ये कैसा निर्णय
भारत देश के जनप्रतिनिधियों ने अपने वेतन को बढाने के लिए क्या-क्या नहीं किया ?भारत के सर्वोच्च सदन लोकसभा) में ही लालू यादव,मुलायम सिंह और गोपीनाथ मुंडे का प्रधानमंत्री और स्पीकर बनकर नाटक करना कितना हास्यापद लगता है , कम से कम इन लोगों को सदन की गरिमा का तनिक भी ज्ञान नहीं है फिर कहते हें की हम देश के भावी प्रधानमंत्री हैं , इनके करतबों से तो प्रधानमंत्री तो क्या ,इनको सदन में ही नहीं घुसने देना चाहिए .एक तरफ तो देश में आम जनता की दैनिक उपभोग की वस्तुओं में के भावों में भारी वृद्धि करते जा रहे है और दूसरी और अपना वेतन भी इन्होने जैसे -तैसे करके बढ़ा लिया /
जनता के आम सेवक कहे जाने वाले इन सांसदों ने बिलकुल भी नहीं सोचा कि इस महंगाई के दौर में आम जनता भी अपना जीवन यापन कैसे करती होगी ?
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