कई ऐतिहासिक स्थल उपेक्षित
- महेश पाण्डे
चारधाम यात्रा में आ रहे श्रद्घालुओं की भीड़ तो दिनों दिन बढ़ ही रही है, साथ ही यात्रा पर आए श्रद्घालुओं को उन जगहों की भी तलाश है, जहाँ के बाबत तमाम कहानियाँ उन्होंने रामायण, भगवद्गीता, महाभारत आदि ग्रन्थों में सुनी हैं। यमुनोत्री के पास कालिंदी पर्वत में भगवान परशुराम की तपस्थली की तलाश में लोग जाते हैं तो बद्रीनाथ के पास व्यास गुफा जहाँ व्यास जी ने ग्रन्थ रचे उनकी तलाश का क्षेत्र होते हैं।
इसके अलावा पाण्डवों एवं अन्य पात्रों से जु़ड़े तमाम क्षेत्र में चारधाम यात्री जाना चाहते हैं। लेकिन चारधाम यात्रा का संचालन करने वाली सरकारी मशीनरी इन क्षेत्रों को इस यात्रा में जोड़ने की कोशिश करते नहीं दिखती।
आदि शंकराचार्य द्वारा इस क्षेत्र में जिन-जिन मंदिरों की पुनर्स्थापना की गई, उनमें भी यात्री पूरी तरह नहीं जा पाते। जबकि यदि सरकारी तंत्र चाहे तो यहाँ स्थित तमाम जगहों को इस यात्रा मार्ग से जोड़कर इस यात्रा के लिए अवधि को बढ़ाकर लोगों को रोजगार उपलब्ध करा सकता है। वहीं तमाम इतिहास के गुम हो रहे स्थानों को भी लाईम लाईट में लाने के साथ ही क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को भी एक गति दे सकता है।
चारधाम मात्र एक आध्यात्मिक यात्रा भर ही नहीं है, वरन यह अनादिकाल से ही टिहरी, चमोली, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी के ग्रामीण क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था का भी आधार रही है। इस पूरे क्षेत्र का लालन पालन करने में इस यात्रा का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। यात्रा के बढ़ने के साथ ही इन तमाम धामों में कथा एवं अन्य उत्सवों समेत भण्डारों का भी आयोजन शुरू हो चुका है।
1 टिप्पणी:
Mujhe Parshuraam jii kaa chitra chaahiye thaa is kaaran khoj kartaa huaa yahaan aa gayaa jaankaari bhi milii ... achchhaa lagaa.
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