पहले थी कॉलगर्ल अब डॉक्टर
बचपन की बातें तो मुझे याद नहीं लेकिन जब एक दिन मैं छोटे से गंदे कमरे में सो रही थी तो अचानक मेरी नानी ने मुझे एक व्यक्ति से मिलाया। कहा, यह तुम्हारा पहला ग्राहक है। उस समय मैं ग्राहक का मललब नहीं समझती थी। अंधेरे कमरे में मैं उसे ठीक से देख भी नहीं पाई।
पहला अनुभव मेरे लिए सदमे से कम नहीं था। उस दिन मुझे पता चला कि मैं एक वेश्यालय में रहती हूं। इसके बाद यह सिलसिला जारी रहा। ग्राहक पर ग्राहक आते रहे और मैं घुटती रही।
यह कहानी है मध्यप्रदेश की रीना की जो बेडिया समुदाय की है। इस समुदाय की महिलाएं यह कार्य सदियों से करती आई है। रीना भी इस परंपरा की हिस्सा बनी। रीना का कहना है कि जब तक मां जिंदा रही मुझे इस पेशे से दूर रखी। लेकिन उसकी मौत के बाद मेरे पिता ने मुझे इस पेशे में डाल दिया। मैं पढ़ना चाहती थी। मैं बचपन से एक प्रतिभाशाली बच्ची थी।
किस्मत बदलते देर नहीं लगती। एक दिन रीना वहां से भागने में कामयाब रही और एनजीओ की मदद से मेडिकल की पढ़ाई कर रही है।
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