इजहार-ए-इश्क का बढ़ता क्रेज
PRPRएक खास दिन, खास धड़कन के लिए। मोहब्बत में गिरफ्तार युवा दिलों के लिए यह खास दिन उन्हें बेसब्र बना देता है। वे इस दिन इश्क का इजहार करने के लिए तमाम खूबसूरत कोशिशें करते हैं क्योंकि वे मानते हैं कि इस दिन प्रपोज कर देने से हाँ के चांसेस ज्यादा होते हैं और रिजेक्ट होने के बहुत कम। युवा मानते हैं कि इस खास दिन पर इश्क का इजहार कर देने से एक नई और रोमांचक लव लाइफ की शुरुआत होती है। और बाजार में भी इस दिन के लिए खास गिफ्ट्स सज जाते हैं जो उनके दिलों की बात नाजुकता से कह देते हैं।
वेलेंटाइन डे नजदीक आते ही युवा दिलों में खलबली-सी मच जाती है। उनके लिए इस रोमांटिक दिन को सेलिब्रेट करने के साथ प्यार का इजहार करना भी खास मायने रखता है। प्यार करने वाले इस दिन जमाने की बंदिशों को तोड़ अपनों से मिलेंगे और प्यार का इजहार करेंगे। सभी ने इस दिन के लिए अलग-अलग प्लानिंग कर रखी है। कोई पार्क में जाकर दिन बिताएँगे तो कोई होटल में एक साथ लंच करेंगे।
युवाओं को पूरे सालभर प्यार के त्योहार का दिन वेलेंटाइन डे का इंतजार रहता है। अपने प्रेमी से प्यार का इजहार करने के लिए वे पहले से तैयारी करके रखते हैं। इसलिए तमाम विरोधों के बावजूद आज भी इस खास दिन पर एक-दूसरे को शुभकामना देने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। 14 फरवरी आते ही तमाम ब्रांड्स प्रेम की इस भावना को भुनाने में पुरजोर कोशिशों में जुट जाते हैं। युवा भी गिफ्ट्स ,चॉकलेट्स, सॉफ्ट टॉयज आदि से प्यार के इजहार के दिन को एक यादगार पल बनाने की कोशिश करते हैं।
हाँ में जवाब मिलता है इस दिन
स्वरित सिन्हा कहते हैं कि अक्सर हमें प्यार के इजहार के लिए शब्द नहीं मिल पाते और आम दिन में हम प्यार का इजहार नहीं कर पाते है, लेकिन वेलेंटाइन डे पर वेलेंटाइन को प्रपोज करने पर हाँ में जवाब मिलने का चांस ज्यादा रहता है। इस दिन वे लड़के भी लड़कियों को फेस-टू-फेस प्रपोज कर सकते हैं जो किसी और दिन प्रपोज करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं। इस दिन हर तरफ रहने वाले प्यार के माहौल के बीच किसी को प्रपोज करने से बहुत फर्क पड़ता है। इसलिए यह दिन खास हो जाता है। ङ"ख११ऋ
365 दिन हैं वेलेंटाइन डे
सुनील सावले कहते हैं कि यदि हम किसी लड़की की पसंदीदा बात और व्यवहार को सही तरीके से समझ सकते हैं तो हमें प्यार का इजहार करने के लिए वेलेंटाइन डे का इंतजार नहीं होगा। इस दिन प्यार का इजहार करने का इतना ज्यादा फर्क भी नहीं पड़ता है। यदि हम अपने वेलेंटाइन से सही मायने में प्यार करते हैं तो 365 दिन ही वेलेंटाइन डे की तरह हो सकते हैं। प्रपोज करने पर हाँ या ना में जवाब मिलना लड़की पर निर्भर करता है न कि वेलेंटाइन डे पर।
दिल की बात कहते गिफ्ट्स
विशाल अढलोक कहते हैं कि वेलेंटाइन डे प्यार का प्रतीक त्योहार है और प्यार का यह दिन हर युवाओं के लिए खास मायने रखता है। इस दिन प्यार का इजहार करने में दिक्कतें तो आती हैं, लेकिन गिफ्ट हमारा यह काम आसान कर देते हैं। वहीं वेलेंटाइन डे पर प्यार का इजहार करने की खास वजह यह है कि वेलेंटाइन को अपनी दिल की बात कहने पर उनकी ओर से जवाब हाँ होता है। इसलिए इस दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है। वहीं लड़कियाँ इस दिन ना की जगह हाँ में जवाब देना काफी पसंद करती हैं।
