shadow: rgba(0, 0, 0, 0.0980392) 1px 1px 5px; background: rgb(255, 255, 255); border: 1px solid rgb(102, 0, 0); box-shadow: rgba(0, 0, 0, 0.0980392) 1px 1px 5px; padding: 8px; position: relative;" width="320" /></a></div>
<br />लगी खन्जर दिल पर तो दर्द उतनी न हुई<br />जितनी दर्द उनके हाथ में खन्जर देख हुई..!<br /><br /><br /> किसी के दर्द को तुम अपना बना के देखो<br />बद्दुआओ की जगह दिल से दुआए निकलेगी ..!<br /><br /><div class="separator" style="clear: both;">
</div>
<div class="separator" style="clear: both;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhOp7gxvUsUr3xqopPF8Ew0pnp9zAcEpKgMH5zwzndH60X9FBHhu50mNjs04A8fgq8y3x2-XhX_soJDTKI8SmLaVuIhDJe05TAE0v4-Uh80jWS9A_wdzs16eUJ-0_uX2h_1HMk0oT335sE/s1600/10612619_1493585964233367_3697875756684610688_n.jpg" imageanchor="1" style="color: #ddbb99; margin-left: 1em; margin-right: 1em; text-decoration: none;"><img border="0" height="228" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhOp7gxvUsUr3xqopPF8Ew0pnp9zAcEpKgMH5zwzndH60X9FBHhu50mNjs04A8fgq8y3x2-XhX_soJDTKI8SmLaVuIhDJe05TAE0v4-Uh80jWS9A_wdzs16eUJ-0_uX2h_1HMk0oT335sE/s1600/10612619_1493585964233367_3697875756684610688_n.jpg" style="-webkit-box-shadow: rgba(0, 0, 0, 0.0980392) 1px 1px 5px; background: rgb(255, 255, 255); border: 1px solid rgb(102, 0, 0); box-shadow: rgba(0, 0, 0, 0.0980392) 1px 1px 5px; padding: 8px; position: relative;" width="320" /></a></div>
</div>
<div style="text-align: center;">
<br />कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तेरा ख्याल भी<br />दिल को खुसी के साथ साथ होता रहा मलाल भी<br />सब कुछ मेरे पास था पर तू न मेरे पास थी<br />तेरे यादो के सहारे कटी वो कैसे रात थी.....!<br /><br /><div class="separator" style="clear: both;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgf9LbR3rIm2O6ar70eEYOXUoHrjLzlDMgXAGC32J2BZpoJX6OR0Lq54Czite5I2nqyrsqR0QgEJljv56TIPG_OLg4nerifAALv7E81GqCXkhK5sLfo7iRPTg-kOmqwKdfOB9hegQZmxPw/s1600/ufghrl.jpg" imageanchor="1" style="color: #ddbb99; margin-left: 1em; margin-right: 1em; text-decoration: none;"><img border="0" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgf9LbR3rIm2O6ar70eEYOXUoHrjLzlDMgXAGC32J2BZpoJX6OR0Lq54Czite5I2nqyrsqR0QgEJljv56TIPG_OLg4nerifAALv7E81GqCXkhK5sLfo7iRPTg-kOmqwKdfOB9hegQZmxPw/s1600/ufghrl.jpg" style="-webkit-box-shadow: rgba(0, 0, 0, 0.0980392) 1px 1px 5px; background: rgb(255, 255, 255); border: 1px solid rgb(102, 0, 0); box-shadow: rgba(0, 0, 0, 0.0980392) 1px 1px 5px; padding: 8px; position: relative;" width="240" /></a></div>
</div>
<div style="text-align: center;">
क्या हुआ गरीबी के कपड़े से ढके है जो मेरे तन<br />अमीरों से ज्यादा और गंगा से निर्मल है मेरे मन ...!<br /><br /><div class="separator" style="clear: both;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEipkM8GeufE_dkdylew7pnWe-AW9036B4ltAfxzV_-8kUnD73KWxfN2WWCQizcU7bK5t3WeCF6gUod3jOXjJjONJX2T4lPKZdTQjzKkYHPJFT764ffbj00wgwkWoCRLXPhILLWcRuyfII8/s1600/10447113_456331144506854_1985238987093855379_n.jpg" imageanchor="1" style="color: #ddbb99; margin-left: 1em; margin-right: 1em; text-decoration: none;"><img border="0" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEipkM8GeufE_dkdylew7pnWe-AW9036B4ltAfxzV_-8kUnD73KWxfN2WWCQizcU7bK5t3WeCF6gUod3jOXjJjONJX2T4lPKZdTQjzKkYHPJFT764ffbj00wgwkWoCRLXPhILLWcRuyfII8/s1600/10447113_456331144506854_1985238987093855379_n.jpg" style="-webkit-box-shadow: rgba(0, 0, 0, 0.0980392) 1px 1px 5px; background: rgb(255, 255, 255); border: 1px solid rgb(102, 0, 0); box-shadow: rgba(0, 0, 0, 0.0980392) 1px 1px 5px; padding: 8px; position: relative;" width="300" /></a></div>
</div>
<div style="text-align: center;">
क्यू कहूँ ये आजकल अपने दिन खराब हैं<br />बस उलझ गये हैं काटों में समझ लो गुलाब हैं...!<br /><br />शिकायत तो नही लेकिन इतना जरुर पूछना चाहती हूँ जमाने से<br />आखिर वो क्या करे जो जमाने के ही जुल्म से मजबूर हो जाये ...!<br /><br />ए ज़िन्दगी ढूँढ कोई बिछड़ गया है मुझसे<br />गर वो न मिला तो "सुन" तुझे भी ख़ुदा हफ़ीज़..!<br /><br />__सुना है चाहने वाले तो मुक़द्दर से मिला करते है<br />__________फिर उसे इस बात की तकलीफ़ क्यों,<br />उसके जिन्दगी से मेरे चले जाने के बाद...!<br /><br /><br /> जब नाम तेरा प्यार से लिखती हैं उँगलियाँ<br />मेरी तरफ ज़माने कि उठती है उँगलियाँ. !<br /><br /> थे अकेले हम तो खुले थे हजारो रास्ते ,<br />बंद कर लिए मैंने ख़ुद सनम तेरे वास्ते ..!</div>
</div>
</div>
</div>
अरुण बंछोरhttp://www.blogger.com/profile/12855170553657623179noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3857395425335515762.post-29581838819522015242014-09-05T11:24:00.001+05:302014-09-05T11:24:34.184+05:30शिक्षक, गुरू और शिक्षा किसी भी राष्ट्र का आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक विकास उस देश की शिक्षा पर निर्भर करता है। शिक्षा के अनेक आयाम हैं, जो राष्ट्रीय विकास में शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हैं। वास्तविक रूप में शिक्षा का आशय है ज्ञान, ज्ञान का आकांक्षी है-शिक्षार्थी और इसे उपलब्ध कराता है शिक्षक। एक के बगैर दूसरे का अस्तित्व नहीं। यहां शिक्षा व्यवस्था को संचालित करने वाली प्रबंधन इकाई के रूप में प्रशासन नाम की नई चीज जुड़ने से शिक्षा ने व्यावसायिक रूप धारण कर लिया है। शिक्षण का धंधा देश में आधुनिक घटना के रूप में देखा जा सकता है। देश की शिक्षा व्यवस्था एवं शिक्षकों की मौजूदा चिंतनीय दशा के लिए हमारी राष्ट्रीय और प्रादेशिक सरकारें सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं, जिसने शिक्षक समाज के अपने हितों की पूर्ति का साधन बना लिया है। शिक्षा वह है, जो जीवन की समस्याओं को हल करे, जिसमें ज्ञान और काम का योग है? आज विद्यालय में विद्यार्थी अध्यापक से नहीं पढ़ते, बल्कि अध्यापक को पढ़ते हैं।
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgSS4LaqJpP6xwXy_z8cW3YGtjqipTeazh2S4fvLbc2qCmEMk8QdwR7Gvol4Y2Pqudn1bkmufw3yOrMlsexeQPCGaxxqG3B2H6t0XBFxF0zbV01i8EdQAFzr4Ia_euXzw4P-z9sPx4rx78J/s1600/guru+1.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgSS4LaqJpP6xwXy_z8cW3YGtjqipTeazh2S4fvLbc2qCmEMk8QdwR7Gvol4Y2Pqudn1bkmufw3yOrMlsexeQPCGaxxqG3B2H6t0XBFxF0zbV01i8EdQAFzr4Ia_euXzw4P-z9sPx4rx78J/s320/guru+1.jpg" /></a></div>
<b>प्राचीनकाल की ओर देखें तब भारत में ज्ञान प्रदान करने वाले गुरु थे, अब शिक्षक हैं। शिक्षक और गुरु में भिन्नता है। गुरु के लिए शिक्षण धंधा नहीं, बल्कि आनंद है, सुख है। शिक्षक अतीत से प्राप्त सूचना या जानकारी को आगे बढ़ाता है, जबकि गुरु ज्ञान प्रदान करता है। सूचना एवं ज्ञान में भी भिन्नता है। सूचना अतीत से मिलती है, जबकि ज्ञान भीतर से प्रस्फुटित होता है। गुरु ज्ञान प्रदान करता है और शिक्षक सूचना। </b>
शिक्षा विकास की कुंजी है। विश्वास जैसे आवश्यक गुणों के जरिए लोगों को अनुप्रमाणित कर सकती है। विकसित एवं विकासशील दोनों वर्ग के देशों में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका समझी गई है। भारत में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर समय-समय पर बहस होती रही है। इसे विडंबना ही कहें कि हम आज तक सर्व स्वीकार्य शिक्षा व्यवस्था कायम नहीं कर सके। उल्लेखनीय है कि तमाम सरकारी प्रयासों के बावजूद आज 19 वर्ष की आयु समूह में दुनिया की कुल निरक्षर आबादी का लगभग 50 प्रतिशत समूह भारत में है। कहा जाता है कि तरुणाई देश का भविष्य है। राष्ट्र निर्माण में युवा पीढ़ी की अहम भूमिका है। इस संदर्भ में भारत की स्थिति अत्यधिक शर्मनाक और हास्यास्पद ही मानी जा सकती है। देश में लगातार हो रहे नैतिक एवं शैक्षणिक पतन से हमारे युवा वर्ग पर सर्वाधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
देश के विश्वविद्यालय प्रतिवर्ष बेरोजगार नौजवानों की फौज तैयार करते जा रहे हैं। किसी ने ठीक ही कहा है - "सत्ता की नाकामी राजनीतिक टूटन को जन्म देती है।" हमारी राजनीतिक पार्टियां, जातियों में विघटित हो रही हैं। परिणामस्वरूप मानव समाज आत्म केंद्रित और स्वार्थ केंद्रित होता जा रहा है। आज देश की राजनीति में काम और योग्यता का मूल्यांकन न होकर धन, बल और बाहुबल का बोलबाला है। लोकतंत्र के गौरव और प्रतिष्ठा का प्रतीक हमारी संसद वैचारिक प्रवाह चिंतन मनन की जगह द्वेष, कलह, झूठी शान और दिखावे के स्वर उभरते नजर आते हैं। देश के कर्णधारों की कथनी-करनी के बीच बढ़ते अंतर ने मानव-मानव के बीच आस्था और विश्वास का संकेत खड़ा कर दिया है। व्यावसायिकता की आंच से मानवीय संवेदनाएं ध्वस्त हो रही हैं और हमारी कथित भाग्य विधाता शिक्षक समाज राष्ट्र में व्याप्त इस भयावह परिस्थिति को निरीह और असहाय प्राणी बनकर मूकदर्शक की भांति देखने को विवश हैं। दुर्भाग्य से हमारे देश में समाज के सर्वाधिक प्रतिष्ठित और आदर प्राप्त "शिक्षक" की हालत अत्यधिक दयनीय और जर्जर कर दी गई है।
<b>शिक्षक शिक्षण छोड़कर अन्य समस्त गतिविधियों में संलग्न हैं। वह प्राथमिक स्तर का हो अथवा विश्वविद्यालयीन, उससे लोकसभा, विधानसभा सहित अन्य स्थानीय चुनाव, जनगणना, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री अथवा अन्य इस श्रेणी के नेताओं के आगमन पर सड़क किनारे बच्चों की प्रदर्शनी लगवाने के अतिरिक्त अन्य सरकारी कार्य संपन्न करवाए जाते हैं।</b>
देश की शिक्षा व्यवस्था एवं शिक्षकों की मौजूदा चिंतनीय दशा के लिए हमारी राष्ट्रीय और प्रादेशिक सरकारें सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं, जिसने शिक्षक समाज के अपने हितों की पूर्ति का साधन बना लिया है। शिक्षा वह है, जो जीवन की समस्याओं को हल करे, जिसमें ज्ञान और काम का योग है? आज विद्यालय में विद्यार्थी अध्यापक से नहीं पढ़ते, बल्कि अध्यापक को पढ़ते हैं। वर्षभर उपेक्षा और प्रताड़ना सहन करने वाले समाज के दीनहीन समझे जाने वाले आज के कर्मवीर, ज्ञानवीर पराक्रमी और स्वाभिमानी शिक्षकों को 5 सितंबर को देशभर में सम्मान प्रदान कर सरकार शिक्षक दिवस की औपचारिकता पूरी करती है। संभावना आज की असीमित एवं अपरिमित है। निष्क्रिय समाज सक्रिय दुर्जनों से खतरनाक है। किसी महापुरुष द्वारा व्यक्त यह कथन हमें भयावह परिदृश्य से उबारने की प्रेरणा दे सकता है।
अरुण बंछोरhttp://www.blogger.com/profile/12855170553657623179noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3857395425335515762.post-72905580883936450232014-08-28T13:25:00.001+05:302014-08-28T13:25:21.331+05:30मजबूत इरादा<b> लेखक - अरुण कुमार बंछोर </b>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi6pjEgXztsBAVwTIy8___bHg16t7HACyP5fQaJXYEtzE2Jjdo-fy9Lfekpr4jOy4raYLCT_Ojsq9HT_JIeoh1ovTWZOwAaAhJPR3rhVk7apmef4_gVpgwlMMispSRdvowCX_oZAI4uj1zv/s1600/s-1.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi6pjEgXztsBAVwTIy8___bHg16t7HACyP5fQaJXYEtzE2Jjdo-fy9Lfekpr4jOy4raYLCT_Ojsq9HT_JIeoh1ovTWZOwAaAhJPR3rhVk7apmef4_gVpgwlMMispSRdvowCX_oZAI4uj1zv/s400/s-1.jpg" /></a></div>
जीवन को सुंदर ढंग से जीने की कला तो कोई विक्की से सीखे। ऐसा भी नहीं कि रजना से शादी के बाद उसने जिंदगी को सुंदर मोड दिया हो। अच्छी जीवनसंगिनी मिलने से पहले भी वह जिंदादिल इंसान था। मगर शादी के बाद खुशियां बढ गई।
चलो कहीं बाहर चलते हैं। दिन भर तुम घर में और मैं दफ्तर में.., शाम तो हम दोनों साथ बिताएं, दफ्तर से लौटते ही विक्की ने रंजना से कहा।
रंजना ने नौकरी नहीं की। वह दिन भर घर के कामों में व्यस्त रहती और विकी के घर लौटने की प्रतीक्षा करतीहै।
शाम की उदासी मुझे भाती नहीं, जी चाहता है उदासी को चुरा कर इसमें खुशियां भर दूं.., रंजना को बांहों में लेते हुए विक्की ने कहा ।
अरे कुछ तो ख्याल करो ,दरवाजा खुला है। वैसे भी शाम में उदासी कहां होती है! इसमें चाहे जितने रंग भर दो, यह निखरती जाती है.., बांहों की कैद से निकलते हुए रंजना चहकी।
शाम की दीवानगी में डूबे विक्की को देखकर रंजना का मन कभी-कभी अतीत में गोते लगाने लगता। लेकिन यादों को झटक कर वह वर्तमान में लौट आती। स्मृति-पटल की दस्तक को अनसुना करना भी उसकी विवशता है। दरिया किनारे की वह शाम जब वह राजेश के साथ घूमती वहां आ गई थी।
..रंजना फिर अतीत में खो गई। अर्थशास्त्र विभाग के ऑनर्स के विद्यार्थियों ने महानदी पर पिकनिक मनाने का प्रोग्राम बनाया था। लडकियां कुछ डर रही थीं पर लडके उत्साहित थे।
महानदी पार करने में तो देर हो जाएगी, मुझे डर लगता है, कामिनी ने कहा।
पूरी नदी थोडे ही पार करेंगे। नदी जहां सूख जाती है, वहां रेत भरी जमीन होती है, उसे ही दियारा कहते हैं। वहीं सभी पिकनिक मनाने जाते हैं, रमेश ने लडकियों को समझाया।
लहराती नदी को सभी नाव से झुक-झुक कर छू रहे थे। रायपुर यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों की उमंग देख कर महानदी भी मचल उठी थी।
ऐसे चुप रहकर भला पिकनिक मनाते हैं? नाव पर नाच नहीं सकते तो क्या, गा तो सकते हैं, राजेश ने कहा तो सभी ने एक स्वर में सहमति जताई।
गाने का सिलसिला चल पड़ा तो फिर रेत पर पहुंचकर ही रुका। इनके शोर से इठलाती नदी छल-छल करती ताल से ताल मिलाने लगी। अंतिम वर्ष होने के कारण सभी अपनी जुदाई के दर्द को नदी में बहा देना चाहते थे। अचानक रंजना की नजर राजेश से मिली जो अपलक उसे निहार रहा था। कुछ घबरा कर रंजना ने पलकें झुका लीं। कुछ देर वह यूं ही इधर-उधर देखती रही, लेकिन चोर नजरों से उसने देखा तो राजेश अभी भी उसे ही निहार रहा था।
रेत पर पहुंचकर पहले कुछ लडकों ने चादर बिछाई तो कुछ ने खाना बनाने की तैयारियां शुरू कर दीं। लडकियों ने भी साथ दिया। लडके सूखी लकडियां ले आए। सबने मिल कर खाना बनाया। खाना लाजवाब था या फिर संग का स्वाद मीठा था।
खाने के बाद अंत्याक्षरी शुरू हुई। लडकों और लडकियों के अलग-अलग ग्रुप बने। एक से बढ कर एक नए और पुराने फिल्मी गाने सबने अपने-अपने स्मृति-कोष से निकाले। दोनों समूहों ने मिल कर समां बांध दिया। प्रोफेसर भी दो समूहों में बंट गए। युवाओं के सुर में सुर मिला कर वे भी युवावस्था के दिनों में जा पहुंचे। चलो अब दियारा किनारे घूमा जाए। फिर भला ये दिन कहां लौटेंगे!
