उड़ान पर महिला वर्चस्व
समय के साथ-साथ या यूँ कह लें कि समय ने जब से साथ दिया तब से 'महिला' ये शब्द विवशता, भेदभाव और अत्याचार जैसी कई लड़ाइयाँ लड़ते हुए इतिहास और भविष्य कि उस पंक्ति में आ खड़ा हुआ है जहाँ से सिर्फ सफलता, गौरव और ऊँचाई की इबारत लिखी जा सकती है।
भारत समेत विश्व की अनगिनत महिलाओं ने अपने पुरषार्थ और साहस के बल पर 'अबला नारी हाय तुम्हारी यही कहानी...' इस पंक्ति को सिरे से खारिज कर दिया है, फिर वो चाहे आतंकियों से लोहा लेने वाली रुखसाना कौसर हो या अंतरिक्ष में भारतीय परचम लहराने वाली कल्पना चावला।
लेकिन इस बार महिला दिवस पर जिस महिला को नमन करने का मन करता है वो हैं दुनिया के सबसे जांबाज लड़ाकू विमान ‘सुखोई-30 एमकेआई’ की मेन डॉमिनेटेड (पुरुष वर्चस्व वाली) कॉकपिट पर कब्जा जमाने वाली भारतीय वायुसेवा की कमीशंड ऑफिसर सुमन शर्मा।
भारत की सुमन शर्मा ने रूस में हाल ही में सम्पन्न इंटरनेशन एयर शो में सुखोई लड़ाकू विमान में उड़ान भरकर इतिहास रच दिया। अब तक के पुरूष वर्चस्व वाले सुखोई-30 में उड़ान भरकर वे सुखोई फाइटर जेट में उड़ान भरने वाली विश्व की प्रथम महिला बन गई हैं।
सुखोई विमान भारतीय वायु सेना में 12 साल से है और रूस की वायु सेना का भी यह फर्स्ट लाइन एयरक्राफ्ट है लेकिन यह पहला मौका था जब कोई फीमेल इसकी कॉकपिट में बैठी।
सुमन शर्मा वही हैं जिन्होंने इस साल के ‘एयरो इंडिया’ में अमेरिकी लड़ाकू विमान ‘एफ-16’ और रूसी विमान ‘मिग-35’ में उड़ान भरने का कीर्तिमान बनाया था। लेकिन ‘सुखोई-30 एमकेआई’ असैनिकों की उड़ान अभी तक उनका ड्रीम ही बना हुआ था। दुनियाभर के पायलट सुखोई में उड़ान भरने की हसरत रखते हैं लेकिन एक इंडियन लेडी को सुखोई डिजाइन ब्यूरो ने यह कीर्तिमान बनाने का अवसर दिया।
सुमन की यह उड़ान मॉस्को से करीब 40 किलोमीटर जुकोव्स्की से हुई और सुखोई डिजाइन ब्यूरो के टेस्ट पायलट यूरी वास्चुक ने इस भारतीय युवती का सपना साकार किया।
बचपन26 अगस्त 1980 को जामनगर, गुजरात में जन्मी सुमन शर्मा की उनकी स्कूली शिक्षा दिल्ली नेवल पब्लिक स्कूल और विश्वविद्यालयीन शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय में हुई। नेवी ऑफिसर की बेटी और आर्मी कोलोनल की बहन होने के कारण उनका बचपन बहुत अनुशासित माहौल में बीता। सुमन बताती हैं कि 'मेरी माँ हमेशा मेरे आहार का ध्यान रखती थी। उन्होंने ही मुझे प्रणायाम और ध्यान करना सिखाया और पापा ने मुझे योगा सिखाया।
मेरा भाई मुझे हमेशा जोगिंग, स्पोर्ट्स और फिटनेस पर फोकस करने के लिए कहा करता था। मेरे भाई द्वारा दी गई ट्रेनिंग से मुझे एयर शो के दौरान भरी गई उड़ान में काफी मदद मिली।' खेलों में शुरू से सुमन की रुचि थी और स्कूल के दिनों में वे कई गेम्स में पार्टिसिपेट किया करती थीं।
शिक्षा और पद स्थापना
सुमन शर्मा ने अंग्रेजी साहित्य में एमफिल करने के साथ-साथ जर्नलिज्म, पब्लिक रिलेशन और मार्केटिंग में डिप्लोमा भी किया है। सर्विस सिलेक्शन बोर्ड के जरिए उनका सिलेक्शन इंडियन आर्मी में ऑफिसर पद के लिए हुआ। नौकरी के लिए उनका चयन मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस द्वारा इंडियन मिलिट्री एकेडमी के लिए किया गया। इंडियन मिलिट्री एकेडमी, देहरादून में दो साल रही हैं।
सुमन की रुचियाँ
सुमन की रुचि मिलिट्री के इतिहास और एनिमल वेलफेयर में है। फुर्सत के पलों में उन्हें डिफेंस संबंधी सामग्री पढ़ना, मूवीज देखना, लेपटॉप पर फाइटर प्लेन उड़ाना, कोल्ड कॉफी पीना और दोस्तों व फैमिली के साथ वक्त बिताना पसंद है। डांसिंग और फिटनेस भी उनके खास शौकों में है।
30 वर्षीय सुमन शर्मा फिलहाल देहरादून में इंडियन मिलिट्री एकेडेमी में फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर के पद पर पदस्थ हैं। सुमन शर्मा रिटायर्ड नेवी ऑफिसर एच पी शर्मा की बेटी और आर्मी कोलोनल राजेश शर्मा की बहन हैं।
सुमन शर्मा भविष्य में हर तरह के एयरक्राफ्ट उड़ाने की ख्वाहिश रखती हैं। उनका कहना है कि फायटर पायलट बनना कोई मुश्किल काम नहीं है, अच्छी एकेडेमिक क्वालिफिकेशन और साइंस बैकग्राउंड की कोई भी लड़की यह कर सकती है।
साहस और समर्पण दो ऐसे गुण हैं जो किसी को भी व्यक्ति से व्यक्तित्व बना देते हैं। निश्चित रूप से सुमन शर्मा की साहस के बल पर अर्जित की गई ये उपलब्धि पूरे देश की उपलब्धि है और संपूर्ण भारत को उन पर गर्व है। आज वो संपूर्ण महिला जाति के लिए एक मिसाल बनकर उभरी हैं।
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