रिजेक्ट करने के चांस कम
सुरभि वर्मा (बदला हुआ नाम) कहती हैं कि प्यार का इजहार करने की हिम्मत न जुटा पाने वाले युवाओं की मदद वेलेंटाइन डे बखूबी करता है। हमसे प्यार का इजहार करने वाले वेलेंटाइन को रिजेक्ट करने के चांस कम ही होते हैं। यही वजह है कि वेलेंटाइन डे पर इजहार करने का क्रेज बढ़ता जा रहा है, क्योंकि इस दिन इजहार करने पर नए रिश्ते बेहतर बनते हैं। लड़कों के साथ लड़कियों की भी यह ख्वाहिश रहती है कि कोई वेलेंटाइन उन्हें इस दिन प्रपोज करे।
किसी दिन का मोहताज नहीं प्यार
साक्षी यादव (बदला हुआ नाम) कहती हैं कि लड़कियों में इस दिन प्यार का इजहार करने वाले वेलेंटाइन को हाँ करने केचांस ज्यादा जरूर होते हैं लेकिन प्यार का इजहार करने के लिए कोई दिन ज्यादा मायने नहीं रखता। इस दिन लड़का यदि किसी लड़की से प्यार का इजहार करता है तो यह जरूरी नहीं कि हमसे वाकई ही प्रेम करता हो। इसलिए कुछ प्रपोज को रिजेक्ट करने का चांस भी ज्यादा होता है। यदि कोई हमसे वाकई प्यार करता है तो वह हमें 14 फरवरी हो या फिर 14 दिसंबर कभी भी अपने प्यार का इजहार कर देगा।
लव लाइफ की नई शुरुआत
सतीश भीलाला कहते हैं कि प्यार करने वालों के लिए हर दिन कुछ खास होता है, लेकिन वेलेंटाइन डे की बात ही कुछ और है। नया साल आते ही युवाओं को इंतजार होता है इस प्रेम दिवस का। हर युवा चाहता है कि इस दिन प्यार का इजहार करने से लव लाइफ की बेहतर शुरुआत होती है। प्यार के इजहार का यह दिन खास हो तो किसी प्रश्न की गुंजाइश ही नहीं होती। युवाओं ने वेलेंटाइन डे की तैयारियाँ शुरू कर दी हैं, शायद तब कहीं जाकर इस दिन को सही मायनों में अपने वेलेंटाइन के साथ सेलिब्रेट कर सकते हैं।
वेलेंटाइन डे: सिर्फ कैंडल लाइट डिनर नहीं
- हंसिका मोटवानी
वेलेंटाइन डे मनाने का चक्कर हाल ही के कुछ सालों में ज्यादा देखने में आया है। मेरे ख्याल से ये डे मनाने में कोई बुराई नहीं है क्योंकि सभी का उद्देश्य खुशी ही देना होता है। वेलेंटाइन डे को लेकर मेरा कोई निजी एक्सपीरिएंस नहीं है पर जो देखती हूँ या दोस्तों के साथ जो डिस्कस होता है, वही आपके साथ शेयर कर रही हूँ।
अपना अपना सोच है
मेरा मानना है कि वेलेंटाइन डे जरूर मनाना चाहिए पर इसे इंडिविजुअल पर छोड़ देना चाहिए कि वह इसे मनाना चाहता है या नहीं। जिनके बॉयफ्रेंड,गर्लफ्रेंड हैं और उनसे वे रिलेशनशिप को और आगे बढ़ाना चाहते हैं और अपने मन की बात कहना चाहते हैं, तब यह दिन उनके लिए सबसे अच्छा है।
मैं वेलेंटाइन डे पर बाहर जाती हूँ, ढेर सारे रेड रोजेज खरीदती हूँ और घर पर आकर मम्मी को देती हूँ। कई बार मैंने वैंलेटाइन डे पर स्वयं को ही पेम्पर किया है। इस दिन हम स्वयं को खुश क्यों नहीं कर सकते और इसके लिए स्वयं को ही एकाध गिफ्ट देने में क्या हर्ज है? वेलेंटाइन डे केवल रेड रोजेज या कैंडल लाइट डिनर नहीं है।
इस दिन हम अपने प्रियजनों को खुश देखना चाहते हैं और उनकी खुशी को बढ़ाने के लिए प्रयास करते हैं। और खुशी छोटे से कार्ड से या फिर केवल एक कप कॉफी पर ढेर सारी बातचीत करने से भी मिल सकती है। मैं केवल वैंलेटाइन डे पर ही अपने विचार आप तक नहीं पहुँचाना चाहती बल्कि युवाओं से जुड़े तमाम मुद्दो पर मैं अपने दोस्तो के साथ डिस्कस जरूर करती हूँ।कचफिल्म अभिनेत्री