हां, हां, सभी चलते हैं, कामिनी ने कहा।
शाम होने से पहले लौटना भी है, इसीलिए जल्दी चलना होगा, विपुल ने कहा।
भाई, हम लोग तो यहीं गपशप करेंगे। तुम लोग जाओ लेकिन जल्दी लौट आना क्योंकि शाम तक लौटना भी है.., प्रोफेसर गुप्ता ने दरी पर लेटते हुए कहा।
मुझे तो सोच कर ही भय लगता है कि वह दिन दूर नहीं, जब नदी हमसे रूठ कर दूर चली जाएगी। फिर रेत ही रेट रहेगा। आज हम नाव से यहां तक पहुंचे हैं फिर रेत का महत्व कम हो जाएगा। किनारे से ही लोग रेट को देखेंगे, और नदी का जल कहीं दूर दिखाई देगा, एक साथी दार्शनिक भाव से बोल उठा।
मस्ती चल ही रही थी कि अचानक जोरों से रेत भरी आंधी आ गई। संभलने का मौका भी नहीं मिला। रेत ने सबकी आंखों पर हमला बोल दिया था। आंखें बंद किए सभी तेज आंधी में पत्ते की तरह इधर-उधर दौडने लगे। किसी को यह होश नहीं था कि कौन किस दिशा में दौड रहा है। आंखों में रेत भरी थी, लेकिन सभी चीख रहे थे। रंजना ने दुपट्टे से अपना सिर ढका था। उसने सोचा भी नहीं था आंधी इस वेग से आएगी। वह भी किसी दिशा में भाग रही थी या रेत की आंधी उसे बहा ले जा रही थी। आंखें खोल नहीं सकती थी। आंधी के शोर में किसी दोस्त की आवाज भी नहीं सुनाई दे रही थी। भय से उसके हाथ-पांव कांपने लगे। कंठ सूख गया। थक गई तो किसी तरह एक ही जगह पर बैठ गई और मुंह छिपा लिया। एकाएक जैसे ही महसूस हुआ कि वह दूर आ गई है और अकेली है, सब्र का बांध टूट गया और वह जोरों से फूट कर रोने लगी।
काफी देर बाद आंधी का वेग कम हुआ, पर रंजना इतनी डरी हुई थी कि आंखें नहीं खोल पा रही थी। थोडी देर बाद एकाएक उसे अपने कंधे पर किसी पुरुष के हाथों का स्पर्श महसूस हुआ। वह भय से चीख उठी।
डरो नहीं रंजना, मैं हूं- राजेश। देखो सभी इधर-उधर भागे हैं। एक-दूसरे को ढूंढ रहे हैं.., राजेश ने उसके पास बैठते हुए कहा।
आंधी कम हो रही है, थोडी देर में पूरी थम जाएगी तो सभी आ जाएंगे, राजेश ने उसे आश्वस्त करते हुए कहा।
रंजना की सिसकियां और बढ गई। उसका पूरा शरीर कांप रहा था। यह देख कर राजेश ने उसे अपनी बांहों का सहारा दिया। उस अशांत माहौल में इतना बडा संबल पाकर रंजना उससे लिपट गई। एकाएक वह घटा जो दोनों ने कभी सोचा भी नहीं था। आंधी और भय ने उन्हें इतना करीब ला दिया।
रंजना घबराओ नहीं, मैं तुम्हारे साथ हूं, राजेश ने उसे सीने से लगाते हुए कहा। बांहों का कसाव बढता गया। सांसें आपस में टकराने लगीं। मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं रंजना, तुम्हें हमेशा करीब देखना चाहता हूं, अधीरता से राजेश ने कहा।
राजेश की बांहों की जकडन में रंजना बेसुध सी हो गई थी। प्रेम का एहसास जन्म ले चुका था। भावनाएं शब्दों में बदलतीं, तभी कुछ जोडी कदमों की आहट ने उन्हें छिटका दिया। राजेश .. रंजना.. कहां हो तुम लोग?
आवाजों ने रंजना की सुधि लौटा दी थी। उसकी आंखों में अब रेत के साथ ही शर्म की लाली भी थी। काफी देर बाद उसने आंखें खोलीं और भरपूर नजरों से राजेश को देखा। राजेश की आंखें बोल रहीं थीं कि यह शाम उसे हमेशा याद रहेगी। रंजना को याद आया कैसे क्लास में भी अकसर राजेश उसे निहारता रहता था। आज वह कितनी अजीब सी स्थिति में उसकी बांहों में समा गई थी। आंधी खत्म हो गई थी और दोनों के मन में एक असीम शांति थी। लडके-लडकियों का एक झुंड पास आ गया था..। विदाई के पल सभी के लिए मुश्किल हो रहे थे और लौटते हुए सभी खामोश थे।
दरवाजे की घंटी बजते ही रंजना की विचार-तंद्रा टूटी। किसी काम से बाहर गए विक्की लौट गए थे। दरवाजा खुलते ही बोले, रंजना, चलो.. जल्दी तैयार हो जाओ, आज ट्रेन से आरंग घूमने चलते हैं। इतने दिनों से हम दिल्ली में हैं लेकिन ट्रेन में एक ही बार बैठे हैं, विक्की ने कहा।
पहले चाय पी लो। फिर तैयारी करना, रंजना ने किचन में जाते हुए कहा।
आज संडे है, शायद भीड कम हो, कमरे में जाते हुए विक्की ने कहा।
संडे होने के बावजूद पार्किग में कहीं जगह नहीं मिली। अंत में कार पार्किग के बाहर छोड कर वे ट्रेन की ओर बढने लगे। हवा तेज थी। रंजना का आंचल लहरा रहा था। बालों की लट बार-बार चेहरे पर आकर परेशान कर रही थी।
इन्हें खुला ही छोड दो न! तुम्हारे खुले बाल अच्छे लगते हैं, विक्की ने पीछे से क्लचर हटा कर उसके बाल खोल दिए। ट्रेन से शहर कुछ ज्यादा ही खूबसूरत दिख रहा था। लोटस टेंपल, इस्कॉन को उन्होंने चमकती रोशनी में देखा। उसने अपने बालों को समेटना चाहा तो विक्की ने रोक दिया। रंजना एक बार फिर यादों में खो गई। वर्षो पहले राजेश की कही बात उसे याद आने लगी, खुले बालों में तुम बहुत अच्छी लगती हो रंजना , बालों से रेत झाडते हुए राजेश ने उससे कहा था। आज उसे बार-बार राजेश क्यों याद आ रहा है! लौटते वक्त उन्हें बैठने की जगह नहीं मिली तो खडे रहे। भीड नहीं थी, फिर भी विक्की ने हिदायत दी, उतरते समय आराम से उतरना, हडबडाना नहीं।
अचानक रंजना को महसूस हुआ कि कोई शख्स उसे अपलक निहार रहा है। ध्यान बंटने से वह लडखडा गई। तभी विक्की ने उसे थाम लिया। रंजना के मन में उत्सुकता जाग उठी कि वह व्यक्ति आखिर है कौन? उसने अस्त-व्यस्त हो आई साडी को चुपके से ठीक किया और खुले उलझे बालों को हाथ से सुलझाने की चेष्टा की। बातें करते-करते विक्की कुछ दूर हुआ तो वह शख्स फिर दिखा।
पांच मिनट में हमारा स्टेशन आने वाला है, विक्की ने उसे परेशान देख कर कहा।
इस बार रंजना ने भी उस व्यक्ति को ध्यान से देखा। मस्तिष्क पर जोर नहीं देना पडा। उम्र की परतें इंसान पर जम जाती हों, लेकिन चेहरे के हाव-भाव तो वही रहते हैं। सामने बैठा इंसान वही था, जिसने उस दिन अपनी बांहों का सहारा दिया था। रंजना को उसकी सांसों की गंध महसूस होने लगी। पहचान के भाव आते ही दोनों ओर से एक मुसकान झलकी।
रंजना की आंखों में पहचान की झलक देख राजेश सीट से उठने लगा। उसने सोचा, रंजना से मिल ले। रंजना भी क्षण भर आगे बढी।
रंजना स्टेशन आ गया है। धीरे-धीरे बाहर निकलना, कहता हुआ विक्की बाहर निकला। पीछे-पीछे रंजना भी गई। बाहर जाकर वह मुडी तो दरवाजे पर राजेश खडा था। तभी दरवाजा बंद हो गया।
आगे देख कर चलो वर्ना गिर जाओगी, विक्की ने रंजना का हाथ थाम लिया।
अनजाने में कही गई विक्की की बात रंजना को ठीक लगी। अतीत उसके वर्तमान को डिगा सकता है। मेरे हाथ थामे रहो और आराम से चलो। इतनी नर्वस क्यों हो जाती हो? विक्की ने उसे सहारा देते हुए कहा।
दोनों चलते रहे। ट्रेन शायद कुछ स्टेशन आगे बढ चुकी होगी। इस शाम ने रंजना के शांत मन में उथल-पुथल मचा दी थी। लेकिन जो आंधी अचानक जीवन में आई वह अब थम भी चुकी थी। वह मजबूती से विक्की का हाथ थाम उसके साथ आगे बढती गई। अब जीवन में शांती थी..।
एल -297 , न्यू सुभाष नगर ,भोपाल (मप्र)
(बिना अनुमति के प्रकाशित ना करे)
अरुण बंछोरhttp://www.blogger.com/profile/12855170553657623179noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3857395425335515762.post-86846965893779819692014-08-26T14:52:00.002+05:302014-08-26T14:52:12.572+05:30मुलाकातएक और अमृता
<br />
<br />वर्ष 2006 में मिस अर्थ रह चुकी अमृता पटकी ‘हाइड एंड सीक’ के जरिये बॉलीवुड में अपनी शुरुआत की है। पेश है अमृता से बातचीत :
<br /><strong>‘हाइड एंड सीक’ के लिए आपका चुनाव कैसे हुआ?</strong>निर्माता अपूर्व लखिया ने करीब एक दर्जन लड़कियों का ऑडीशन लिया, जिसमें से मैं एक थी। मैं चुन ली गई।
<br />फिल्म ''हाइड एंड सीक'' के बारे में बताइए?
