रविवार, 2 मई 2010

खुशियों की तलाश


खुशियाँ ढूँढिए अपने अन्दर!
हम चारों ओर खुशियों की तलाश में भटकते हुए सारा समय व्यर्थ कर देते हैं जबकि खुशी तो हमारे मन में ही बसी होती है। बस जरूरत होती है तो उसे बाहर निकालने की व दूसरों के साथ उन्हें बाँटने की।

खुशियाँ आपके दर पर खुद दस्तक नहीं देतीं। यह तो ईश्वर की तरफ से हरेक को दिया गया अनमोल उपहार है। पर अपने भीतर छिपे इस खजाने को स्वयं आपको खोजना होगा और इसे खोजने के लिए आपके पास कई उपाय हैं। स्वयं को हमेशा ऊँची नजर से देखना और अपने भीतर अपनी प्रतिष्ठा स्वयं बनाए रखने का प्रयास करना हमारी जीवन शैली को बेहतर बनाए रखने के लिए सर्वाधिक जरूरी है।

इसका अर्थ यह है कि आप अपने भीतर की शक्ति और अपनी कमजोरियों दोनों को स्वीकारें और स्वयं को हमेशा दूसरों के मुकाबले बराबरी का दर्जा देते हुए भी अपने भीतर उस ऊर्जा के स्रोत को पहचानकर निखारें, जो आपको दूसरों से अलग और विलक्षण बनाती है। शोध बताते हैं कि व्यायाम करने से हमारे शरीर में रक्त संचार नियमित होता है और हमारा शरीर अपने भीतर एक नई ताजगी और चेतना महसूस करता है। शरीर की यह ऊर्जा चमत्कारिक रूप से हमारे मस्तिष्क को प्रभावित करती है।

जीवन में जो बाँटेंगे, बदले में वही आपको वापस मिलेगा। इसलिए जब कभी आपको अपने भीतर एकाकीपन महसूस हो, अपने खालीपन को दूसरों के बीच भरने का प्रयास करें। इसी क्रम में किसी जरूरतमंद की मदद, किसी अस्पताल में रोगियों को दी गई सांत्वना की हल्की-सी थपकी आपके चेहरे की मुस्कान का कारण बन जाए तो कोई आश्चर्य नहीं। चीजों को दार्शनिक अंदाज से देखने और जिंदगी को बहते पानी की तरह मानने वाले लोग अपने जीवन को अधिक आनंदित बना पाने में सफल होते हैं।

एक महत्वपूर्ण तथ्य है कि हममें से प्रत्येक को अपने जीवन को अपनी तरह से जीने की जिम्मेदारी समझनी चाहिए। मनोवैज्ञानिक भी मानते हैं कि यदि एक बार हम निर्णय ले सकें कि हममें परिस्थितियों को बदलने की क्षमता है तो हमारे आसपास का परिवेश सचमुच बदल सकता है।
खुश रहने के लिए सबसे अहम पहलू यह है कि हमें सबसे पहले अपने आपसे अपनी पहचान कायम करनी होगी। हमारे पास जितना है, उसे स्वीकार करना हमारी संतुष्टि के लिए जरूरी है। जो नहीं है, उसे लेकर पीड़ा और संताप का अनुभव करते रहना हमें मानसिक रूप से बीमार बनाताहै। ईश्वर का दिया हमारे पास बहुत कुछ है- यह दृष्टिकोण हमारी प्रसन्नता की कुंजी है।

यूँ तो जीवन उतार-चढ़ावों से भरा है, परंतु आपका आपसी साहचर्य आपके जीवन की खुशियों का केंद्रबिंदु है। अपने साथी के साथ भरोसे और प्रेम का व्यवहार और एक-दूसरे के प्रति समझ आपको निराशा के घने अंधकार से बाहर निकाल सकती है। इसलिए अपने और अपने करीबी को समझने का प्रयास अवश्य करें।

प्रशंसा करना हमारे व्यक्तित्व का सबसे खूबसूरत पहलू है। पर यह काम सभी नहीं कर पाते। यह भी एक कला है, जो धीरे-धीरे ही पैदा होती है। दूसरों की तारीफ करने में हम प्रायः कंजूस हो जाते हैं। आप अपने आसपास के हर अच्छे काम की दिल खोलकर प्रशंसा करें। आप पाएँगे कि दूसरों के चेहरे पर आई मुस्कान आपको ताजगी से भर देती है।

याद रखिए कि घर हमारे जीवन का वह कोना है, जहाँ हम स्वर्ग-सा सुख महसूस करते हैं। इसलिए अपने घर को अपनी तरह से आरामदायक बनाएँ। कभी-कभी उसमें किया गया थोड़ा-सा परिवर्तन चाहे वह पलंग का कोई कोना हो, दीवार पर टँगी कोई तस्वीर या ताजे फूलों कागुलदस्ता, आपकी प्रसन्नता का कारण बन सकता है। इसके अलावा रंग भी हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं। हर रंग का अपना एक महत्व होता है। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि नारंगी या केसरिया रंग हमारे विश्वास को बढ़ाता है। हमारी नकारात्मक सोच को अपने भीतर समेटकर हमें प्रफुल्लित और उत्साहित बनाए रखता है।

किसी भी प्रसन्नचित व्यक्ति के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण है कि वह हमेशा अपना दृष्टिकोण आशावादी रखे। मनोचिकित्सकों का मानना है कि प्रसन्नता सिर्फ इस बात पर प्राप्त की जा सकती है, यदि हम अपने भीतर दोहराएँ कि हम प्रसन्न स्वभाव के व्यक्ति हैं और हमें हमेशा खुश रहना है। इस तरह की कल्पना करने पर हमारा मस्तिष्क इस संदेश को और इन्हीं भावों को अपने भीतर ग्रहण कर लेता है और हमारे शरीर के स्नायु तंत्रों को भी इसी तरह के निर्देश देता है, तब कल्पना में की गई आपकी धारणा वास्तविक रूप से आपको आनंदित बनाए रख सकती है।

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