युवाओं को राजनीति में आना चाहिए
आजकल सबकुछ युवाओं के अनुसार ही सोचा जाता है और बात सही भी है। युवाओं में ऊर्जा है, जोश है और एक नया सोच है। इसका उपयोग देश की तरक्की के लिए करना ही चाहिए और प्रत्येक युवा को देश के बारे में पहले सोचना चाहिए। युवाओं को राजनीति में जरूर आना चाहिए लेकिन मेरा मानना है कि केवल युवा ही क्यों, सभी उम्र के लोगों को यह सोचना चाहिए है कि हम देश के लिए क्या कर रहे हैं? और बिना देर किए अपनी तरफ से प्रयास शुरू कर देने चाहिए।
डाउन टू अर्थ रहें
मेरी किस्मत थी कि मुझे फिल्मों में काफी कम उम्र में ब्रेक मिल गया और सफलता भी मिली। इस सफलता को मैंने अपने सिर नहीं चढ़ने दिया। आज भी मैं शूटिंग से घर पहुँचती हूँ तब घर का काम करती हूँ और परिवार के सदस्यों के लिए खाना भी मैं ही बनाती हूँ।
अपनी मम्मी के साथ किराने के स्टोर पर सामान खरीदने भी जाती हूँ और घर की साफ-सफाई में भी हाथ बँटाती हूँ। दरअसल मैं यह सब आपको इसलिए बता रही हूँ कि अगर आप जिंदगी में सफलता पाने के बाद डाउन टू अर्थ रहेंगे तब अगली सफलता जल्द मिलेगी, यह निश्चित है। और जहाँ तक सफलता प्राप्ति की बात है, लगातार प्रयत्न करना और मेहनत करने से ही सफलता मिलेगी।
फ्रैंडशिप के फाइव फंडे
दोस्त बड़ी मुश्किल से मिलते हैं। ऐसे दोस्तों की दोस्ती बहुत मायने रखती है, क्योंकि ऐसे दोस्त बिना कोई स्वार्थ और मतलब के निराशा में आपका हाथ थाम लेते हैं। बिगड़ी स्थितियों में मदद का हाथ बढ़ाते हैं और धीरे-से कंधे पर हाथ धरकर पक्की दोस्ती का अहसास कराते हैं। इसलिए पाँच चीजों का ध्यान रखकर ऐसे दोस्तों को संभाल लीजिए।
इन दिनों सलमान खान और अजय देवगन की जल्द ही रिलीज होने वाली फिल्म "लंदन ड्रीम्स" की बहुत चर्चा है। कहते हैं, यह दो दोस्त और उनकी दोस्ती की कहानी है। जिंदगी में एक भी सच्चा दोस्त हो तो जिंदगी ज्यादा बेहतर और खुशहाल हो जाती है। यह कतई जरूरी नहीं कि आपके बहुत सारे दोस्त हों लेकिन वह दोस्त आपको रिस्पेक्ट नहीं करे, आपको प्यार नहीं करे और आपको जाने-समझे नहीं तो दोस्ती के क्या मायने। इसलिए जिंदगी में एक दोस्त, एक सच्चा दोस्त होना जरूरी है, क्योंकि यही दोस्त आपका निराशा में हाथ थामकर रोशनी में ला खड़ा कर सकता है और यही दोस्त खुशी में आपके साथ नाच-गा सकता है। हर स्टूडेंट यह चाहता है कि दोस्तों की भीड़ में उसका कोई एक ही सही, ऐसा दोस्त हो जो उसको बेहतर ढंग से जाने-समझे, प्यार करे।
ऑनेस्टी
दोस्ती में ऑनेस्टी सबसे बड़ा मूल्य है। यदि फ्रैंडशिप में ऑनेस्टी होगी तो यह ज्यादा मजबूत होगी। कई बार देखा गया है कि ऑनेस्टी न होने के कारण ही कॉलेजेस में कई अच्छी दोस्ती टूट जाती हैं और जिंदगी में हमेशा के लिए एक कड़वा स्वाद दे जाती है। कई स्टूडेंट इस अनुभव को जिंदगीभर नहीं भूल पाते हैं। इसलिए अपने दोस्त के प्रति ईमानदार रहें।
लव एंड केयर
दोस्ती में प्यार-मोहब्बत न हो तो मजा ही क्या है। लेकिन प्यार-मोहब्बत का मतलब किसी तरह का स्वार्थ नहीं होता। यह किसी मतलब से नहीं की जाती और न ही इसके जरिए कोई मतलब हासिल किया जाता है। इसमें तो एक-दूसरे के प्रति लव एंड केयर की भावना होती है। एक-दूसरे का ध्यान रखा जाता है, एक-दूसरे की पसंद-नापसंद का ध्यान रखा जाता है।