<br />''हाइड एंड सीक'' एक रहस्यमय फ़िल्म है। शौन अरान्हा द्वारा निर्देशित इस फिल्म की कहानी 6 दोस्तों पर आधारित है। जब वे बच्चे थे तब क्रिसमस की ठंडी रात को एक खेल खेल रहे होते हैं। अभि, ओम, जयदीप, इमरान, गुनिता और ज्योतिका को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं की थी कि क्रिसमस की वो रात और खेल उनकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल देगा। फिल्म में मेरे साथ पूरब कोहली, मृणालिनी शर्मा, समीर कोचर, अयाज खान, अर्जन बाजवा भी हैं।
<br />
<br /><strong>सुना है आप ''हाइड एंड सीक'' की शूटिंग के दौरान बेहोश हो गई थी। क्या यह सच है?</strong>
<br />उस समय अहामदाबाद में बहुत गर्मी थी। इतनी गर्मी में शूटिंग करने की वजह से मैं बेहोश हो गई।
<br />
<br /><strong>किस तरह की फिल्में करना चाहती हैं?</strong>सभी तरह की फिल्मों में मैं काम करना चाहती हूँ, चाहे वो हास्य हो, लव स्टोरी हो या गंभीर कहानी हो।
<br />
<br /><strong>खाली समय में क्या करती हैं?</strong>
<br />मुझे किताबें पढ़ना व संगीत सुनना अच्छा लगता है। अरुण बंछोरhttp://www.blogger.com/profile/12855170553657623179noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3857395425335515762.post-4713715491827411582014-08-26T14:37:00.000+05:302014-08-26T14:37:10.982+05:30जीवन जीने का नाम है<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgU_eVyKdnehh71V3Kb1Z-Ljr6SxroEgpo3h3-w5hicHtQOnffiCDvenp2q6dGEPJxmpe32CIxGR-ghIBRsX2g8q3SGCe3eocZZqvXjIbE6SvCe3A89rjycaCLEPZYkeOuwJdQJ_1dtFgkJ/s1600/jivan.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgU_eVyKdnehh71V3Kb1Z-Ljr6SxroEgpo3h3-w5hicHtQOnffiCDvenp2q6dGEPJxmpe32CIxGR-ghIBRsX2g8q3SGCe3eocZZqvXjIbE6SvCe3A89rjycaCLEPZYkeOuwJdQJ_1dtFgkJ/s400/jivan.jpg" /></a></div>
किसी भी कार्य की सफलता उस पर की गई मेहनत पर निर्भर करती है। यह ध्यान रखना चाहिए कि सफलता कोई पेड़ पर लगने वाला फल नहीं है जिसे पेड़ पर चढ़ गए और तोड़ लिया। यह समझना चाहिए कि जीवन भगवान का दिया हुआ सबसे अमूल्य उपहार है। किसी को भी जीवन से हार मानकर नहीं बैठना चाहिए। जब एक रास्ता बंद होता है तो दूसरे हजारों रास्ते खुल जाते हैं। सफलता और असफलता तो जीवन रूपी रेल के स्टेशन हैं। जिस प्रकार गुरु द्रोण की परीक्षा में अर्जुन को सिर्फ अपना लक्ष्य मछली की आंख नजर आ रही थी, उसी प्रकार सिर्फ अपना लक्ष्य नजर आना चाहिए। जब एक रास्ता मिल जाए तो उस पर मेहनत शुरू कर देनी चाहिए। गर ईमानदारी, कड़ी मेहनत, लगन से उस दिशा में आगे बढ़ें तो उन्हें अपनी मंजिल तो मिलनी ही है। सफलता का कोई शॉर्टकर्ट रास्ता नहीं होता। सफलता की कुंजी सिर्फ कड़ी मेहनत होती है।
याद रखें-
- असफलता मिलने पर उसे जीवन पर हावी न होने दें।
- सकारात्मता बढ़ाने के लिए अच्छी मनोरंजक व ज्ञानवर्धक पुस्तकें पढ़ें।
- ऐसे लोगों से मिले जिन्होंने अपने क्षेत्र में सफलता हासिल की है।
- हमेशा अपने को व्यस्त रखें क्योंकि खाली दिमान शैतान का घर होता है।
- हल्का संगीत सुने, इससे नकारात्मक विचार मन में नहीं आएंगे।
- परिवार के साथ समय व्यतीत करें क्योंकि इससे आपको मानसिक संबल मिलता है।
- आसपास की प्रकृति को निहारें, पक्षियों का चहचहाना सुनें, क्योंकि प्रकृति जीवन से संघर्ष की शिक्षा देती।
अरुण बंछोरhttp://www.blogger.com/profile/12855170553657623179noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3857395425335515762.post-31234422309186262382014-08-25T13:12:00.003+05:302014-08-25T13:13:05.349+05:30मुख्यमंत्रियों की हूटिंग शुभ संकेत नहींपिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभाओं में कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों के खिलाफ हुई हूटिंग से जो परिस्थितियां बनी हैं वह देश के संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचा रही हैं। केंद्र-राज्य संबंधों में खटास की बातें पहले भी सामने आती रही हैं लेकिन 'हूटिंग' के चलते संघर्ष की स्थिति बनना खतरनाक है। इस मुद्दे को लेकर राजनीति भी गर्मा गयी है क्योंकि अभी तक हूटिंग उन्हीं राज्यों में हुई है जहां कि जल्द ही चुनाव होने वाले हैं। विपक्ष के निशाने पर सीधे प्रधानमंत्री हैं तो सत्तारुढ़ दल हूटिंग का कारण जनता की स्थानीय नेताओं से नाराजगी बता रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत सप्ताह कैथल में हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपिन्दर सिंह हुड्डा के साथ एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान मंच साझा किया। इस दौरान हुड्डा जब बोलने लगे तो लोगों ने उनके खिलाफ हूटिंग की। इस बात से नाराज हुड्डा ने आरोप लगाया कि यह सब भाजपा के इशारे पर उनका अपमान करने के लिए किया गया। साथ ही उन्होंने भविष्य में प्रधानमंत्री के साथ मंच साझा करने से इंकार कर दिया। इसके साथ ही कांग्रेस ने अपने सभी मुख्यमंत्रियों को सतर्क रहने का निर्देश जारी करते हुए सामान्य प्रोटोकाल का पालन करने और प्रधानमंत्री के साथ मंच साझा नहीं करने का निर्देश जारी कर दिया। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने नागपुर मेट्रो के शिलान्यास कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के साथ मंच साझा नहीं करने का ऐलान कर दिया। उन्होंने बाद में कहा कि वह तभी मंच साझा करेंगे जब प्रधानमंत्री इस बात का आश्वासन दें कि उनके खिलाफ हूटिंग नहीं होगी। गौरतलब है कि गत दिनों प्रधानमंत्री के साथ एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने ही सबसे पहले हूटिंग झेली थी। झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी मोदी के साथ मंच साझा करने के दौरान हूटिंग झेलनी पड़ी। उन्होंने आवेश में आकर इसे संघीय ढांचे का बलात्कार तक की संज्ञा दे डाली। सोरेन ने कहा कि उन्होंने इस कार्यक्रम में तभी भाग लिया था जब एक केंद्रीय मंत्री ने आश्वासन दिया था कि कार्यक्रम के दौरान ऐसा कुछ (हूटिंग) नहीं होगा।
वाकई यह बड़ी ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि राज्यों के मुख्यमंत्री देश के प्रधानमंत्री के साथ मंच साझा करने से इंकार कर दें। मोदी ने आम चुनाव के दौरान नारा दिया था 'सबका साथ, सबका विकास'। अब वक्त है इस नारे पर अमल करने का। मोदी खुद एक राज्य के लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे हैं वह केंद्र से राज्य के संबंधों की महत्ता समझते हैं। उन्हें आगे बढ़कर ऐसी चीजों पर रोक लगाने की बात कड़ाई के साथ कहनी चाहिए। मोदी जानते हैं कि केंद्र की सरकार जिन योजनाओं को बनाती है उनमें से अधिकांश का कार्यान्वयन पूरी तरह राज्यों पर निर्भर है। इसलिए वह वाकई यदि अपने सपनों का भारत बनाना चाहते हैं तो दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सबको साथ लेकर चलना ही होगा। जनसभाओं में 'मोदी मोदी' के नारे आम चुनाव तक ठीक थे लेकिन अब मोदी प्रधानमंत्री बन चुके हैं और उनके आचरण से यह स्पष्ट संकेत मिलना ही चाहिए कि वह सभी को साथ लेकर चलना चाहते हैं।
वैसे झारखंड में प्रधानमंत्री ने हूटिंग के दौरान हाथ से इशारा करते हुए जनता से शांत रहने को कहा था लेकिन हूटिंग जारी रही। भाजपा नेताओं ने बाद में तर्क दिये कि ऐसा मोदी की लोकप्रियता के कारण हो रहा है क्योंकि जनता स्थानीय नेताओं से तंग आ चुकी है और अपनी उम्मीदों को पूरा करने के बारे में मोदी की बात सुनना चाहती है। भाजपा का यह भी कहना है कि यह आरोप गलत है कि हूटिंग में उसका कोई हाथ है। पार्टी का कहना है कि जहां जहां हूटिंग हुई वहां हम अपने कार्यकर्ताओं को लेकर नहीं गये थे और यह सब कुछ स्थानीय लोगों ने ही किया। दूसरी ओर विपक्ष का कहना है कि आम चुनाव के दौरान भाजपा की ओर से प्रशिक्षित लोग ऐसी सभाओं में योजनाबद्ध तरीके से लाये जाते हैं ताकि वह माहौल भाजपामय बना सकें।
हूटिंग विवाद की जो प्रतिक्रिया हुई वह लोकतंत्र को सही दिशा में ले जाती नहीं दिख रही। महाराष्ट्र में जहां कांग्रेस कार्यकर्ताओं की ओर से प्रधानमंत्री को काले झंडे दिखाये गये वहीं झारखंड में झामुमो कार्यकर्ताओं ने केंद्रीय मंत्रियों के कार्यक्रमों का विरोध करने के ऐलान के तहत खान मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को काले झंडे दिखाये जिस पर भाजपा-झामुमो कार्यकर्ताओं की भिडन्त में कई लोग घायल भी हो गये। झामुमो ने हूटिंग के विरोध में बंद का ऐलान भी किया था लेकिन यूपीएससी परीक्षा के चलते इसे वापस ले लिया गया। अभी जिन राज्यों में चुनाव होने हैं वहां पर भी यदि हूटिंग प्रकरण दोहराये गये तो संघर्ष बढ़ना संभव है। मोदी सरकार के 100 दिनों के भीतर केंद्र-राज्य संबंध जिस दिशा में जा रहे हैं, हालात ऐसे ही रहे तो पांच साल के दौरान क्या होगा, इसकी कल्पना करना मुश्किल नहीं है।
यह निश्चित है कि अनुशासन प्रिय प्रधानमंत्री मोदी यदि कड़ा रुख अख्तियार कर लें तो हूटिंग की घटनाएं रुक सकती हैं। यहां भाजपा को यह सोचना चाहिए कि भले ऐसे प्रकरणों के पीछे उसका हाथ नहीं हो लेकिन यदि कोई अन्य पार्टी का मुख्यमंत्री सरकारी कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री के खिलाफ हूटिंग कराना शुरू कर दे तो बड़ी ही असहज स्थिति हो जाएगी और स्थिति को संभालने में कड़ी मशक्कत करनी होगी। सबका भला इसी में है कि इस पर शुरुआती दौर में ही पूरी तरह रोक लगा दी जाए। ऐसे प्रकरणों से संसदीय मर्यादाओं का उल्लंघन तो होता ही है साथ ही यह देश में लोकतंत्र की जड़ों को और मजबूत बनाने के लिहाज से सही भी नहीं है।
अरुण बंछोरhttp://www.blogger.com/profile/12855170553657623179noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3857395425335515762.post-71637648053518946852014-08-21T13:56:00.001+05:302014-08-21T13:58:41.198+05:30जरूर सुने बेटियों की पुकारमाँ, मुझे जीना हैं.मुझे खुद से अलग मत करो, मुझे अपना लो, मुझे तुम्हारी गोद में रहना है, तुम्हारे आँचल में सोना है...माँ.............. !
ये विलाप है उस मासूम की ,जो दुनिया में आना तो चाहती है पर लालची दरिंदों को उनकी आवाज सुनाई नहीं देती। सबसे बड़ी बात तो यह है की माँ भी बेटे की चाहत रखती है और बेटी को दुनिया में आने नहीं देती है। कितनी बड़ी विडम्बना है , कुछ बरस पहले वो भी किसी की बेटी थी। अगर बेटियो नहीं होंगी तो ये सृष्टी कैसी बढ़ेगी। मेरी एक बहन से मैंने कहा कि मेरी दिली तमन्ना है कि मै भी किसी बेटी का कन्यादान करूँ तो उन्होंने कहा कि मै भी कन्यादान करना चाहती हूँ , अगर आप करे तो मुझे भी शामिल कर लीजियेगा। उनके विचार सुनकर मै बहुत खुश हुआ। ऐसी विचार हर बेटी , हर महिला की होनी चाहिए। मै सलाम करता अपनी उस बहन को जिनके मन में बेटियों के प्रति दर्द है, आश्था है। इस समझ की आज बहुत ही जरुरत है।
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बालिका परिवार के आँगन का वो नन्हा सा फूल है, जो उलाहना के थपेड़ों से बिखरता है, त्याग की रासायनिक खाद से फलता-फूलता है फिर भी दुःख रूपी पतझड़ में अपने बूते पर खड़ा रहता है। बालिका, जिसके जन्म से ही उसके जीवन के जंग की शुरुआत हो जाती है। नन्ही उम्र में ही उसे बेड़ियाँ पहनकर चलने की आदत-सी डाल दी जाती है। येन केन प्रकारेण उसे बार-बार याद दिलाया जाता है कि वह एक औरत है, उसे सपने देखने की इजाजत नहीं है। कैद ही उसका जीवन है।
हमें यह सोचना चाहिए कि विकास के सोपानों पर चढ़ने के बावजूद भी आखिर क्यों आज इस देश की बालिका भ्रूण हत्या, बाल विवाह, दहेज मृत्यु के रूप में समाज में अपने औरत होने का दंश झेल रही है? लोगों के सामने तो हम बड़ी-बड़ी बातें करते हैं कि बालिका भी देश का भविष्य है लेकिन जब हम अपने गिरेबान में झाँकते हैं तब महसूस होता है कि हम भी कहीं न कहीं प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इसकी हत्या के भागी रहे हैं। यही कारण है कि आज देश में घरेलू हिंसा व भ्रूण हत्या संबंधी कानून बनाने की आवश्यकता महसूस हुई।
अशिक्षित ही नहीं बल्कि ऊँचे ओहदे वाले शिक्षित परिवारों में भी गर्भ में बालिका भ्रूण का पता चलने पर अबार्शन के रूप में एक जीवित बालिका को गर्भ में ही कुचलकर उसके अस्तित्व को समाप्त किया जा रहा है। हालाँकि भ्रूण का लिंग परीक्षण करना कानूनी अपराध परंतु फिर भी नोटों व पहचान के जोर पर कई चिकित्सकों के यहाँ चोरी-छिपे लिंग परीक्षण का अपराध किया जा रहा है।
यदि हम अकेले म.प्र. की बात करें तो यहाँ प्रति हजार लड़कों पर लड़कियों का अनुपात निरंतर घटता जा रहा है। वहीं दूसरी ओर हमारी सरकार दलील देती है कि अब गाँव-गाँव में शत-प्रतिशत शिक्षा पहुँच चुकी है व लोगों में जागरूकता आई है। मेरा उनसे प्रश्न है कि यदि बालिका शिक्षा का लक्ष्य पूरा हुआ है तो फिर म.प्र. में वर्ष 1991 में प्रति हजार लड़कों पर 952 बालिकाएँ थीं, वो वर्ष 2001 में घटकर 933 कैसे रह गईं? भिंड और मुरैना जिले में तो यह स्थिति दूसरे जिलों की तुलना में और भी अधिक भयावह है।
आज कई जातियों में ये स्थितियाँ बन रही हैं कि वहाँ लड़के ज्यादा और लड़कियाँ कम हैं इसलिए मजबूरन उन्हें दूसरी जाति में अपने लड़के का रिश्ता तय करना पड़ रहा है। यदि आज यह स्थिति है तो कल क्या होगा, यह तो सर्वविदित है। यदि हम अब भी नहीं जागे तो शायद बहुत देर हो जाएगी और प्रकृति के किसी सुंदर विलुप्त प्राणी की तरह बेटियों की प्रजाति भी विलुप्ति के कगार पर पहुँच जाएगी।
बेटियाँ भी घर का चिराग हैं। वे भी एक इनसान हैं, जननी हैं, जो हमारे अस्तित्व का प्रमाण है। इसकी रक्षा करना हमारा कर्त्तव्य है इसलिए आज ही संकल्प लें और कन्या भ्रूण हत्या पर अंकुश लगाकर नन्ही बेटियों को भी जीने का अधिकार दें।
अरुण बंछोरhttp://www.blogger.com/profile/12855170553657623179noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3857395425335515762.post-66019675386948175602014-08-17T14:12:00.001+05:302014-08-17T14:12:35.772+05:30भारत के लिए कलंक है बालश्रम<b>आजाद हिंदुस्तान में गुलामी करते बच्चे</b>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi1xoUsu7k2xhv1kS2sXO6aIC3VPm8Am7qxbh7GMLmQ4g3FdOehGlOVFRGnFgtdtvWtEIYSG8ewGhq9-JOpeBXtnpwSHR89lVXWDlddhrpUx0eXCFZpjBLDTBlezkdLmuKzXQE_QioprFKp/s1600/b-00.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi1xoUsu7k2xhv1kS2sXO6aIC3VPm8Am7qxbh7GMLmQ4g3FdOehGlOVFRGnFgtdtvWtEIYSG8ewGhq9-JOpeBXtnpwSHR89lVXWDlddhrpUx0eXCFZpjBLDTBlezkdLmuKzXQE_QioprFKp/s400/b-00.jpg" /></a></div>
