मे दैनिक राष्ट्रीय हिंदी मेल का सम्पादक हूँ.खुल्लम खुल्ला मेरी अभिव्यक्ति है .अपना विचार खुलेआम दुनिया के सामने व्यक्त करने का यह सशक्त माध्यम है.अरुण बंछोर-मोबाइल -9074275249 ,7974299792 सबको प्यार देने की आदत है हमें, अपनी अलग पहचान बनाने की आदत है हमे, कितना भी गहरा जख्म दे कोई, उतना ही ज्यादा मुस्कराने की आदत है हमें...
शुक्रवार, 3 जनवरी 2014
बेमतलब सुर्खियां बटोरते हैं केजरीवाल
5 साल पहले ही लालबत्ती छोड़ चुके हैं रमन!
दिल्ली के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की लाल बत्ती की गाडिय़ों का उपयोग करने से मना करना मीडिया में बहस का विषय बना हुआ है। लोग सीएम की सुरक्षा और उसके विशिष्ट होने का हवाला देकर कह रहे हैं हैं कि उनको लाल बत्ती नहीं छोडऩी चाहिए वहीं कई लोगों का कहना है कि खास को आम जनता के बीच जाने के लिए आम बनना ज़रूरी है ऐसे में केजरीवाल का फैसला बेहद सही है। कई लोगों का यह भी कहना है कि देश के अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों और अन्य बड़े नेताओं को केजरीवाल से सीख लेनी चाहिए और उनकी तरह ही सादगी से रहना चाहिए।
लेकिन मुख्यमंत्रियों के ऐसे सुझाव देने वाले लोग नहीं जानते कि एक मुख्यमन्त्री ऐसे हैं जो पहले से ही लाल बत्ती की गाडिय़ों का उपयोग बंद कर चुके हैं. लेकिन इसके लिए उन्होंने केजरीवाल के जितना प्रचार नहीं किया और यही नहीं ये मुख्यमंत्री हर साल अपने पूरे राज्य का भ्रमण करते हैं, लोगों से मिलकर उनकी समस्याओं को सुनते और सुलझाते भी हैं।
हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह की। डॉ सिंह ने तीसरी बार छत्तीसगढ़ राज्य की कमान सम्भाली है। उन्हें एक मृदुभाषी और मिलनसार नेता के रूप में पूरे राज्य में जाना जाता है। रमन सिंह ने अपनी गाडी से लाल बत्ती पांच साल पहले ही हटवा दी है, यही नहीं उनकी फॉलो गाडिय़ों में भी लालबत्ती नहीं है. यदि किसी फॉलो गाडी में लाल बत्ती लगी होती है तो वे उस गाडी की लाल बत्ती जलाने से मना कर देते हैं। उन्होंने कहा कि मैं तो पांच सालों से बिना लाल बत्ती के घूम रहा हूं।
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