यदि प्यार-मोहब्बत हो और अंडरस्टैंडिंग न हो तो भी बात नहीं बनती। कई बार दोस्तों में दरार आ जाती है और दोस्ती टूट जाती है। इसका एक बड़ा कारण होता है अंडरस्टैंडिंग की कमी। यदि दो दोस्तों के बीच बेहतर अंडरस्टैंडिंग होगी तो यह ज्यादा मजबूत होगी। अपने दोस्त को बेहतर ढंग से जानने-समझने की कोशिश करेंगे, तो गलतफहमियाँ पैदा नहीं होंगी।
रिस्पेक्ट
कई बार मौज और मस्ती के मूड में, जोश और जुनून में दोस्त अपने दोस्तों से ऐसी मजाक कर बैठते हैं, जो उन्हें नागवार गुजरता है। उन्हें इंसल्टिंग फील होता है। इसलिए यह ध्यान रखें कि आपका कितना भी अच्छा फ्रैंड हो, आपके कितने भी बेतकल्लुफ रिश्ते हों लेकिन वह आपसे चाहता है कि आप उसका रिस्पेक्ट करें। अक्सर दोस्त यह भूल जाते हैं। दोस्तों का रिस्पेक्ट करें।
कमिटमेंट
कमिटमेंट जीवन का एक ऐसा मूल्य है, जो आपको भी और आपके दोस्त को भी एक बेहतर इंसान बनाता है। कमिटमेंट का मतलब एक तरह का वादा। यह दूसरे के प्रति कुछ करने का जज्बा होता है। इसी जज्बे को कहते हैं कमिटमेंट। दूसरे के प्रति जुड़ाव का भाव, उसके प्रति जिम्मेदारी का बोध, यही कमिटमेंट होता है। दोस्तों के प्रति कमिट रहें।
एक एहसास है सबसे जुदा
दायरों के बाहर भी एक दुनिया है... ये तुमने ही मुझे बताया...वो दायरे जो हम खुद बना लेते हैं या हमें बने हुए मिलते हैं...तुम कैसे उन सभी दायरों के बाहर हमेशा मुझे मुस्कुराती हुईं खड़ी मिलतीं...हाँ तुम जब हाथ थामकर मुझे उन दायरों से बाहर ले गईं तो वो दुनिया अलग थी...
जिसका एहसास करना तो बहुत आसान हुआ करता लेकिन तुम्हारी आँखों में झाँकते हुए उन एहसासों को नाम देना उतना ही मुश्किल... हाँ बहुत मुश्किल पर जब भी तुम साथ चलते हुए यूँ ही मेरा हाथ थाम लेतीं तो यूँ लगता कि मुझे उस एहसास का नाम मिल गया हो...
तुम्हारे साथ उन भूले हुए दायरों और बहुत कहीं पीछे छूट गए रिश्तों के नाम को मैं याद ना तो किया करता और ना ही मुझे याद रहते। ऐसे कई अनगिनत तुम्हारे पूछे गए सवालों को मैं अपने कुर्ते की जेब में संभालकर रखता और तुम्हारे इंतजार में उन्हें बार-बार एक-एक करके निकालता...शायद किसी सवाल का जवाब मुझे मिल जाए...
हाँ लेकिन उन सवालों में छुपी हुई, घुली हुई तुम्हारी यादों को में एक-एक करके हाथ पर रखता और अपने चेहरे पर मल लेता...देखना चाहता कि तुम्हारी यादों के साथ मेरा चेहरा कैसा दिखता है...
सच कहूँ तो मैं ठीक से आज भी अपने चेहरे को उन यादों के साथ महसूस करने की कितनी भी कोशिश करूँ वो चेहरा कहीं दिखाई नहीं पड़ता... शायद वो चेहरा तुम अपने साथ जो ले गई हों...हाँ साथ ही ले गई होगी...नहीं तो मुझे मेरा चेहरा यूँ अजनबी-सा ना लगता, हाँ अगर कुछ याद रहता है तो वो पल जब तुमने उस रोज हमारे आस पास उन सभी एहसासों को बुला लिया था... और हम रिश्तों के दायरों से बहुत दूर कहीं एहसासों की बसाई हुई दुनिया में खुद को पाया हुआ महसूस कर रहे थे...
हाँ वो पल सबसे जुदा था... मैंने खुद को तो पाया ही तुम्हें भी पा लिया था। रिश्तों के दायरों से दूर और तुम्हारे-मेरे एहसासों के नजदीक मैं तुम्हें आज भी खुद के साथ पाता हूँ... हाँ यही तो एक एहसास है जो सबसे जुदा... सबसे सुखद है... और जो हमेशा मेरे साथ रहता है।
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