आजादी के छह दशक बाद भी बालश्रम भारत के लिए कलंक बना हुआ है। ढाबों-होटलों, ईंट-भट्टों और खेत खलिहानों से लेकर कल-कारखानों में काम कर रहे लाखों बच्चों के लिए आज आजादी के कोई मायने नहीं हैं। स्वतंत्रता दिवस पर उस दिन काम नहीं होता। लिहाजा उनकी दिहाड़ी अलग से कट जाती है। अलबत्ता कुछ बच्चों के लिए काम से निजात जरूर मिल जाती है और वे पतंग उड़ाने या 'लूटने' निकल पड़ते हैं। इनके लिए आजादी का दिन महज 'एक दिन' भर है। असल में न तो इन्हें पढ़ने की आजादी है और न खेलने की। न ही इन्हें पौष्टिक आहार नसीब है और न ही साफ-सुथरे कपड़े मिलते हैं पहनने के लिए।
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj3En8a2MJZNP9bNDyHcZghkh5Kbxap8QsJupWNTuIWKwQTzJ7G1DTlIAaLp9fdsYRSVCnDYya4zhUj4aJmxQ8vmhHZU_h97zsBRing-0LlEyCNxNzRGkbvgKIto11VMCAbSpc5I9zRg0Mj/s1600/b-1.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj3En8a2MJZNP9bNDyHcZghkh5Kbxap8QsJupWNTuIWKwQTzJ7G1DTlIAaLp9fdsYRSVCnDYya4zhUj4aJmxQ8vmhHZU_h97zsBRing-0LlEyCNxNzRGkbvgKIto11VMCAbSpc5I9zRg0Mj/s200/b-1.jpg" /></a></div>
कौन हैं ये बच्चे? कहां से चले आए शहरों और महानगरों में। आपने आफिस जाते समय ट्रैफिक सिग्नल पर गाडि़यों के शीशे साफ कर पैसे मांगते देखा होगा। बस, ट्रेन में गाना गाकर पैसे मांगते भी देखा हो मगर कुछ मेहनती बच्चे आपको छोटी दुकानों और ढाबों पर काम करते भी मिल जाएंगे। पूछने पर बताते हैं कि घर की मदद के लिए वे काम कर रहे हैं। पिता कम कमाते हैं तो स्कूल कैसे भेजें। मां-बाऊजी की वह मदद कर रहा है। बड़ों की सेवा करने में उसका बचपन खो रहा है। हर दिन मरता है और वह हर दिन जीता है। यह एक ऐसा गुलामी है, जो न सरकार को दिखाई देती है और न समाज को। आजादी के जश्न में चंद स्कूलों के बच्चों को शामिल कर हम मिठाई खिलाते हैं और बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। मगर नेताओं और अधिकारियों को बेघर और बालश्रम में जकड़े बच्चे नहीं दिखाई देते।
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjiaRmOrHdD8QPGoGSUZUCBRf_CC5lb4jg56sLAk339ADcB3zHDL1tJxnljIxstuvMkLnPxUVN7b2U6Lbc2Ysq034ORxnQR5zYNFqe9bxMRy23GDE5gqfDiTnOVoZLn1ucuFAPoa3r8VLyS/s1600/b-2.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjiaRmOrHdD8QPGoGSUZUCBRf_CC5lb4jg56sLAk339ADcB3zHDL1tJxnljIxstuvMkLnPxUVN7b2U6Lbc2Ysq034ORxnQR5zYNFqe9bxMRy23GDE5gqfDiTnOVoZLn1ucuFAPoa3r8VLyS/s200/b-2.jpg" /></a></div>
कुछ बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें अपने मां-बाप के बारे में नहीं पता। लोगों की नजारों में ये स्ट्रीट चिल्ड्रेन या फिर लावारिस बच्चे हैं, जिन्हें लोग नफरत व हिकारत भरी नजरों से देखते हैं। आज जब देश में हर तरफ शिक्षा का प्रचार-प्रसार हो रहा हैं, तो वहीं ऐसे बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं। आजाद देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का सपना था कि देश का हर बच्चा शिक्षित हो। मगर आज इन बच्चों की शिक्षा तो दूर कोई सुध लेने वाला नहीं। सड़कों से लेकर स्टेशन तक, मंदिरों के बाहर मंडरा रहे इन फटे हाल बच्चों पर सरकारी तंत्र की नजर क्यों नहीं जाती।
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiDCOsLWjOaWeNJGitTSSwe7pd8eouSw58_MhXUpvp0lfMYlXS5ACw9afho2Y0rXDjr0AAFqKXTu-NPnSHb0RKlLy4hT7MBNMGQVos_WyTfaoclH6x_8qiwHfOPzBVlDd6h7CjiUTzrfRfE/s1600/b-3.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiDCOsLWjOaWeNJGitTSSwe7pd8eouSw58_MhXUpvp0lfMYlXS5ACw9afho2Y0rXDjr0AAFqKXTu-NPnSHb0RKlLy4hT7MBNMGQVos_WyTfaoclH6x_8qiwHfOPzBVlDd6h7CjiUTzrfRfE/s200/b-3.jpg" /></a></div>
अपनी जीविका चलाने के लिए ये बच्चे रेड सिग्नल पर करतब दिखा कर भीख मांगते हैं, कोई अखबार बेचता है, कोई ट्रेन में झाड़ू लगाता है तो कोई छोटी-मोटी दुकानों में काम कर अपना गुजारा करता हैं। सुबह से लेकर रात तक इनका जीवन सड़क से शुरू होकर सड़क पर ही खत्म हो जाता है। ये आजाद देश के सम्य समाज का हिस्सा नहीं बन पाते। ना ही इन्हें कोई अपनाने को पहल करता है। इन्हें दो-चार रुपए देकर लोग चलता कर देते हैं। ये बच्चे बेघर हैं। इनका कोई अभिभावक नहीं। ये उन लोगों के रहमो करम पर हैं, जो इनसे अच्छा या बुरा काम करा कर अपना मतलब साधते हैं।
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgRaA0aq5lBV0PhZogioL41T1cHXWIV4KFiB_qB9yhhyKD-H4z3UYI5AsH55YkPznzNhdM_NVqGT5dJ2PNxt72lXPyggLzb_D-suyFoUdHQYa-OhAoWNkXQ8N8xp2EPe656wU_ec5iZNIDF/s1600/b-4.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgRaA0aq5lBV0PhZogioL41T1cHXWIV4KFiB_qB9yhhyKD-H4z3UYI5AsH55YkPznzNhdM_NVqGT5dJ2PNxt72lXPyggLzb_D-suyFoUdHQYa-OhAoWNkXQ8N8xp2EPe656wU_ec5iZNIDF/s200/b-4.jpg" /></a></div>
आंकड़ों पर नजर डालें तो चार लाख से भी ज्यादा बच्चे आजाद हिंदुस्तान में सड़कों पर अपना जीवन बिता रहे हैं। अकेले दिल्ली के आंकड़े देखें तो करीब 50 हजार बच्चे ऐसे हैं जिनके पास अपना कोई घर नहीं। सबसे बड़ी विडंबना यह हैं कि इनमें 15 से 20 फीसद लड़कियां हैं। आज जहां रेप कैपिटल बन चुकी दिल्ली में लड़कियां सुरक्षित महसूस नहीं करती, वहीं जहरा सोचिए सड़क पर रहने वाली इन लड़कियों की क्या हालत होगी? क्या ऐसे आजाद देश की कल्पना किसी ने की होगी, जहां बच्चे गुलामों जैसी जिंदगी जी रहे हैं। ऐसे ज्यादातर बच्चे चाहे वह लड़का हो या लड़की यौन हिंसा का शिकार होते हैं। आंकड़ों के मुताबिक लगभग 50 फीसद बच्चे यौन प्रताड़ना या यौन हिंसा का शिकार होते हैं। कई लड़कियों को जबरदस्ती जिस्मफरोशी में धकेल दिया जाता है।
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhptAXmkOPtDcbdHKApqQ64-39xjG6zfgPYBs4EYUWZPMNSc8L0Y9Tv1XchJsn4NY3F3aEKtGnQxeC90kGGN2ZGZJJI2XMbUyA9mynjy-7scZxF3htYHuP86SCSoqbBTiVvoJfIcNub9zLb/s1600/b-5.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhptAXmkOPtDcbdHKApqQ64-39xjG6zfgPYBs4EYUWZPMNSc8L0Y9Tv1XchJsn4NY3F3aEKtGnQxeC90kGGN2ZGZJJI2XMbUyA9mynjy-7scZxF3htYHuP86SCSoqbBTiVvoJfIcNub9zLb/s200/b-5.jpg" /></a></div>
कई बच्चे छोटी उम्र में ही घर छोड़ कर दूसरे शहर आ जाते हैं, इस उम्मीद में कि स्थिति बेहतर होगी पर होता उसका उलटा है। न तो उनके माता-पिता को फ्रिक होती है कि बच्चे कहां गए, न ही उनके पास इतने पैसे होते हैं कि उनकी खोज-खबर ले सकें। उन्हें तो यही लगता है अच्छा है अब कम पैसे में भी गुजारा होगा। फिर यही बच्चे लावारिस बच्चों की श्रेणी में आ जाते हैं। कम उम्र में ये बच्चे ऐसे काम सीखते और करते हैं जिनकी कल्पना शायद ही हम कर सकें। जुआ खेलना, चोरी करना, सिगरेट, शराब और नशीली चीजों का सेवन इनकी जिंदगी का हिस्सा हो जाता है। इन्हें न अपने कल की चिंता होती है और ना ही अपने भविष्य की। यही बच्चे बड़े होकर अपराधी बनते हैं क्योंकि इनका बचपन ही बुरा होता है। अगर आपको याद हो तो ऐसा ही किशोर दिल्ली में बहुचर्चित निर्भया कांड में शामिल था।
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj7KRDUodz_Ts4ZpsgoWlUSGGvVch1w8XBDS355-WTm7_mtcT1TYIRFXhf4vnn68KZ77RnGrpdgUqVTN9LHHMvfHgDYjBmk02AW5M7DdV_epttml-vpWzR9kl03dnds0SeuOD4LMXge1iR9/s1600/b-6.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj7KRDUodz_Ts4ZpsgoWlUSGGvVch1w8XBDS355-WTm7_mtcT1TYIRFXhf4vnn68KZ77RnGrpdgUqVTN9LHHMvfHgDYjBmk02AW5M7DdV_epttml-vpWzR9kl03dnds0SeuOD4LMXge1iR9/s200/b-6.jpg" /></a></div>
आजाद देश के भविष्य की बात करते हैं तो मन में एक ही ख्याल आता है कि बच्चे कल के कर्णधार बनेंगे, देश का भविष्य उज्ज्वल करेंगे। मगर जब बच्चे ही अशिक्षित और अपराधी बनने लगें, तो देश का भविष्य क्या होगा? हर पल हमारे आगे आते इन बच्चों के बारे में किसी को सोचने की फुर्सत नहीं। हम भले ही जमीन, आसमान और जल संसाधनों पर फतह हासिल कर लें पर असली फतह हमारी तभी होगी जब इन बच्चों को भी वही अधिकार और सुविधाएं मिलें, जो हम अपने बच्चों को देते हैं। इनकी उपेक्षा के बजाय समाज का हिस्सा बनाने और उनका भविष्य संवारने की जरूरत है। शिक्षा, आवास, चिकित्सा, उचित आहार और कपड़े उन्हें भी चाहिए। इसके लिए सरकार को कदम तो उठाना ही चाहिए, देश के शीर्ष उद्योगपतियों और स्वयंसेवी संगठनों को भी आगे आना चाहिए।
अरुण बंछोरhttp://www.blogger.com/profile/12855170553657623179noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3857395425335515762.post-20781902948566274562014-08-16T14:03:00.000+05:302014-08-16T14:03:27.717+05:30पहली बार बना सामाजिक विमर्श का माहौल <b>० वरना तिरंगा फहराकर और देशभक्ति के गीत बजाकर रस्म पूरी की जाती थी</b>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEghh4Cdrb7sjaznpH8lYDciIJ08YO7w7ZQS02CQp6-z27E_dTxjJJKXTqdtPyN_i44kwucLgTleWEeVlwmNVVzJBGsMnH7AFs9vcv9umlti5s3x49LROOqkvfw65TVlBvFrH64y5EEjcyZT/s1600/tiranga.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEghh4Cdrb7sjaznpH8lYDciIJ08YO7w7ZQS02CQp6-z27E_dTxjJJKXTqdtPyN_i44kwucLgTleWEeVlwmNVVzJBGsMnH7AFs9vcv9umlti5s3x49LROOqkvfw65TVlBvFrH64y5EEjcyZT/s400/tiranga.jpg" /></a></div>
देश ने आजादी की 68 वीं सालगिरह मनाई। दिल्ली के लाल किले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित किया, तो उन्होंने महज राजनीतिक और सरकारी भाषण ही नहीं दिया, बल्कि सामाजिक मुद्ददे भी उठाये। इस मौके पर पहली बार कोई प्रधानमंत्री देशवासियों से सीधे संवाद करता नजर आया। मोदी ने सांप्रदायिकता, जातिवाद और प्रांतवाद को भूलकर देश-निर्माण में लग जाने को कहा। बेटियों की सुरक्षा और गरीबी से लड़ने का मुद्दा भी उठाया। नक्सलवादियों और आतंकवादियों से कहा कि वे कंधे पर बंदूक लेकर धरती को लाल तो कर सकते हैं, उनके कंधे पर हल होगा तो धरती हरी-भरी लहलहाती नजर आएगी।
मोदी ने कहा, ‘माता-पिता बेटियों पर बंधन डालते हैं, लेकिन उन्हें अपने बेटों से भी घर से बाहर निकलने पर पूछना चाहिए कि वे कहां जा रहे हैं। किसी महिला के साथ दुष्कर्म करने वाला व्यक्ति किसी का बेटा होता है। एक माता-पिता होने के नाते क्या वे अपने बेटों से पूछते हैं कि उनका बेटा कहां जा रहा है?’ मोदी के इस भाषण से पहली बार आजादी के दिन सामाजिक विमर्श का माहौल बना है। वरना तो देश भर में तिरंगा फहराकर और देशभक्ति के फिल्मी गीत बजाकर 15 अगस्त की रस्म पूरी कर ली जाती है। आजादी पर भाषण दिये जाते हैं, फ्रीडम फाइटर्स को याद किया जाता है, देश की अच्छी बातों और उपलब्धियों पर गर्व व्यक्त हो जाता है, पर यह शायद ही किसी के मन में आता है कि आजादी के मायने आखिर क्या हैं! क्या सिर्फ सरहदों तक अपना राज होना ही आजादी है? क्या अपना झंडा, अपना राष्ट्रगान, अपनी करेंसी और अपनी सरकार होना ही आजादी है? नागरिकों के लिए आजादी का मतलब क्या है? या यों कहें कि क्या होना चाहिए?
अंग्रेजों से लंबे संघर्ष के बाद 15 अगस्त, 1947 को भारत आजाद हुआ था। अपनी सरकार बनी, तो देशवासियों को लगा कि अब उनका जीवन बदल जायेगा। काफी कुछ बदला भी। देश भर में स्कूल, कारखाने और अस्पताल खुले। सड़कें, रेलवे लाइनें और बांध बने। साक्षरता, बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं, औसत आयु और औसत आय बढ़ीं। श्वेत और हरित क्रांतियां हुईं। दुग्ध उत्पादों और खाद्यान्नों के लिए देश आत्मनिर्भर हो गया। सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि तमाम विविधताओं, अनेकताओं और मतभेदों के बावजूद लोकतंत्र हमारे यहां सफल रहा।
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiOeRK8TzVTJZJ7vuffvu5q_pYJBkADwxX2bpxd-lgtzeuZL3mABD1Eavkc_eGnVJJC8aFpN1GCs4xt_y4auj4dk22QRUpJEsWl9XNbSRAdf6fyOFnZ45q6PfrEtT88_sxWqrHgz30dgqOY/s1600/dayitv.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiOeRK8TzVTJZJ7vuffvu5q_pYJBkADwxX2bpxd-lgtzeuZL3mABD1Eavkc_eGnVJJC8aFpN1GCs4xt_y4auj4dk22QRUpJEsWl9XNbSRAdf6fyOFnZ45q6PfrEtT88_sxWqrHgz30dgqOY/s400/dayitv.jpg" /></a></div>
क्या हम कभी सोचते हैं अपने दायित्वों के बारे में?
- क्या कभी हमारे मन में किसी गरीब बच्चे को पढ़ाने का खयाल आता है?
- क्या कभी हम किसी भूखे को खाना खिलाते हैं?
- क्या हमने कभी बिना किसी स्वार्थ के किसी जरूरतमंद की मदद की है?
- क्या कभी शोहदों को सरेराह छेड़छाड़ करते देखकर हमारा खून खौलता है?
- क्या कभी हमारे मुंह से कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ आवाज निकली है?
- क्या हमने कभी दहेज लने या देने का विरोध किया है?
- क्या हमने कभी किसी सरकारी दफ्तर में अपना काम जल्दी कराने के लिए रिश्वत नहीं दी है?
- क्या ट्रैफिक पुलिस द्वारा पकड़े जाने पर हम कॉंस्टेबल को चंद नोट देकर बच निकलने की जुगत में नहीं रहते?
- क्या हमारे मन में सिनेमाघर, बस, टिकट बुकिंग या बैंक की लाइन तोड़कर अपना काम जल्दी कराने की मंशा होती है?
- क्या हम बस या ट्रेन में बच्चों-बूढ़ों-महिलाओं को अपनी सीट देते हैं?
- क्या हम जरा ठहरकर, सड़क पार करते किसी नेतृहीन की मदद करते हैं?
- क्या हम सड़क पर आपस में लड़ते हुए लोगों को अलग करने की कोशिश करते हैं?
- क्या हमने कभी किसी को सार्वजनिक स्थान पर थूकते, कचरा फैलाते या पेशाब करते हुए देखकर टोका है?
- क्या अपने से ताकतवर के सामने सिर झुकाने और अपने से कमजोर का सिर अपने सामने झुकवाने की आदत से हम बाज आये हैं?
- क्या किसी घर से झगड़े की आवाज सुनकर हमने उसे सुलझाने के बारे में कभी सोचा है?
- क्या कभी किसी बाल मजदूर को छुड़ाने की कोशिश की है?
- क्या दूसरों का दुख दूर करने और अपनी खुशियां दूसरों में बांटने की भावना हमारे मन में कभी आयी है?
- क्या हमने कभी सार्वजनिक स्थानों पर परीक्षाओं के दौरान लाउडस्पीकर बजाये जाने का विरोध किया है?
- क्या अफवाहें और सांप्रदायिक तनाव फैलाने वालों का कॉलर पकड़कर हमने कभी उनसे पूछा है कि भई, ऐसा क्यों करते हो?
- क्या कभी खराब साइलेंसर वाले किसी बाइकर को फटकार लगाई है?
- क्या ऑटो-टैक्सी में न बैठाने वाले ड्राइवर की शिकायत कभी ट्रैफिक पुलिस से की है?
ऐसे बहुत से सवाल और भी हो सकते हैं। इनके जवाब में बहुत से लोग यह भी कह सकते हैं कि यह क्या हमारा काम है? सरकार, पुलिस और अदालतें आखिर किसलिए हैं? मगर, इस सवाल के बाद यह सवाल उठना भी लाजिमी है कि इन सबके होने के बाजूद ये तमाम हालात आखिर पैदा क्यों होते हैं?
इस सवाल का जवाब ऊपर के सवालों में ही छिपा है। ठीक है, तमाम जिम्मेदारी सिस्टम की है। फिर हमारे दायित्व क्या हैं? क्या समाज के लिए हमारा कोई सरोकार नहीं है? क्या हमारी यह सोच सही मानी जा सकती है कि अधिकार हमारे और कर्तव्य सिस्टम के?
