समुद्री जीवों के खोल से अस्थि प्रतिरोपण
वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने सीप आधारित अस्थि प्रतिरोपण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है, जिसे मानव शरीर हड्डी में बदल सकता है।
विक्टोरिया विश्वविद्यालय के डॉ. बेंजामिन मैथ्यूसन के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय दल ने करीब पांच साल तक समुद्री अर्चिन के खोल का और खासतौर पर इसके शरीर पर मौजूद कांटों का अध्ययन कर इसकी आंतरिक रचना का पता लगाने का प्रयास किया।
डॉ मैथ्यूसन ने कहा कि समुद्री अर्चिन की आंतरिक रचना ऐसी चीज जैसी होती है, जिसके वक्राकार आकृति होने के कारण फिर से इसका पनपना कठिन होता है। कांटों के अंदर के अणु इसके खोल की वृद्धि को नियंत्रित करते हैं। इसलिए मैंने पता लगाने का प्रयास किया कि प्रकृति इसके कांटों के आकार को कैसे नियंत्रित करती है।
यह अध्ययन वैज्ञानिकों के लिए इसलिए महत्वपूर्ण रहा क्योंकि इससे पता चलता है कि समुद्री जीवों के कवच से अस्थि प्रतिरोपण किस तरह किया जा सकता है।
डॉ. मैथ्यूसन ने कहा कि पूर्ववर्ती वैज्ञानिक अध्ययन बताते हैं कि यदि आप कोई खोल लेते हैं और इसे भेड़ के शरीर में उस स्थान पर रख देते हैं जहां हड्डी का विकास होता है तो शरीर इस खोल को भी हड्डी की तरह अपना लेता है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक हडि्डयों के प्रतिरोपण की दिशा में पहला कदम इन्हें जोड़ने के लिए लगाए जाने वाले पेंचों की कोटिंग करने का काम हो सकता है, जिससे जोड़ बेहतर बन सकता है। डॉ. मैथ्यूसन ने कहा कि नया प्रतिरोपण का तरीका उम्मीद के मुताबिक लंबे समय तक चल सकता है।
उन्होंने कहा कि फिलहाल प्रतिरोपण करीब 10 साल तक चलता है, इसके बाद इसके आसपास की हड्डी में दरार पड़ने लगती है और इसे बदलना पड़ता है। इसलिए नया तरीका किसी व्यक्ति के शरीर में उसी जोड़ पर और अधिक लंबे समय तक चलेगा।
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