मे दैनिक राष्ट्रीय हिंदी मेल का सम्पादक हूँ.खुल्लम खुल्ला मेरी अभिव्यक्ति है .अपना विचार खुलेआम दुनिया के सामने व्यक्त करने का यह सशक्त माध्यम है.अरुण बंछोर-मोबाइल -9074275249 ,7974299792 सबको प्यार देने की आदत है हमें, अपनी अलग पहचान बनाने की आदत है हमे, कितना भी गहरा जख्म दे कोई, उतना ही ज्यादा मुस्कराने की आदत है हमें...
सोमवार, 30 अगस्त 2010
ऐसी क्या मजबूरी
खबर-कामनवेल्थ गेम्स का थीम सांग सरकार को पसंद नही आया और मजबूरी में स्वीकार किया गया. प्रश्न-ऐसी क्या मजबूरी थी.सरकार को खुलासा करना चाहिए.थीम सांग को रिजेक्ट कर फिर से तैयार करवाया जा सकता था.वैसे भी गेम्स में घोटाले ही घोटाले है.
1 टिप्पणी:
ये खेल का "खेल" है जनाब,
सच तो शायद सरकार को ही पता होगा .....
कुछ लिखा है, शायद आपको पसंद आये --
(क्या आप को पता है की आपका अगला जन्म कहा होगा ?)
http://oshotheone.blogspot.com
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