अरुण बंछोरhttp://www.blogger.com/profile/12855170553657623179noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3857395425335515762.post-33288577259595132542014-08-14T11:39:00.001+05:302014-08-14T11:39:19.129+05:30अपराधी की उम्र कोई मुद्दा नहींकेंद्र सरकार ने 'किशोर न्याय (बाल संरक्षण और देखभाल) अधिनियम 2000' यानी जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में बदलाव को मंजूरी देकर इस संबंध में पिछले कुछ समय से चल रही बहस को एक निश्चित मुकाम पर पहुंचाने की कोशिश की है। संशोधित कानून के मुताबिक अब हत्या और बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों में लिप्त 16 से 18 साल के किशोरों पर मुकदमा चलाने के फैसले का हक जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को दिया जाएगा। बोर्ड ही तय करेगा कि मुकदमा उसके यहां चलेगा या सामान्य अदालत में।
केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर इस प्रस्तावित संशोधन से स्पष्ट है कि उसने नाबालिगों की उम्र सीमा घटाने की मांग नहीं मानी है और साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया है कि कानूनी प्रावधानों के तहत किसी मुकदमे में जघन्य अपराध में संलिप्त किसी किशोर या नाबालिग को किसी भी हालत में फांसी या उम्रकैद की सजा नहीं दी जाएगी।
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg8T7_78_U-M6R6s1UeH3OUAozw2T4RZllwFsPCMhFfojzzKdZHwll-1yq3Cng-xf20a8CjdPyZLKm7ywuR641l-QNlDNa-W0VEB0HIUnSIsZkeL_zZo4ZfYD6S1dnz884q2GSFG10-_App/s1600/apradhi+ki+umra.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg8T7_78_U-M6R6s1UeH3OUAozw2T4RZllwFsPCMhFfojzzKdZHwll-1yq3Cng-xf20a8CjdPyZLKm7ywuR641l-QNlDNa-W0VEB0HIUnSIsZkeL_zZo4ZfYD6S1dnz884q2GSFG10-_App/s400/apradhi+ki+umra.jpg" /></a></div>
इसमें कोई दो राय नहीं कि सरकार ने संशोधित कानून के प्रस्ताव को मंजूरी देते वक्त किशोर न्याय की मूल अवधारणा और विधिशास्त्र के स्थापित सिद्धांतों को ध्यान रखा है यानी उसने अपराध की गंभीरता को आधार बनाकर अधकचरी आपराधिक मानसिकता को संपूर्ण मानते हुए किशोरावस्था की उम्र घटा देने को न्यायसम्मत नहीं माना है। मौजूदा कानून में सरकार जो बदलाव करने जा रही है उससे संभावित अपराधियों में सजा का खौफ पैदा करने में तो मदद मिल सकती है, लेकिन इसे समस्या का अंतिम समाधान नहीं माना जा सकता।
सवाल है कि इस संशोधित कानून के मसौदे के मंजूरी देने से पहले सरकार ने क्या इस बात की भी समीक्षा कि 'किशोर न्याय अधिनियम, 2000' में क्या कमी रह गई थी? हकीकत यह है कि कानून में कमी नहीं थी, बल्कि संबंधित कानून के अधिकतर प्रावधानों को लागू ही नहीं किया जा सका। इस कानून के बन जाने के 13 वर्ष बाद भी पुलिस, अभियोजन पक्ष, वकीलों, दंडाधिकारियों और अदालतों को कानून के प्रावधानों की पर्याप्त जानकारी नहीं है।
किशोरों के विरुद्ध दर्ज हो रहे लगभग तीन-चौथाई मुकदमे ऐसे हैं, जो दर्ज ही नहीं होने चाहिए थे। किशोरों की दो-तिहाई गिरफ्तारियां गैरकानूनी हैं। किशोरों को सरकारी संरक्षण में रखने के लिए कानून में बताई गई व्यवस्था कहीं भी उपलब्ध नहीं है। इस कानून के लगभग 80 प्रतिशत प्रावधान देश में लागू ही नहीं हो पाए हैं। फिर यह समझ से परे है कि पुराना कानून बदलकर सरकार नया कानून लाने का फैसला क्यों कर लिया?
दिल्ली में चलती बस में हुई सामूहिक बलात्कार की बर्बर घटना में जब एक किशोर को भी दोषी पाया गया, तभी से यह मांग हो रही थी कि गंभीर अपराधों में लिप्त होने पर सजा दिलाने के लिए बालिग मानने की उम्र घटाई जानी चाहिए। इस मसले पर पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की गई थी। मगर मौजूदा कानूनों के तहत अदालत ने नाबालिगों की उम्र में कोई फेरबदल करने से इंकार कर दिया था।
समाजशास्त्रियों और बच्चों या किशोरों के लिए काम करने वाले स्वयंसेवी संगठनों ने भी कानून में बदलाव करने के मसले पर असहमति जताई और इस समस्या की बुनियादी वजहों पर गौर करने पर जोर दिया। इन संगठनों ने यह कहकर उम्र घटाने का विरोध किया कि इससे उन बच्चों के सुधार का रास्ता बंद हो जाएगा, जो अपनी सामाजिक परिस्थितियों के कारण या मजबूरीवश अपराध के रास्ते पर चल पड़ते हैं।
लेकिन आंकड़ों का हवाला देते हुए कई हलकों से बलात्कार और हत्या जैसे अपराधों के मामले में नाबालिगों की उम्र से संबंधित कानून बदलने की मांग की जा रही थी। ऐसी मांग करने वालों की दलील थी कि अब नाबालिगों का व्यवहार भी आम अपराधियों जैसा होने लगा है, वे भी खतरनाक अपराध में लिप्त होने लगे हैं।निर्भया कांड में सबसे ज्यादा क्रूरता भी एक नाबालिग ने ही दिखाई थी, पर जुवेनाइल जस्टिस एक्ट का लाभ उठाकर वह सस्ते में छूट गया। इन दो परस्पर विपरीत विचारों के बीच का एक मत यह रहा कि क्यों न अपराध की प्रकृति के आधार पर सजा तय हो। अगर अपराध गंभीर है तो किशोर आरोपी को सामान्य अपराधी के तौर पर देखा जाए।निर्भया बलात्कार और हत्याकांड के बाद उपजे जनाक्रोश को ध्यान में रखते हुए केंद्र की तत्कालीन यूपीए सरकार ने न्यायमूर्ति जेएस वर्मा की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था। समिति को स्त्री-विरोधी अपराधों से संबंधित कानूनी प्रावधानों को और कठोर बनाने के उपाय सुझाने का जिम्मा दिया गया था।इस समिति की रिपोर्ट के आधार पर भारतीय दंड संहिता के संबंधित प्रावधानों में परिवर्तन भी किए गए। वर्मा समिति के समक्ष एक अहम प्रश्न यह भी था कि क्या किशोरावस्था की उम्र को 18 से घटाकर 16 वर्ष किया जाना चाहिए?बहुत विचार-विमर्श के बाद समिति ने किशोरावस्था की उम्र 18 वर्ष ही रखने का सुझाव दिया था। इसी मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कोई आधा दर्जन याचिकाएं भी दायर की गई थीं, जिनमें किशोरावस्था की अधिकतम उम्र 16 वर्ष करने की गुहार लगाई गई थी।सुप्रीम कोर्ट के तीन न्यायाधीशों की एक खंडपीठ ने इन सभी याचिकाओं को एकसाथ सुनते हुए किशोरावस्था की उम्र को पुनः परिभाषित करने से इंकार कर दिया था। खंडपीठ ने कहा था कि किशोर न्याय अधिनियम, 2000 के प्रावधान अंतरराष्ट्रीय मानकों को ध्यान में रख कर बनाए गए तर्कसंगत प्रावधान है जिनमें फिलहाल हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है। दरअसल, किशोरावस्था की अधिकतम सीमा 18 वर्ष निर्धारित करते समय बाल-मनोवैज्ञानिकों और व्यवहार-विशेषज्ञों की राय को आधार बनाया गया था।सुप्रीम कोर्ट का मत था कि 18 वर्ष तक की आयु वाले किशोरों को सुधारकर उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने की बहुत गुंजाइश बाकी रहती है। निर्भया कांड जैसे गंभीर अपराधों को रोकने की पृष्ठभूमि में किशोरावस्था की उम्र कम किए जाने की दलील को सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने यह कह कर नकार दिया था कि इस प्रकार के गंभीर अपराध ऐसे घटित हो रहे कुल संगीन अपराधों की संख्या के मुकाबले बहुत कम है और अपवादस्वरूप ही सामने आते हैं। अपवादों को आधार बनाकर सामान्य कानून में परिवर्तन करना विधिशास्त्र के स्थापित सिद्धांतों के विपरीत होगा।नून बनाने वालों ने कानून लागू करने वालों से कभी यह पूछने की जहमत उठाई कि अब तक जिला मुख्यालयों पर किशोर अपराधियों को रखने के लिए 'निरीक्षण गृह,' 'सुरक्षित स्थान,' 'बाल भवन,' और देखभाल के बाद रखने के लिए कानूनसम्मत मुकम्मल व्यवस्था क्यों उपलब्ध नहीं है।सामुदायिक सेवा, परामर्श केंद्र और किशोरों की सजा से संबंधित अन्य साधन अभी तक क्यों विकसित नहीं हो पाए हैं? कितने प्रतिशत किशोर बार-बार अपराधों में शामिल हो रहे हैं और क्यों? राज्य का संरक्षण पाने के हकदार कितने बच्चों को सरकारी संरक्षण में रखने के उचित साधन राज्यों के पास है?दरअसल, हमें यह समझ लेना चाहिए कि अगर कानून पूर्ण रूप से लागू ही नहीं होंगे तो उनमें बार-बार संशोधन के पैबंद लगाने से कोई फायदा नहीं होने वाला है।दरअसल, मीडिया में जब भी किसी किशोर द्वारा गंभीर अपराध करने की खबर आती है, जनमत न्यायमूर्ति वर्मा समिति की रिपोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था को मानने से इंकार करता नजर आता है।जनता का तर्क होता है कि संगीन अपराधों में किशोरों की भागीदारी लगातार बढ़ती जा रही है, लिहाजा समय आ गया है कि किशोरावस्था की आयु-सीमा घटाकर उन्हें उचित दंड देने की व्यवस्था की जाए।मीडिया का एक तबका भी जनमत की इस मांग को बगैर सोचे-समझे तूल देने लगता है। कानून में कोई भी परिवर्तन करने से पहले यह नहीं भूलना चाहिए कि जनता की राय हमेशा तर्कसंगत और न्यायसम्मत नहीं होती।जनता की राय को कानून और न्याय की कसौटी पर परखना प्रशासनिक व्यवस्था की जिम्मेदारी होती है।निर्णय लेते समय उसी जनमत को महत्व दिया जाना चाहिए, जो प्रगतिशील और विवेकपूर्ण हो और सामुदायिक विकास और मानवता के सामूहिक मापदंडों पर खरा उतरता हो।वरना भीड़तंत्र जनमत का अपहरण करके लोकतंत्र को मजबूरी की जंजीरों में जकड़ लेगा और तालिबानी और खाप पंचायतों वाली मानसिकता न्यायिक व्यवस्था का हिस्सा बनने लगेगी। इस प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने की जरूरत है।
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अरुण बंछोरhttp://www.blogger.com/profile/12855170553657623179noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3857395425335515762.post-58820713895919057382014-08-13T12:12:00.002+05:302014-08-13T18:58:28.980+05:30लौट आओ रंजना! आज दुनिया से आँखें कैसे मिलाऊँ। उस दुनिया से जो तुमको मेरी ताकत के रूप में जानती थी आज तुमसे बड़ी कमजोरी मेरी कोई नहीं रह गई। बस इस सवाल का जवाब दे दो मुझे मेरी नजरों में तुम्हारी कद्र और भी बढ़ जाएगी। कल तक लोग मेरी और तुम्हारी बातें करते नहीं थकते थे और जब भी मैंने उनसे बात की हर दूसरी बात में तुम ही शामिल रहीं लेकिन अचानक ऐसा क्या हुआ कि जिस रंजना की तरफ मैं दौड़ता-भागता हर हाल में पहुँच जाता था आज उससे कोसों दूर होता जा रहा हूँ।
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiQptKU6Y_wifVjioVX32IKHWh6rX9y_4SVJJo4Hif1p-mBcEYnNkG17qm1tsgC81_2sOb-p1Qla4e-L-vRzj43rm30HxoArRTUZ3BfA8hhw4oY-unpLij4Mj1EExW6xZfkEY_a-ZQlCVhR/s1600/p-1.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiQptKU6Y_wifVjioVX32IKHWh6rX9y_4SVJJo4Hif1p-mBcEYnNkG17qm1tsgC81_2sOb-p1Qla4e-L-vRzj43rm30HxoArRTUZ3BfA8hhw4oY-unpLij4Mj1EExW6xZfkEY_a-ZQlCVhR/s320/p-1.jpg" /></a></div>
कल तक जिन बाँहों में मैंने अपनी ज़िंदगी गुजारी, आज उन्हीं बाँहों ने किसी और को अपने भीतर समेट लिया। मेरा हमसफर आज आँखें फेरकर बहुत आगे बढ़ गया। न जाने वह कहाँ चला गया? जिसे मेरी नजर आज तक हर-जगह ढूँढ रही है। काश.. आज वह मेरे पास होता तो मेरी हर डगर गुलिस्ताँ थी। वह इन बाँहों और प्यार की ठंडी छाँव को छोड़कर बहुत-बहुत दूर चला गया है।
कभी तो उसका मेरी नजरों के सामने होना मुझे सुकून देता था आज कचोट रहा है। आज तुम मुझसे नजरें चुरा रही हो या मेरी कोई ऐसी खता है जो तुम मेरी तरफ देखना भी नहीं चाहतीं। मुझे कम से कम मेरी इस गलती का अहसास करा दो। मैं हर सजा के लिए तैयार हूँ लेकिन आज जो सजा भुगत रहा हूँ उसके लिए तो मेरी अंतरात्मा भी गवारा नहीं कर रही कि बगैर गलती के कैसे मैं यह दिन गुजार रहा हूँ।
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiycB7la06Uhdy7Nun6u268DLMpUy2J8kVmhe3gdGoJpe9uCYs8QEKYg6DdT7gxE192Ip30f3WVbmj2XG3bdPBVlF4aQKMO6L8e7u0EgzDI9oXawAsZyJsq9pdbZC8LvJKF1bw0w_VnteJ2/s1600/p-2.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiycB7la06Uhdy7Nun6u268DLMpUy2J8kVmhe3gdGoJpe9uCYs8QEKYg6DdT7gxE192Ip30f3WVbmj2XG3bdPBVlF4aQKMO6L8e7u0EgzDI9oXawAsZyJsq9pdbZC8LvJKF1bw0w_VnteJ2/s320/p-2.jpg" /></a></div>
तुम्हें हमारे उसी प्यार का वास्ता जो मैंने तुमसे किया था और यदि मेरा भ्रम नहीं तो तुमने भी मुझसे किया था। और यदि वह भ्रम था तो इसी बात का यकीन मुझे दिला दो।
<b>कल तक जिन बाँहों में मैंने अपनी ज़िंदगी गुजारी, आज उन्हीं बाँहों ने किसी और को अपने भीतर समेट लिया। मेरा हमसफर आज आँखें फेरकर बहुत आगे बढ़ गया। न जाने वह कहाँ चला गया? जिसे मेरी नजर आज तक हर-जगह ढूँढ रही है।</b>
इतना मजबूर तो रंजना मैंने कभी तुम्हें नहीं पाया। फिर आज क्यों? क्या मेरे प्यार से तुम्हें इतनी भी ताकत नहीं मिली कि केवल 10 मिनट का समय निकालकर यह सब बातें मुझे मिलकर या फोन पर ही बता सको। रंजना इस दास्तान का अंत मैं केवल तुम्हारे मुँह से सुनना चाहता हूँ।
