मे दैनिक राष्ट्रीय हिंदी मेल का सम्पादक हूँ.खुल्लम खुल्ला मेरी अभिव्यक्ति है .अपना विचार खुलेआम दुनिया के सामने व्यक्त करने का यह सशक्त माध्यम है.अरुण बंछोर-मोबाइल -9074275249 ,7974299792 सबको प्यार देने की आदत है हमें, अपनी अलग पहचान बनाने की आदत है हमे, कितना भी गहरा जख्म दे कोई, उतना ही ज्यादा मुस्कराने की आदत है हमें...
शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2010
आज का सन्देश
बाघ बचाईये देश भर में सिर्फ १०१८ बाघ ही बचें है.जंगलों में बाघों का सिकार बढ़ता ही जा रहा है.देश की शान है बाघ,इनका शिकार न करे.रक्षा करें.बाघ बचाईये.आईये हम सब मिलकर बाघों की रक्षा करनें का संकल्प लें.
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