गौरैया कैसी होती है?
- आशीष तिवारी
पिताजी की ज्योतिष विद्या कहती थी
कि जिस घर में पक्षी आते हैं
वहाँ वास्तु दोष नहीं रहता
माँ भी रखती थीं
गौरैया के लिए दाना-पानी
ताकि बच्चों की उम्र बढ़े
और गाँव वालों का विश्वास था
कि जिस घर में बनाती हैं
गौरैया घोंसले, और जनती है बच्चे
उस घर की औरतें बाँझ नहीं रहती
और ये कि
जब गौरैया धूल में नहाए
तो समझो बारिश अच्छी होगी
गौरैया की चहचहाहट के
नैसर्गिक संगीत से ही
संगीतमय था बचपन
NDकिंतु अब क्राँक्रीट के इस
बेजान शहर में
वास्तु शास्त्री देते हैं सलाह
और माँ-बाप साथ रखने का
'कल्चर' नहीं रहा
तो गौरैया भी नहीं दिखती
जब लोग जिंदा हैं फास्ट-फूड पर
तो गौरैया को कौन दाना-पानी दे
अब गौरैया के घोंसले
मकानों में नहीं लगते
इसीलिए बाँझ हो गई हैं खुशियाँ
अब नहीं नहाती गौरैया धूल में
इसीलिए सूखा रह जाता है सावन
और टैंकर आते ही
फूटने लगते हैं सिर
कम्प्यूटर गेम में गुम हो जाता है बचपन
और बच्चे पूछते हैं-
गौरैया कैसी होती है?
क्या होता है नैसर्गिक संगीत?
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