हालाँकि मैं जानता हूँ कि मुझे मेरी करनी की ही सजा मिली है। रंजना जैसा कि तुम जानती हो मैंने अपनी पूर्व प्रेमिका डॉली को अनजाने में धोखा दिया था। यह मुझे उसी की सजा मिली है कि मैं तुमसे मिल नहीं सका। शायर की वह पंक्तियाँ याद आ जाती हैं मुझे
'आज किसी ने दिल तोड़ा तो हमको जैसे याद आया
जिसका दिल हमने तोड़ा था वो जाने कैसा होगा।'
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhC4BNOclUr6ihhOz38e-D62-h12yPuCb4a0SrY0MlFsdFte8oGqqB8KQsyB1bm3wd7dS4YOE6tJioE4qiPKznPCP477E31BQEBhltnmOktSdwAp7bHUZkQorBa0jVQ-0lK-U1xq_j1HWj4/s1600/p-3.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhC4BNOclUr6ihhOz38e-D62-h12yPuCb4a0SrY0MlFsdFte8oGqqB8KQsyB1bm3wd7dS4YOE6tJioE4qiPKznPCP477E31BQEBhltnmOktSdwAp7bHUZkQorBa0jVQ-0lK-U1xq_j1HWj4/s400/p-3.jpg" /></a></div>
जो गलती मैंने डॉली के समक्ष की थी वह मैं दोहराना नहीं चाहता था इसलिए मैंने तुम्हें पाने के लिए अपने घर वालों से भी बगावत की। और तुम्हारी भी वह सभी बातें मानी जोकि तुम चाहती थीं। हमने कभी भागकर शादी करने की नहीं सोची। उसके लिए मैंने तुम्हें अपने माता-पिता से मिलवाया और मैं खुद तुम्हारे माता-पिता से भी मिला और अपनी शादी की बात की थी।
मुझे शिकायत तुमसे तो कभी थी ही नहीं और यकीन मानो आज भी नहीं मैं आज भी तुम्हें उतना ही चाहता हूँ जितना कि कल। लेकिन मेरे प्यार का भरम रखने के लिए ही मुझे चंद सवालों के जवाब जरूर देना, मेरी गलती जरूर बताना। नहीं तो जिंदगी भर इस बात का पछतावा मुझे रहेगा कि मैंने आखिर किस गलती की सजा भुगती।
- जॉन (जो कभी तुम्हारा था)
<b>* रब्बा इश्क ना होवे...</b>
घटनाक्रम कुछ ऐसा है कि जॉन और रंजना दोनों एक-दूसरे को लगभग 4 वर्षों से जानते थे और दोनों के बीच लगभग 2 वर्षों से प्रेम प्रसंग चल रहा था। जॉन ने ही रंजना को प्रपोज किया था जिसे रंजना ने दोस्ती मानकर स्वीकार कर लिया था। धीरे-धीरे दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई। इस रिश्ते की कद्र करते हुए दोनों शादी के लिए सहमत हो गए। जॉन बाकायदा जाकर रंजना के माता-पिता से मिला और रंजना को भी अपने माता-पिता से मिलवाया। दोनों के घर वालों से भी उन्हें सहमति मिली। दोनों की एक-दूसरे के घर में घनिष्ठता भी बढ़ गई।
लेकिन इसके थोड़े ही दिनों बाद रंजना ने जॉन की तरफ देखना भी बंद कर दिया। करीब 3 महीने निकलने के बाद जॉन ने रंजना से इस बेरुखी के बारे में जानना चाहा। रंजना पहले तो टालती रही और स्पष्ट कुछ नहीं बोली। लेकिन जॉन को अपने दोस्तों से पता चला कि रंजना की एंगेजमेंट किसी दूसरे शहर में रहने वाले लड़के से हो गई है और अगले माह दोनों शादी भी करने वाले हैं।
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgTXFeiYgVZzfCwzgmuBTz2oyBeTLod2A3Odx54EAqZbSS7YHsCpYm40MsT_B2fO4Gt5F04XXVzEXOWB03ihshYxqaRXeqgiDc65pwiHmLkj0gaCsjTCcFZyQdqoKZEmpiEErbL_RH6920G/s1600/p-4.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgTXFeiYgVZzfCwzgmuBTz2oyBeTLod2A3Odx54EAqZbSS7YHsCpYm40MsT_B2fO4Gt5F04XXVzEXOWB03ihshYxqaRXeqgiDc65pwiHmLkj0gaCsjTCcFZyQdqoKZEmpiEErbL_RH6920G/s320/p-4.jpg" /></a></div>
जॉन के तो जैसे पैरों तले धरती ही खिसक गई। मानो आसमान टूट पड़ा हो उसके सिर पर। फिर भी थोड़ा सँभलते हुए जब उसे विस्तार से इसके बारे में पता चला तो समझ ही नहीं पा रहा था कि अब कैसे वह इस सदमे से उबरे। हरदम हँसते-खिलतेखिलाते चेहरे का स्वामी जॉन डिप्रेशन में चला गया।
योग, आर्ट ऑफ लिविंग आदि कई चीजों की मदद से जैसे-तैसे अपने आपको सँभालते हुए अपना आगे का जीवन काट रहा है। जी हाँ, जीवन काटना ही कहूँगा क्योंकि रंजना के बिना तो उसने कभी इस जीवन की कल्पना ही नहीं की थी। जिस बेवफाई के किस्से अब तक उसने किताबों में पढ़े और फिल्मों की पटकथाओं के रूप में रुपहले पर्दे पर देखे थे आज उसके जीवन की वास्तविकता बन गई थी। एक टूटे हुए व्यक्ति की भाँति अब उस पात्र को वह जी रहा था, रंजना की बेवफाई को सहते हुए या डॉली की यादों के सहारे। जीवन में रिश्तों के समीकरण कब, कहाँ कैसे बदल जाते हैं कोई नहीं जानता। लेकिन यह हमारे हाथों में होता है कि रिश्तों की बुनियाद को विश्वास के जल से सींचे ताकि ना डॉली का दिल टूटे ना कोई रंजना दिल तोड़ने पाए।
अरुण बंछोरhttp://www.blogger.com/profile/12855170553657623179noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3857395425335515762.post-55694438554360261952014-08-12T17:29:00.001+05:302014-08-12T17:29:41.056+05:30'जब रेप होता है तो धर्म कहाँ जाता है?'"पाँच पांडवों के लिए पाँच तरह से बिस्तर सजाना पड़ता है लेकिन किसी ने मेरे इस दर्द को समझा ही नहीं क्योंकि महाभारत मेरे नज़रिए से नहीं लिखा गया था!"
बीईंग एसोसिएशन के नाटक 'म्यूज़ियम ऑफ़ स्पीशीज़ इन डेंजर' की मुख्य किरदार प्रधान्या शाहत्री मंच से ऐसे कई पैने संवाद बोलती हैं.
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के सहयोग से मंचित इस नाटक में सीता और द्रौपदी जैसे चरित्रों के माध्यम से महिलाओं की हालत की ओर ध्यान खींचने की कोशिश की है लेखिका और निर्देशक रसिका अगाशे ने.
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi-sEu5g_7GPfs8Ew2AWc19DQZCfkt3EzPGlhuqWV12VkbpqkiAOvVc9jrFzlnAm9_NGBvWrp7xl3uABMTSuGw2dNcol647-DB_dqSIT_BpXsX4rReH3gpfDyYx1r_KlqxIwiUbmMT0FAiI/s1600/dharm+1.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi-sEu5g_7GPfs8Ew2AWc19DQZCfkt3EzPGlhuqWV12VkbpqkiAOvVc9jrFzlnAm9_NGBvWrp7xl3uABMTSuGw2dNcol647-DB_dqSIT_BpXsX4rReH3gpfDyYx1r_KlqxIwiUbmMT0FAiI/s400/dharm+1.jpg" /></a></div>
रसिका कहती हैं, "सीता को देवी होने के बाद भी अग्नि परीक्षा देनी पड़ी थी और इसे सही भी माना जाता है लेकिन मेरा मानना है कि 'अग्नि परीक्षा' जैसी चीज़ें ही रेप को बढ़ावा देती हैं."
<b>० ये विरोध का तरीका है</b>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjy2TMoanTWJsdXXHnoj92Ne-Ga-r6SxCW_yJGZY56Ir1mr5h3Fw36jpqsJsZbGT__2XOgPjqSXDO9l8nzCE5GuMIT1Dbk4in3QiQHWikwi9-Qm2ajhw4xITszlDESNpuDGbixZewS1smxj/s1600/dharm+2.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjy2TMoanTWJsdXXHnoj92Ne-Ga-r6SxCW_yJGZY56Ir1mr5h3Fw36jpqsJsZbGT__2XOgPjqSXDO9l8nzCE5GuMIT1Dbk4in3QiQHWikwi9-Qm2ajhw4xITszlDESNpuDGbixZewS1smxj/s400/dharm+2.jpg" /></a></div>
नाटक में शूर्पणखा पूछती है, "मेरी गलती बस इतनी थी कि मैंने राम से अपने प्यार का इज़हार कर दिया था? इसके लिए मुझे कुरूप बना देना इंसाफ़ है?"
शूर्पणखा सवाल उठाती है, "अगर शादीशुदा आदमी से प्यार करना ग़लत है तो राम के पिता की तीन पत्नियां क्यों थीं?"
रसिका कहती हैं, "16 दिसंबर को दिल्ली गैंगरेप के बाद इंडिया गेट पर मोमबती जलाने और मोर्चा निकालने से बेहतर यही लगा कि लोगों तक अपनी बात को पहुंचाई जाए और इसके लिए इससे अच्छा माध्यम मुझे कोई नहीं लगा."
<b>० कट्टरपंथियों का डर नहीं</b>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh_7Y0y-OKKLAhtb-xUR1ZFxm1IW5WXAum5XCFEtBScF1WJn1RZCz0G4bzlA2mJgbixAeh5mR6dTVdcloczhsdmJH_QyYgqXU2htkXYk3_RoTvrgufXkKQnnIsfXP8xYmnVbSgFMl-iLEIm/s1600/dharm+3.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh_7Y0y-OKKLAhtb-xUR1ZFxm1IW5WXAum5XCFEtBScF1WJn1RZCz0G4bzlA2mJgbixAeh5mR6dTVdcloczhsdmJH_QyYgqXU2htkXYk3_RoTvrgufXkKQnnIsfXP8xYmnVbSgFMl-iLEIm/s400/dharm+3.jpg" /></a></div>
नाटक में सीता का किरदार निभाने वाली प्रधान्या शाहत्री हैं, "सच से डरना कैसा? ये हमारा विरोध करने का तरीका है और हम जानते हैं, हम ग़लत नहीं हैं."
जब आस्था का मामला आता है तो घर परिवार से भी विरोध होता है. द्रौपदी की भूमिका निभाने वाली किरण ने बताया कैसे घर वाले उनसे नाराज़ हो गए थे.
रसिका का कहना था, "ये पहली बार नहीं है कि किसी ने द्रौपदी और सीता के दर्द को लिखने की कोशिश की है और उस वक़्त धर्म कहाँ जाता है जब किसी लड़की का रेप हो जाता है."
<b>० हिंदू सभ्यता पर हमला?</b>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjfE4F05JoeNx59UHHg-R5Y36H6ssSN5NYGLtTL8ql5ZFT2vSttcXVJbt2Ol12pyytqPau0mpbZPdiwZkVca7B7cLdSktWmJHjmy5c3rvPMST5XYGDOloMeCaDfzWA181h_1r-U3wO2pykV/s1600/dharm+4.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjfE4F05JoeNx59UHHg-R5Y36H6ssSN5NYGLtTL8ql5ZFT2vSttcXVJbt2Ol12pyytqPau0mpbZPdiwZkVca7B7cLdSktWmJHjmy5c3rvPMST5XYGDOloMeCaDfzWA181h_1r-U3wO2pykV/s400/dharm+4.jpg" /></a></div>
"कुंती ने हमारा सेक्स टाइमटेबल बनाया ताकि किसी भाई को कम या ज़्यादा दिन न मिलें." द्रौपदी जब मंच से ये संवाद बोलती हैं तो तालियां गूंज उठती हैं.
नाटक की सीता पूछती हैं, "लोग पूछेंगे कि सीता का असली प्रेमी कौन था? वो रावण जिसने उसकी हां का इंतज़ार किया या वो राम जिसने उस पर अविश्वास किया?"
सिर्फ़ हिंदू मान्यताओं पर ही छींटाकशी क्यों, इसके जवाब में वह कहती हैं, "हमने ये कहानियां बचपन से सुनी हैं. हमें ये याद हैं और इसलिए हम इसके हर पहलू पर गौर कर सकते हैं."
<b>(बीबीसी से साभार)</b>
अरुण बंछोरhttp://www.blogger.com/profile/12855170553657623179noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3857395425335515762.post-83212699074233931082014-08-11T12:13:00.001+05:302014-08-11T12:13:14.552+05:30काली(अरुण कुमार बंछोर)
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi5EXyV65bt0yLpWPyoop8n0d01dsuXClkUMYGnyQpCwDsFwPEFqIiAZwZr5AkOR5Oz2gbT8y5KV4rRFqLSlcC-WgftwOyiS9k7xpn3ho9UaM4Rx6oyu89-V-cLMYfoLpgEMzE_6aWCaRRw/s1600/kali.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi5EXyV65bt0yLpWPyoop8n0d01dsuXClkUMYGnyQpCwDsFwPEFqIiAZwZr5AkOR5Oz2gbT8y5KV4rRFqLSlcC-WgftwOyiS9k7xpn3ho9UaM4Rx6oyu89-V-cLMYfoLpgEMzE_6aWCaRRw/s400/kali.jpg" /></a></div>गरीब बस्ती में रहने वाले रामदीन की सारी उम्र खिलौने बनाकर बेचने में ही बीत गई। एक बेटी को जन्म देकर बीवी कभी की मर गई थी। अब वह भी बूढ़ा हो गया था। दमे का शिकार अलग था, फिर भी पेट भरने के लिए खिलौने बनाता था। अब उसकी बेटी काली जवान हो गई थी और रोज टोकरा सजाकर खिलौने बेचने बाजार जाती थी।
काली का रंग कोयले की तरह काला था। नाक चपटी और आंख टेढ़ी बनाकर कुदरत ने उसको मजाक का पात्र बना दिया था। उसका नाम काली किसी ने रखा नहीं, बल्कि खुद ही मशहूर हो गया था।
पिता रामदीन ने उसकी शादी के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा लिया, मगर कोई भी उससे शादी करने को तैयार नहीं हुआ। कभी-कभार उसके जवां अरमान मचलते और छिपकर वह घर के टूटे आईने के सामने खड़ी होती और अपने बिगड़े चेहरे को देख सहमकर आईने के सामने से हट जाती।
कई बार रामदीन बस्ती वालों से कहता था कि उसे अपनी मौत का डर नहीं रहा। काली खिलौने बेचकर अपनी जिंदगी गुजार लेगी। पर काली को पिता के ये सादगीभरे शब्द कांटे की तरह चुभते थे। वह तो अपने बूढ़े पिता का सहारा बन गई, पर उसकी वीरान जिंदगी का सहारा कोई क्यों नहीं है? कितनी ही बार लोगों की उसकी बदसूरती का मजाक उड़ाया था। वह सोचती- 'क्या बदसूरतों में दिल नहीं होता? क्या हमारे दिल में कोई अरमान नहीं होते?' पर दुनिया को इससे क्या लेना-देना?
एक दिन काली खाना बनाकर खिलौने बेचने के जाने के लिए तैयार हो रही थी कि तभी पिता ने आवाज लगाई- 'बेटी, खिलौने का टोकरा तैयार है।'
'आई बापू', काली दौड़कर पिता के पास गई। काली ने देखा, रोज की तरह पिता ने दूसरे खिलौनों के ऊपर एक बदसूरत खिलौना रख दिया था।
काली ने कहा- 'बापू इसे हटा दो। कल भी मैंने कहा था। इसे कोई नहीं खरीदता, फिर क्यों इसे रख देते हो?'
पिता ने समझाते हुए कहा- 'बेटी, कुछ ही तो टेढ़ा-मेढ़ा है। नजर बचाकर किसी को खपा देना।
काली ने पिता को समझाया- '10 दिन हो गए, सब खिलौने बिक जाते हैं, केवल यही टोकरे में रखा रह जाता है, खपने की चीज होती, तो कभी की खप जाती...।'
बूढ़े बापू ने कहा- 'बेटी, आज और आजमा लो...। तुम्हारी शादी की अभी भी उम्मीद लगाए बैठा हूं।'
काली के वीरान मन में आशा की किरण फिर जाग उठी।
'बापू को अभी भी मेरी शादी की उम्मीद है। अगर यह खिलौना खप जाएगा, तो शायद मैं भी इस दुनिया के हाट में खप जाऊंगी...' और काली ने वह बदरंग, टेढ़ा-मेढ़ा खिलौना टोकरे में रख लिया।
काली देर रात तक खिलौने बेचती रही। एक-एक कर सारे खिलौने बिक गए। हर बार वह उस कुरूप व बदरंग खिलौने को आगे बढ़ाती, पर उसका हाथ हटाकर बच्चे दूसरे खिलौने खरीद लेते। उस छूते तक नहीं। एक ने तो यहां तक कह दिया कि 'इसे कचरे के ढेर में डाल दो। नहीं तो नदी में फेंक दो...। बार-बार इसे क्यों उठा लाती हो?'
