नाम है अच्छा तो काम मिले सच्चा
एक समय वह भी था जब लोग अपने नाम के बजाए काम पर अधिक ध्यान दिया करते थे, परंतु इस संबंध में युवाओं की बदलती हुई प्रवृत्ति को देखकर लगता है कि अब उनके लिए नाम का इंपॉर्टेंस पहले की तुलना में बहुत ज्यादा हो गया है और इसीलिए वे अपने पहले रखे गए नामों को बदलने में लगे हैं।
अब प्रश्न आता है कि युवाओं को नाम बदलने की जरूरत क्यों पड़ती है! वास्तव में इस प्रश्न के कई पहलू हैं। नाम परिवर्तन के ज्यादातर मामलों में लड़कियाँ ही अपना नाम बदल रही होती हैं और इसका सबसे बड़ा कारण तो यही है कि करीब-करीब सभी धर्मों में मैरिज से पहले लड़कियों के नाम के साथ जहाँ पिता का उपनाम या सरनेम लगता है वहीं विवाह के बाद पति का कुलनाम लगने लगता है। ऐसे मामलों में नॉर्मली उनका उपनाम ही बदलता है। कुछ परिवारों में विवाह के बाद लड़की का नाम बदलने का भी ट्रेडीशन है।
कुछ मामलों में लोग इसलिए भी नाम बदलते हैं क्योंकि उनके नाम में पिता का नाम या उनका सरनेम नहीं जुड़ा होता। शुरू में तो इस बात पर ध्यान नहीं दिया जाता, लेकिन बाद में बड़े होने पर अथवा जरूरत पड़ने पर उन्हें यह फील होता है कि उनका सरनेम भी नाम के साथ होना चाहिए। अतः लोग अपना नाम चैंज कर लेते हैं।
कभी-कभी ऐसा भी होता है कि बचपन में रखे गए पिंकी, पिंकू, मुन्ना, मुन्नी, पप्पू आदि जैसे बच्चों के प्यार के नाम ही बर्थ सर्टिफिकिट्स या स्कूल के सर्टिफिकिट्स में यह सोचकर दर्ज करवा दिए जाते हैं कि फिलहाल तो यही रहने देते हैं, बाद में बदल देंगे, लेकिन समय बीतता रहता है और पैरेंट्स को नाम बदलना याद ही नहीं रहता। ऐसे में बड़े होने पर बच्चों को अपने ही नाम से शर्म आने लगती है। अतः इस स्थिति से छुटकारा पाने के लिए भी युवा अपना नाम बदल देते हैं।
कई बार लोग किसी एस्ट्रोलॉजर की सलाह पर अपने लक को बदलने के लिए नाम में परिवर्तन कर लेते हैं। ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ एस्ट्रोलॉजर्स सोसाइटी के अरुण कुमार बंसल बताते हैं - ज्योतिष में नाम बहुत महत्वपूर्ण होता है। नाम वह होता है जिसे सुनकर व्यक्ति या पशु जाग जाए या मुड़कर देखने लगे। व्यक्ति का नाम बार-बार बोला जाता है, इसलिए उसका बहुत बड़ा प्रभाव हम पर पड़ता है।
ज्योतिष में नाम का केवल पहला लेटर ही मैटर करता है, परंतु न्यूमरोलॉजी में पूरे नाम की स्पेलिंग का महत्व होता है। लोग अपने मूलांक और भाग्यांक को ध्यान में रखते हुए नाम रखने का प्रयास करते हैं। यदि किसी का नाम इनके अनुरूप न हो तो वह अपना नाम बदलने की सोचता है। वैसे एस्ट्रो के पॉइंट ऑफ व्यू से नाम बदलने का चलन ज्यादातर रइसजादों में ही देखा जाता है।
रिजन से युवा कभी तो अपना पूरा नाम ही बदल डालते हैं या कभी अपने पुराने नाम में ही थोड़ा बहुत हेरफेर अथवा स्पेलिंग में परिवर्तन कर देते हैं। ऐसे लोग नाम परिवर्तन करने के लिए कभी उसमें कुछ जोड़ते हैं तो कभी कुछ घटाते हैं। इसमें उनके नाम के अंकों को जोड़कर जो अंक आता है वह राशि के अनुसार भी लकी होता है। कभी-कभार लोग इसलिए भी नाम में मामूली परिवर्तन करते हैं क्योंकि उनके पुराने नाम की स्पेलिंग गलत होती है और जब उन्हें इस बात का ज्ञान होता है तो वे भी मानने लगते हैं कि गलत स्पेलिंग वाला नाम उनकी पर्सनेलिटी में बाधा डाल रहा है। इस प्रकार के मामलों में भी लोग अपना नाम बदल लेते हैं।
यूँ तो नाम रखना या उसमें परिवर्तन करना पूरी तरह से पर्सनल मैटर होता है और कोई भी कभी भी अपना नाम बदल सकता है लेकिन जहाँ तक सरकारी डॉक्यूमेंट्स, सर्टिफिकिट्स, अकाउंट्स आदि में नए नाम के अनुसार परिवर्तन करवाने की बात है तो इसके लिए कुछ रूल्स व रेग्यूलेशन का पालन करना पड़ता है। नाम बदलने के लिए व्यक्ति को इस संबंध में 'एफिडेविट' के साथ-साथ किन्हीं दो नेशनल न्यूज पेपर्स में अपनी डिटेल्स देते हुए इस बात की जानकारी देनी पड़ती है।
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