बुधवार, 6 जनवरी 2010

सत्यकथा

तेंदुए ने जंगल लौटकर आदमियों से कहा, थैंक यू

संरक्षित [किंतु हिंसक] वन्य जीवों की रक्षा के लिए बातें बहुत होती हैं, लेकिन जब ऐसे किसी जीव का साबका आदमी से पड़ता है, तब अक्सर वह जीव मार ही डाला जाता है।

इसके विपरीत रोहतास जिला अंतर्गत चेनारी प्रखंड में जंगल से भटक कर केनार कला गांव तक आया संरक्षित वन्य प्राणी तेंदुआ खुशनसीब निकला। मानव बस्ती के लोगों ने जख्मी होने के बावजूद उसे पिंजड़े में कैद किया, लेकिन बदले की भावना से उसकी हत्या नहीं की।

ग्रामीणों ने दहशत के बीच सूझबूझ से काम लिया और इस हिंसक पशु को कब्जे में लेकर वन विभाग के अधिकारियों को इसकी जानकारी दी। नतीजा यह हुआ कि तेंदुए को फिर उसके प्राकृतिक वास [जंगल] में छोड़ दिया गया। अपने घर [जंगल] लौट कर तेंदुआ अभय दान के लिए शायद वन विभाग को थैंक यू कह रहा होगा।

दो साल पहले नालंदा जिले में भी एक तेंदुआ गांव में चला आया था, लेकिन वहां लोग खुद को बचाने के साथ-साथ उस प्राणी की भी हिफाजत नहीं कर पए थे।

चेनारी की घटना में ग्रामीण और तेंदुआ, दोनों की रक्षा होने पर पटना में अपर प्रधान मुख्य वन्य प्राणी प्रतिपालक बीए खान ने प्रसन्नता व्यक्त की। उनके निर्देश पर रोहतास जिला वन विभाग के अधिकारियों ने तेंदुए को वापस अधौरा क्षेत्र के जंगल में छोड़ दिया। इस जंगल में नीलगाय और हिरणों की संख्या अच्छी है।

खान ने ग्रामीणों के साहस और सूझबूझ की प्रशंसा करते हुए कहा कि मानव और वन्य जीवों के सहअस्तित्व की दृष्टि से यह घटना एक मिसाल है। उन्होंने आश्वासन दिया कि भटके तेंदुआ से घायल हुए लोगों को तीन-तीन हजार रुपये की मदद दी जाएगी, लेकिन इसके लिए उन्हें चिकित्सा प्रमाणपत्र के साथ दावा करना पड़ेगा।

चेनारी से मिली खबर के अनुसार तेंदुए को केनार कला गांव में कमरे में बंद कर रखा गया था। सोमवार की देर रात वन विभाग की टीम ने बड़ी मशक्कत के बाद पिंजरे में बंद कर वापस जंगल में छोड़ दिया। इससे पूर्व तेन्दुआ आधे दर्जन से अधिक लोगों को अपने दांत एवं पंजों से घायल कर चुका था। घायलों को सासाराम सदर अस्पताल एवं अन्य निजी क्लिनिकों में इलाज हेतु भर्ती कराया गया है।

मुआवजे की मांग को ले वन विभाग की टीम और घायलों के परिजनों के बीच नोकझोंक भी हुई थी। प्रशिक्षु आईएफएस आलोक का कहना है कि मुआवजा देने का प्रावधान नहीं है। ग्रामीणों को हुई क्षति के विषय में विभाग डीएम को रिपोर्ट करेगा। ग्रामीणों को इस संबंध में वन विभाग से पूरा सहयोग दिया जाएगा।