काली का दिल टूट गया। काश! आज यह खिलौना बिक जाता, तो शायद दुनिया के हाट में वह भी कहीं खप जाती। वह फफक-फफककर रो पड़ी।
रात बहुत हो चुकी थी। रात के सन्नाटे में किसी ने भी उसके आंसुओं को नहीं देखा। तेज कदमों से दौड़ती हुई वह घर की ओर जा रही थी। उसका जी कर रहा था कि जल्दी घर जाकर चीख-चीखकर बूढ़े बापू को कोसे कि क्यों बापू ने उसकी बात नहीं मानी? क्यों उसे वह खिलौना बाजार में खपाने के लिए मजबूर किया।
लालटेन जल रही थी। झोपड़ी में पुरानी खटिया पर बैठा रामदीन बेटी का इंतजार कर रहा था। आज दमा भी बढ़ गया था। धौंकनी की तरह उसका सीना फूल रहा था।
रह-रहकर उसके दिमाग में बुरे खयाल आ रहे थे- 'अब मैं ज्यादा दिन नहीं जी पाऊंगा... दमा मेरा दम लेकर ही रहेगा... मगर मैं मर गया तो काली इस वीरान दुनिया में अकेली रह जाएगी...' तभी धड़ाम से दरवाजा खुला और धम्म से काली पिता के सामने बैठ गई। उसके खाली टोकरे में मात्र वही कुरूप खिलौना पड़ा था।
यह देख रामदीन का दम फूलने लगा। सूनी आंखों से वह काली को देखने लगा। बूढ़े पिता के फूलते दमे और गहरी, सपाट आंखों को देखकर काली का गुस्सा शांत हो गया। उसकी आंखों से आंसू गिर गए।
वह धीरे से बोली- 'बापू आइंदा ऐसा खिलौना मत बनाना जिसका खरीदार दुनिया में कोई न हो।'
और उसने वह खिलौना जमीन पर दे मारा। खिलौने के टुकड़े झोपड़ी में चारों ओर बिखर गए।
रामदीन कुछ नहीं बोला। उसकी आंखों में भी दो मोती चमक आए थे।
अरुण बंछोरhttp://www.blogger.com/profile/12855170553657623179noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3857395425335515762.post-12303537204839703502014-08-08T15:50:00.003+05:302014-08-08T15:50:37.103+05:30क्या मुझे फेसबुक से प्यार हैक्या फेसबुक बोरिंग लगने लगा है। क्या आप फेसबुक और अपने रिश्ते को खत्म करना चाहते हैं? विशेषज्ञ कहते हैं कि फेसबुक के साथ करीबी रिश्ता होना एक गंभीर मामला है। एक सोशल मीडिया एक्सपर्ट अपनी कहानी बताती हैं।
मुझे फेसबुक इस्तेमाल करने में बड़ा मजा आता था लेकिन करीब एक साल पहले मैंने लॉगिन करते वक्त लगा कि मैं ऐसा सिर्फ आदत से मजबूर हो कर कर रही हूं। मेरे और फेसबुक के बीच प्यार खत्म हो चुका था। लेकिन मैं लगी रही। पहले फेसबुक में फॉर्मेट बदले और मुझे लगा कि मैंने तय कर लिया है कि फेसबुक में मैं क्या और कितना पोस्ट करूंगी। फेसबुक के साथ मेरा प्यार का रिश्ता। यह काफी कुछ मेरे रोमांटिक संबंधों जैसा है। क्या मुझे वाकई फेसबुक से प्यार हो गया है?
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEguSjWgoyp2xmqrjPRyv5FpD3yRJUM5aYaqVZbmUdvbQUuYT2SmmtvuiEJ1MUGAxwa5LdsxxoLEG3Yo6Rrbfd2Z6Ru4YeA-KrkQzyMOzVouoOW1C6c2Exa0mnZO8kKf8S1Qg1mz4Sqd15pr/s1600/fb.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEguSjWgoyp2xmqrjPRyv5FpD3yRJUM5aYaqVZbmUdvbQUuYT2SmmtvuiEJ1MUGAxwa5LdsxxoLEG3Yo6Rrbfd2Z6Ru4YeA-KrkQzyMOzVouoOW1C6c2Exa0mnZO8kKf8S1Qg1mz4Sqd15pr/s400/fb.jpg" /></a></div>
फेसबुक और मेरा रिश्ता : सूसन किलियम ब्रिटेन में मनोवैज्ञानिक हैं। वह कहती हैं, 'फेसबुक से आपको प्यार हो सकता है।' रिश्तों की भी एक प्रक्रिया होती है। पहले स्तर पर आपका लगाव शारीरिक और भावनाओं से जुड़ा होता है और आप एक दूसरे के साथ वक्त बिताना पसंद करते हैं। मस्तिष्क में ऑक्सिटेसिन जैसे हॉरमोन की मात्रा अधिक हो जाती है। सोशल नेटवर्क का हिस्सा बनना कुछ कुछ ऐसा ही होता है। किलियम कहती हैं कि लोगों की तरह ही फेसबुक के साथ रिश्ता भी एक असली रिश्ते जैसा लग सकता है।
और सोशल नेटवर्क्स का आपको नशा भी हो सकता है, प्यार या सेक्स के नशे की तरह या फिर ड्रग्स के नशे की तरह। लेकिन कुछ समय बाद आप आम जिंदगी में लोटते हैं। आपकी भावनाएं सामान्य हो जाती हैं और आप अपने प्यार के पात्र में खामियां देखने लगते हैं। इस स्तर पर आने के बाद आपके पास दो विकल्प हैं। आप या तो संतुष्ट होकर एक अच्छे रिश्ते में शामिल हो सकते हैं या फिर आपको लग सकता है कि आप अपना वक्त जाया कर रहे हैं।
तो फिर क्या करें : सोशल नेटवर्क में भी ऐसा ही होता है। अगर आपके फेसबुक फ्रेंड्स आपको अनदेखा कर रहे हैं, तो आपको बुरा लग सकता है। अगर वह आपको चिढ़ाने लगते हैं या फिर फेसबुक अपनी प्राइवेसी सेटिंग बदलता है तो आपको अजीब लगने लगता है। हर रिश्ते की तरह आपके सामने एक सवाल है- क्या आप इस रिश्ते में रहना चाहते हैं।
ज्यूरिख के ईटीएच तकनीकी संस्थान में पावलिन मावरोडीव कहते हैं कि फेसबुक जैसे नेटवर्क में अगर यूजर को फायदा दिखे तो वह रह जाता है, नहीं तो वह इसे छोड़ देता है। मावरोडीव कहते हैं कि कुछ सोशल नेटवर्क्स एक बुरे रिश्ते की तरह भी हो सकते हैं। कई बार अगर एक दोस्त फेसबुक पर कम पोस्ट करने लगता है तो उसके साथ के कुछ लोग भी फेसबुक पर कम आने लगते हैं। धीरे-धीरे और लोग फेसबुक या किसी सोशल नेटवर्क से निकलने लगते हैं।मेरे और फेसबुक के रिश्ते के बारे में पता नहीं। मुझे लगता है कि मैं एक स्थिर लेकिन बोरिंग शादी में फंस गई हूं। लेकिन मेरे दोस्त लगातार फेसबुक छोड़ रहे हैं और हो सकता है मैं भी फेसबुक से निकलने लगूं।
(साभार-वेबदुनिया डाट काम)
अरुण बंछोरhttp://www.blogger.com/profile/12855170553657623179noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3857395425335515762.post-25261761978672527872014-08-07T14:12:00.001+05:302014-08-07T14:12:34.384+05:30आने वाले समय में 20 की उम्र में ही आएगा बुढ़ापा<b>0 पुरुष होंगे कमजोर</b>
उज्जैन। बात चौंकाने वाली है कि एक समय ऐसा आएगा जब 16 वर्ष की उम्र में बाल सफेद हो जाएंगे और 20 वर्ष की उम्र में बुढ़ापा आ जाएगा। ब्रह्मवैवर्त पुराण में बताया गया है कि कलियुग में ऐसा समय भी आएगा जब इंसान की उम्र बहुत कम रह जाएगी, युवावस्था समाप्त हो जाएगी। इस पुराण में कलियुग में किस प्रकार का वातावरण रहेगा, इंसानों का जीवन कैसा रहेगा, स्त्री और पुरुष के बीच कैसे संबंध रहेंगे आदि बातों की भविष्यवाणी की गई है। यहां जानिए इस पुराण में कलियुग के लिए क्या-क्या भविष्यवाणी पहले से ही कर दी गई है...
<b>इंसानों की उम्र हो जाएगी बहुत कम</b>
कलियुग में इंसानों की उम्र बहुत कम हो जाएगी। स्त्री और पुरुष, दोनों ही रोगी और थोड़ी उम्र वाले हो जाएंगे। 16 वर्ष की आयु में ही लोगों के बाल पक जाएंगे और वे 20 वर्ष की आयु में ही वृद्ध हो जाएंगे। युवावस्था समाप्त हो जाएगी। यह बात सच भी प्रतीत होती है, क्योंकि प्राचीन काल में इंसानों की औसत उम्र करीब 100 वर्ष रहती थी। उस काल में 100 वर्ष से अधिक जीने वाले लोग भी हुआ करते थे, लेकिन आज के समय में इंसानों की औसत आयु बहुत कम हो गई है। भविष्य में भी इंसानों की औसत उम्र में कमी आने की संभावनाएं काफी अधिक हैं, क्योंकि प्राकृतिक वातावरण लगातार बिगड़ रहा है और हमारी दिनचर्या असंतुलित हो गई है। <div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjqUdrW9-qdv5wDX6brUU1pciSbXqHqA6J3LpshBdlifhCXqY1I6i8lFuAfXZQGuf7kNr8MsInNm4Hw3wJFpLQyZG47B_k6rfc-47Fii8E5wZfiINdtVhK-UagKM6XzL4ziIOQlTU6ob3UR/s1600/ghadi.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjqUdrW9-qdv5wDX6brUU1pciSbXqHqA6J3LpshBdlifhCXqY1I6i8lFuAfXZQGuf7kNr8MsInNm4Hw3wJFpLQyZG47B_k6rfc-47Fii8E5wZfiINdtVhK-UagKM6XzL4ziIOQlTU6ob3UR/s400/ghadi.jpg" /></a></div>पुराने समय में लंबी उम्र के बाद ही बाल सफेद होते थे, लेकिन आज के समय में युवा अवस्था में ही स्त्री और पुरुष दोनों के बाल सफेद हो जाते हैं। जवानी के दिनों में बुढ़ापे के रोग होने लगते हैं।
अरुण बंछोरhttp://www.blogger.com/profile/12855170553657623179noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3857395425335515762.post-72285728248847253892014-07-16T14:27:00.000+05:302014-08-11T12:57:22.561+05:30हवामहल,लाजवाब इमारत<b>गुलाबी नगरी की समृद्ध ऐतिहासिक विरासत</b>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhR3kzcZR4SH-zVvpPCL1uuTEEGHjM2CUpDK1zimVdmW-HH-woDsnGRUAs9XDts0A5OQoMe2xll7N7bUrcn6VzRnQeRW5qgY1eYgrYuNGemOmZePkoU2xyomrcOLKSryrQJ1d_aZZ_BHX2o/s1600/005.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhR3kzcZR4SH-zVvpPCL1uuTEEGHjM2CUpDK1zimVdmW-HH-woDsnGRUAs9XDts0A5OQoMe2xll7N7bUrcn6VzRnQeRW5qgY1eYgrYuNGemOmZePkoU2xyomrcOLKSryrQJ1d_aZZ_BHX2o/s400/005.jpg" /></a></div>
पिंक सिटी जयपुर का शाही पैलेस हवा महल महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर है। जयपुर जाने वाले पयर्टकों के लिए यह आकर्षण का मुख्य केंद्र है। हवा महल का निर्माण 1799 में श्री कृष्ण भक्त महाराजा सवाइर् प्रताप सिंह ने करवाया था। यह महल राधा व कृष्ण को समर्पित है।हवामहल को देखने का मुझे अवसर प्राप्त हुआ है। मै ऐसे समय में हवामहल का दीदार कर रहा था, जब लोग होली उत्सव पर रोगों में डूबे हुए थे। १६ मार्च का वह दिन था जब हम हवामहल के सामने खड़े होकर गुलाबी नगरी को निहार रहे थे।
यह महल गुलाबी पत्थरों से बना हुआ है। इस महल की डिजाईन लाल चंद उस्ता ने बनाई थी। इस महल का निर्माण विशेष रूप से महिलाओं के लिए किया गया था ताकि वह जाली स्क्रीन के माध्यम से शाही जुलूस के दृश्यों का आनंद उठा सकें।
पिरामिड आकार के इस महल में लगभग 953 खिड़कियां हैं। जिन्हें झरोखा कह कर संबोधित किया जाता है। झरोखों से ठंडी हवा का समावेश होने के कारण यह महल भीतर से सदा ठंडा रहता है। इन खिड़कियों में से बहती हवा महल के भीतर आकर वातानुकूलन का कार्य करती है। सैकड़ों खिडकियों में से हवा के प्रवाह के कारण ही इस महल को ’हवामहल’ कहा जाता है। महल की छोटी बालकनी और छत से टंगी छजली महल की खूबसूरती में चार चांद लगाती है।
हवा महल की खिडकियों में रंगीन शीशों का अनूठा शिल्प देखने को मिलता है। जब सूरज की किरणें इसके रंगीन शीशों में प्रवेश करती हैं तो हवा महल के कमरों में इन्द्रधनुष की छटा बिखर जाती है। घूबसूरती की ऐसी छटा बिखरती है जिसका शब्दों में व्याख्यान कर पाना मुमकिन नहीं है।
इतिहास के झरोखे पर दृष्टि डाले तो ज्ञात होता है जयपुर शहर देश योजना के अंतर्गत बनाया गया पहला शहर था। इसकी स्थापना राजा जयसिंह ने अपनी राजधानी आमेर में बढ़ती आबादी और पानी की समस्या को ध्यान में रखते हुए की थी।1876 में जब वेल्स के राजकुमार यहां आए तो महाराजा राम सिंह के आदेश से पूरे शहर को गुलाबी रंग से रंगा दिया गया। उसी के बाद से ये शहर 'गुलाबी नगरी' के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
जयपुर का क्षेत्र 200 वर्ग किलोमीटर से भी अधिक है। पर्यटकों के लिए यहां घुमने लायक बहुत से स्थल हैं जो राजपूतों के वास्तुशिल्प के बेजोड़ नमूने हैं। यहां बहुत से ऐतिहासिक स्थल देखने को मिलते हैं जैसे जलमहल, जंतर-मंतर, आमेर महल, नाहरगढ़ का किला और आमेर का किला लेकिन इन सभी में खास है हवामहल। यह पांच मंजिला शानदार इमारत दरअसल सिटी पैलेस के ’जनान-खाने’ यानि कि हरम का ही एक हिस्सा है।
इस दो चौक की पांच मंजिली इमारत के प्रथम तल पर शरद ऋतु के उत्सव मनाए जाते थे। दूसरी मंजिल जडाई के काम से सजी है इसलिए इसे रतन मन्दिर कहते हैं। तीसरी मंजिल विचित्र मन्दिर में महाराजा अपने आराध्य श्री कृष्ण की पूजा-आराधना करते थे। चौथी मंजिल प्रकाश मन्दिर है और पांचवीं हवा मन्दिर जिसके कारण यह महल हवामहल कहलाता है। यदि सिरह ड्योढी बाजार में खडे होकर देखें तो हवामहल की आकृति श्री कृष्ण के मुकुट के समान दिखती है जैसा कि महाराजा प्रताप सिंह इसे बनवाना चाहते थे।
कब जाएं हवा महल की सैर करने- राजस्थान की चिलचिलाती गर्मी झुलसाने वाली होती है इसलिए हवा महल की सैर करने का प्रोग्राम सर्दियों के मौसम में ही बनाएं।कैसे जाया जाए हवा महल- राजस्थान की राजधानी होने के कारण जयपुर को हवाई, रेल और सड़क सभी मार्गों से जोड़ा गया है। जयपुर का रेलवे स्टेशन भारतीय रेल सेवा की ब्रॉडगेज लाइन नेटवर्क का केंद्रीय स्टेशन है।
अरुण बंछोरhttp://www.blogger.com/profile/12855170553657623179noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3857395425335515762.post-10354995933980649672014-07-09T12:06:00.000+05:302014-07-09T12:06:37.056+05:30पाठशाला में मोदी की कुछ खरी-खरी बातेंनवनिर्वाचित सांसदों को उनके दलों द्वारा प्रशिक्षित किये जाने के लिए शिविर लगाना वैसे तो कोई नई बात नहीं है लेकिन हरियाणा के सूरजकुंड में लगी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो दिवसीय पाठशाला में जरूर कुछ नई बातें सामने आयीं। इस पाठशाला में भाजपा के नवनिर्वाचित सांसदों को जो पाठ पढ़ाया गया वह कुछ अलग किस्म का था। अब तक देखा गया है कि नवनिर्वाचित सांसदों को ऐसे शिविरों के माध्यम से संसदीय कार्य से जुड़ी गतिविधियों, नियमों तथा आचरण संबंधी ज्ञान प्रदान किया जाता था लेकिन मोदी की पाठशाला में सांसदों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा, नैतिकता और जिम्मेदारी का पाठ तो पढ़ाया ही गया साथ ही मीडिया से दूर रहने और सोशल मीडिया से जुड़ने का गुरु मंत्र भी प्रदान किया गया।
नरेंद्र मोदी जो सबसे अलग कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं उन्होंने अपने सांसदों को जो मंत्र दिये हैं वह हैं- पद की लालसा रखे बिना अपनी जिम्मेदारी निभाएं, निजी सचिव रखते समय पूरी सावधानी बरतें, सवाल पूछने और सांसद निधि के उपयोग में सतर्कता बरतें, किसी भी विषय में विशेषज्ञ बनें, सोशल मीडिया का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें, मीडिया से निश्चित दूरी बनाएं, क्षेत्र को अधिकतम समय दें, भ्रष्टाचार, अहंकार से दूर रह मिशन-विज्ञान के साथ काम करें, विधानसभा चुनाव की तैयारी करें, समस्या पर मीडिया की बजाय जनता के बीच जाएं, सभापति की अनुमति के बिना सदन में कुछ न करें, अच्छे कामों की सूचना जनता के बीच जाकर दें, नए दोस्त बनाएं और एक दूसरे से सीखें, करीब 100 साथी सांसदों का नंबर रखें और हर हाल में विकास करें।
इन गुरु मंत्रों पर निगाह डालने से कुछ बातें एकदम साफ हो जाती हैं। पहली यह कि पिछली लोकसभा में भारी हंगामे और पूरे के पूरे सत्रों के बेकार चले जाने से संसद की जो खराब छवि बनी थी उसे ठीक करने की सरकार ने ठानी है। यदि सभी सदस्य सभापति की बात मानकर आचरण करने लगें तो संसदीय कार्यवाही बड़े ही सहज ढंग से चलेगी जिससे हर छोटे बड़े मुद्दे पर विस्तृत चर्चा हो सकेगी, कोई भी गंभीर विधेयक बिना चर्चा के पारित कराने की नौबत नहीं आएगी। इसके अलावा सभी सदस्यों को अपने अपने क्षेत्र की समस्याओं को उठाने और उनका निराकरण करने की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करने का पूरा मौका मिल सकेगा। साथ ही सदन में माइक तोड़ने, कुर्सी फेंकने, मिर्च पाउडर स्प्रे, मारपीट, विधेयक फाड़ने जैसी घटनाएं सिर्फ अतीत का हिस्सा बनकर रह जाएंगी।
पिछली दो लोकसभाओं में जिस प्रकार पैसे लेकर सवाल पूछने, सांसद निधि के दुरुपयोग, मीडिया की सुर्खियों में जगह बनाने के लिए सदन में हंगामा करने आदि घटनाओं के कारण सांसदों की छवि पर जो असर हुआ उसका ख्याल भी सरकार को है और इसीलिए उसने अपने सांसदों को नैतिकता का पाठ तो पढ़ाया ही है साथ ही स्टिंग ऑपरेशनों से भी सावधान रहने को कहा है। भाजपा पहली ऐसी राजनीतिक पार्टी है जिसे बंगारू लक्ष्मण मामले में स्टिंग ऑपरेशन से झटका लगा था बाद में पार्टी के कई अन्य सांसद भी विभिन्न स्टिंग ऑपरेशनों में फंसे। इन्हीं सबके चलते मोदी सरकार सतर्क रुख अपनाए रहना चाहती है।
प्रधानमंत्री ने इस पाठशाला में ही पाठ पढ़ाना शुरू किया हो ऐसा नहीं है। सरकार बनते के साथ ही उन्होंने इसकी शुरुआत कर दी थी। सभी मंत्रियों, सांसदों को निर्देश दिया गया कि वह निजी सचिव रखते समय सावधानी बरतें और अपने किसी रिश्तेदार को इस पद पर नियुक्त ना करें। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी से भाजपा सांसद ने जब इस निर्देश की अनदेखी कर अपने पिता को सांसद प्रतिनिधि बना दिया तो मोदी ने खुद फोन पर झिड़की लगाई और यह पद किसी और को दिया गया। आजाद भारत के राजनीतिक इतिहास में यह पहली बार है कि केंद्रीय मंत्रियों की हालत यह है कि वह खुद अपनी पसंद का सचिव नहीं रख पा रहे। गृह मंत्री राजनाथ सिंह जैसा कद्दावर नेता भी अपनी पसंद का निजी सचिव नहीं रख सका। हाल ही में राज्यमंत्री उपेन्द्र कुशवाहा के उस आग्रह को भी पीएमओ ने खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने एक अधिकारी के नाम की सिफारिश अपने निजी सचिव पद के लिए की थी।
मंत्रियों के निजी सचिव, कार्यालय स्टाफ तक पर पीएमओ की सीधी निगाह यकीनन मंत्रियों को अधिक कार्यकुशलता के साथ काम करने को बाध्य कर रही है। इसकी एक बानगी केंद्रीय खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री रावसाहेब दानवे के एक बयान से मिल जाती है। उन्होंने अपने नागरिक अभिनंदन समारोह में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ काम करना आसान नहीं है। महाराष्ट्र के जालना से सांसद का कहना है कि मोदी के साथ काम करते समय महारथियों के भी पसीने छूट जाते हैं। उन्होंने कहा कि 35 साल के राजनीतिक कॅरियर में जब अब जाकर केंद्र में मंत्री पद मिला तो बड़ी प्रसन्नता हुई लेकिन मोदी के सख्त नियमों के चलते 18 घंटे लगातार काम करना पड़ रहा है और एक ही महीने में मेरा वजन चार किलो तक कम हो गया है। उन्होंने कहा कि नई कार खरीदने से लेकर हर चीज पर प्रधानमंत्री का नियंत्रण है और उन्हें फिजूलखर्ची पसंद नहीं है। उनकी पीड़ा इससे भी झलकी कि उन्होंने कहा कि काम इतना है कि घर तो दूर निर्वाचन क्षेत्र में भी जाने का अवसर नहीं मिल पा रहा।
अब तक लोग विभिन्न मुद्दों पर यह तो सुनते ही थे कि सरकार कोई सख्त कदम उठाने जा रही है लेकिन यह पहली बार है कि कोई सरकार सख्त तरीके से चल रही है। सरकार बने अभी महीना भर ही हुआ है कि आए दिन विभिन्न मुद्दों पर प्रधानमंत्री के समक्ष वरिष्ठ मंत्रियों की ओर से प्रेजेन्टेशन देकर समस्याओं और उनके समाधान की दिशा में उठाये जा रहे कदमों के बारे में बताया जा रहा है। खुद प्रधानमंत्री ने अपने लिए भी सख्त नियमों को लागू कर रखा है। अपनी सरकार के 30 दिन पूरे होने पर उन्होंने एक ब्लॉग के माध्यम से बताया कि उनकी सरकार ने हनीमून पीरियड़ का सुख भी नहीं लिया और पहले ही दिन से दिन-रात एक कर जनहित के कामों में खुद को लगा रखा है।
अरुण बंछोरhttp://www.blogger.com/profile/12855170553657623179noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3857395425335515762.post-12190694520673537962014-07-07T13:45:00.000+05:302014-07-07T13:45:31.758+05:30एकदम सही फैसला <b>शरीयत अदालतों को कानूनी दर्जा नहीं: सुप्रीम कोर्ट<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiXe8qcz5oqSDkQDdK_e0q6qT1egcDScd_mE0KgvVA_OBg20gBy7bSe0f5kBiAm2LYT7wcjDLb_jLqkEFcVfzPmtKsjgltcFHh0sdQrdo7scIIMr6xlZHum1w1BKffBNBAd7sxIacFPiA7z/s1600/Supreme+Court+India.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiXe8qcz5oqSDkQDdK_e0q6qT1egcDScd_mE0KgvVA_OBg20gBy7bSe0f5kBiAm2LYT7wcjDLb_jLqkEFcVfzPmtKsjgltcFHh0sdQrdo7scIIMr6xlZHum1w1BKffBNBAd7sxIacFPiA7z/s320/Supreme+Court+India.jpg" /></a></div></b>
सुप्रीम कोर्ट ने आज अपने अहम फैसले में कहा कि फतवों को कानूनी मान्यता नहीं है और किसी दारुल कज़ा को तब तक किसी व्यक्ति के अधिकारों के बारे में फैसला नहीं करना चाहिए जब तक वह खुद इसके लिए संपर्क नहीं करता है। देश की सर्वोच्च अदालत ने यह भी कहा कि शरीयत अदालतों को कानूनी दर्जा नहीं है।
कोर्ट ने निर्दोष लोगों के खिलाफ शरीयत अदालतों द्वारा फैसला दिए जाने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि कोई भी धर्म निर्दोष लोगों प्रताड़ित करने की इजाजत नहीं देता है। जज ने इमराना केस का हवाला देते हुए कहा कि फतवा किसी शख्स के व्यक्तिगत अधिकारों को अपूरणीय क्षति पहुंचा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिल्ली के वकील विश्व लोचन मदन की याचिका पर दिया है। विश्व लोचन ने अपनी याचिका में दारुल कज़ा और दारुल इफ्ता जैसे संस्थानों द्वारा समानांतर अदालतें चलाए जाने को चुनौती दी थी। उन्होंने अपनी याचिका में कहा था, 'ये अदालतें समानांतर कोर्ट के तौर पर काम करती हैं और मुस्लिमों की धार्मिक व सामाजिक आजादी निर्धारित करती हैं, जो कि गैर-कानूनी है।'
फरवरी में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने फैसले को सुरक्षित रखते हुए कहा था कि यह लोगों की आस्था का मामला है। इसी वजह से अदालत इसमें दखल नहीं दे सकती। तत्कालीन यूपीए सरकार ने कोर्ट से कहा था कि वह मुस्लिम पसर्नल लॉ के मामले में तब तक हस्तक्षेप नहीं करेगी, जब तक किसी के मौलिक अधिकारों का हनन न हो।
अरुण बंछोरhttp://www.blogger.com/profile/12855170553657623179noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3857395425335515762.post-83489241965769512932014-01-14T20:23:00.001+05:302014-01-14T20:26:22.532+05:30|।हनुमान चालीसा।।
दोहा :
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार॥
चौपाई :
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर॥
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा॥
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन॥
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे॥
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा॥
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना॥
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं॥
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना॥
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै॥
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै॥
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै॥
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥
साधु संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता॥
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै॥
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई॥
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई॥
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा॥
दोहा :
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥
अरुण बंछोरhttp://www.blogger.com/profile/12855170553657623179noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3857395425335515762.post-26350077111391942322014-01-03T20:06:00.000+05:302014-01-03T20:06:00.723+05:30बेमतलब सुर्खियां बटोरते हैं केजरीवाल5 साल पहले ही लालबत्ती छोड़ चुके हैं रमन!
दिल्ली के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की लाल बत्ती की गाडिय़ों का उपयोग करने से मना करना मीडिया में बहस का विषय बना हुआ है। लोग सीएम की सुरक्षा और उसके विशिष्ट होने का हवाला देकर कह रहे हैं हैं कि उनको लाल बत्ती नहीं छोडऩी चाहिए वहीं कई लोगों का कहना है कि खास को आम जनता के बीच जाने के लिए आम बनना ज़रूरी है ऐसे में केजरीवाल का फैसला बेहद सही है। कई लोगों का यह भी कहना है कि देश के अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों और अन्य बड़े नेताओं को केजरीवाल से सीख लेनी चाहिए और उनकी तरह ही सादगी से रहना चाहिए।
लेकिन मुख्यमंत्रियों के ऐसे सुझाव देने वाले लोग नहीं जानते कि एक मुख्यमन्त्री ऐसे हैं जो पहले से ही लाल बत्ती की गाडिय़ों का उपयोग बंद कर चुके हैं. लेकिन इसके लिए उन्होंने केजरीवाल के जितना प्रचार नहीं किया और यही नहीं ये मुख्यमंत्री हर साल अपने पूरे राज्य का भ्रमण करते हैं, लोगों से मिलकर उनकी समस्याओं को सुनते और सुलझाते भी हैं।
हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह की। डॉ सिंह ने तीसरी बार छत्तीसगढ़ राज्य की कमान सम्भाली है। उन्हें एक मृदुभाषी और मिलनसार नेता के रूप में पूरे राज्य में जाना जाता है। रमन सिंह ने अपनी गाडी से लाल बत्ती पांच साल पहले ही हटवा दी है, यही नहीं उनकी फॉलो गाडिय़ों में भी लालबत्ती नहीं है. यदि किसी फॉलो गाडी में लाल बत्ती लगी होती है तो वे उस गाडी की लाल बत्ती जलाने से मना कर देते हैं। उन्होंने कहा कि मैं तो पांच सालों से बिना लाल बत्ती के घूम रहा हूं।<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi5kgdvOGFIkgQCDW5h7GhWVdHtf7YfaplcRUjKYOQ_YSROh6OuByDBmwQBDmwXI9kPnApj33ImiiSSDsunM7LTIcDk9eaKlEZlG4oLT_ZahiUgOJxjpLhb4-re7FuyCa9lHg2p0D5Quus4/s1600/raman.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi5kgdvOGFIkgQCDW5h7GhWVdHtf7YfaplcRUjKYOQ_YSROh6OuByDBmwQBDmwXI9kPnApj33ImiiSSDsunM7LTIcDk9eaKlEZlG4oLT_ZahiUgOJxjpLhb4-re7FuyCa9lHg2p0D5Quus4/s320/raman.jpg" /></a></div>
अरुण बंछोरhttp://www.blogger.com/profile/12855170553657623179noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-3857395425335515762.post-42894029572813958222013-11-13T17:11:00.001+05:302013-11-13T17:11:59.614+05:30लड़कियों को सेक्स ताकत बढ़ाने वाली दवा देकर नारायण साईं के पास भेजती थीं गंगा-जमुना!बलात्कार के आरोपी नारायण साईं की तलाश में पुलिस देशभर में छापेमारी कर रही है। भगोड़ा घोषित किए जाने के बाद भी उसका अभी तक पता नहीं चल सका है। खबर है कि वह दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा में देखा गया है। वहीं, नारायण साईं के खिलाफ एक के बाद एक सनसनीखेज खुलासे भी हो रहे हैं। नारायण साईं पर ताजा आरोप यह है कि उसकी सेविकाएं आश्रम में आने वाली लड़कियों को सेक्सवर्धक दवाएं देती थीं।
इस बीच, नारायण सांई की करीबी साधिका गंगा के फ्लैट से पुलिस को सांई के दस्तखत वाले छह कोरे चैक मिले हैं। ये एक राष्ट्रीयकृत बैंक के हैं। एक सिमकार्ड भी बरामद हुआ है। मंगलवार को अहमदाबाद में गंगा उर्फ धर्मिष्ठा के फ्लैट पर छापा मारने के बाद पुलिस ने यह कार्रवाई की। छापेमारी के दौरान गंगा व उसका पति प्रमोद मिश्रा भी पुलिस के साथ था। उधर, दुष्कर्म मामले में सांई की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई बुधवार को जारी रहेगी। पुलिस ने याचिका का विरोध करते हुए छह गवाहों के बयान अदालत में पेश किए हैं। उसने इन गवाहों को ए-बी-सी-डी के नाम से दर्शाया है। मंगलवार को सरकारी वकील की दलीलें पूरी होने पर सांई के वकील ने अपना पक्ष रखना शुरू किया। बुधवार को बचाव पक्ष की दलीलें होंगी।
नारायण सांई के एक साधक ने सांई के डीएनए टेस्ट की मांग की है। उसने पुलिस को दिए बयान में बताया कि उसके चाचा सांई के सेवक थे। सांई ने चाचा का विवाह अपनी एक सेविका से करा दिया। विवाह के बाद सेविका ने एक बच्चे को जन्म दिया। साधक को लगा कि यह लड़का उसके चाचा का नहीं बल्कि सांई का है। उसने इंदौर की एक अदालत में आवेदन लगाकर सांई के डीएनए टेस्ट की मांग की। इस पर अभी कोई फैसला नहीं आया है।
<b>इंदौर स्थित फॉर्म हाउस में बुलाई थीं नौ लड़कियां :</b> ए सांकेतिक नाम के गवाह का आरोप है कि-दस साल पहले सांई ने उसे इंदौर स्थित फॉर्म हाउस में बुलाया था। वहां कुछ समय में नौ लड़कियां आईं। सभी फॉर्म हाउस के ऊपरी मंजिल पर चली गईं, जहां सांई थे। गवाह के मुताबिक पूरी रात सांई ने रंगरेलियां मनाईं। तड़के साढ़े तीन बजे सभी लड़कियां चली गईं। इसके बाद सांई ने नीचे आकर कमरा साफ करने का निर्देश दिया। गवाह के मुताबिक जब वह कमरे में गया तो वहां शराब की बोतल, कोल्ड ड्रिंक आदि पड़ी थीं। अरुण बंछोरhttp://www.blogger.com/profile/12855170553657623179noreply@blogger.com0