अनाम रिश्ता बेनाम उलझनें
हेलो दोस्तो! आपसे जुड़े ज्यादातर रिश्ते ऐसे होते हैं जिनको आप किसी न किसी नाम से पुकारते हैं। उन रिश्तों के बारे में सोचने की आपको जरूरत ही नहीं पड़ती है। उनके प्रति आपका फर्ज एवं अधिकार मानो जन्म से ही समझा दिया गया होता है इसीलिए बिना किसी विचार-विमर्श के सहजता से आप उसे निभाते चले जाते हैं। करीबी रिश्तेदार, दूर के रिश्तेदार इन सबकी भी एक श्रेणी बन जाती है। आप अपनी सुविधा और पसंद के अनुसार उनके साथ भी तालमेल बिठा लेते हैं।
इसी प्रकार दोस्तों की भी कई श्रेणियाँ होती हैं, वर्ग होते हैं। कुछ ऐसे होते हैं जिनसे आप हमेशा मिलते हैं पर उनसे आपका अपनापन नहीं होता है। कुछ ऐसे होते हैं जो आपका दुख-दर्द सुन तो लेते हैं पर उससे ज्यादा वे और कुछ नहीं करते। एक या दो दोस्त ऐसे होते हैं जिनसे आपकी महीनों बात नहीं होती पर मुसीबत में आप उन्हें फोन करते हैं और आपकी बातों और आवाज से उन्हें लगता है कि आपको उनकी हमदर्दी की जरूरत है। वह आपसे परेशानी पूछते हैं, आपको दिलासा देते हैं और उनसे कुछ बन पड़ता है तो वे आपके लिए करते भी हैं।
पर, कई बार आप एक विचित्र से रिश्ते में पड़ जाते हैं। न तो उसका कोई नाम होता है और न ही आपको यह पता होता है कि आपका उस व्यक्ति पर कितना अधिकार है। इतना ही नहीं, आपका उस व्यक्ति के प्रति क्या कर्तव्य होना चाहिए यह भी आप नहीं समझ पाते हैं। कभी आप उससे हफ्तों नहीं मिलते और जब मिलते हैं तो खूब अधिकार से झगड़ा करते हैं। आपकी यही ख्वाहिश होती है कि आपको वह मनाए, आपकी सारी शिकायतों पर माफी माँगे, कान पकड़े और सारी गलतियों को सर आँखों पर ले।
उनसे फूलों का उपहार लेना और घंटों बैठकर गप्पें लगाना आदि आपको दिल व जान से प्यारा होता है। इन सबके बावजूद आप उस रिश्ते को वहीं तक ठहरा देते हैं, उसे कोई नाम नहीं देते और उसके स्थायित्व पर भी प्रश्नचिह्न लगा रहता है पर ऐसे रिश्ते में मुश्किल यह होती है कि दूसरा पक्ष अपने बारे में कोई निर्णय नहीं कर पाता है और वह अपने भविष्य के बारे में कोई फैसला नहीं ले पाता है। यह दुविधा उसकी परेशानी का सबब बनती है।
इसी कशमकश में आज घिर गए हैं अरुण आहूजा (बदला हुआ नाम)। अरुण की एक दोस्त हैं। दोनों बातचीत में बेहद करीबी महसूस करते हैं पर अरुण की दोस्त अपनी ओर से पहल नहीं करतीं। यदि अरुण एक या दो सप्ताह तक बात न करें तो वह खोज-खबर नहीं लेतीं लेकिन अरुण द्वारा संपर्क करने पर उनसे खूब लड़ती-झगड़ती हैं, शिकायतों की झड़ी लगा देती हैं।
यह कहते हुए कि तोहफों पर पैसे क्यों खर्च करते हो, फूल और अन्य उपहार से खुश भी हो जाती हैं। पर यह पूछने पर कि इस रिश्ते का भविष्य क्या है ? क्या हमेशा साथ रहने के बारे में सोचा जा सकता है? तो अरुण की दोस्त का जवाब होता है, 'अभी इस रिश्ते में प्यार शामिल नहीं हुआ है। हम केवल दोस्त हैं।' अरुण की परेशानी यह है कि वह इस रिश्ते को समझ नहीं पा रहे हैं। इस रिश्ते पर अपना कितना समय लगाएँ या समय देना उचित है या नहीं यह उन्हें समझ में नहीं आ रहा है।
अरुण जी, आपकी दोस्त ने यूँ तो साफ लफ्जों में आपको कह दिया है कि वह केवल दोस्त हैं। प्यार उन्हें नहीं है इसलिए भविष्य के बारे में उनकी कोई योजना नहीं दिखती है फिर भी आप रिश्ते में जटिलता महसूस करते हैं। आप इसलिए परेशान हैं कि आप जो उनसे सुनना चाहते थे वह आप नहीं सुन पा रहे हैं। शायद आप अपनी दोस्त को प्यार करते हैं इसलिए उसको खुश करने का जतन करते हैं। यह बात तो साफ है कि आप दोस्त से ज्यादा उन्हें अपने जीवन में जगह देते हैं तभी उनका व्यवहार आपको विचलित किए रहता है।
आपकी दोस्त आपको प्यार नहीं करती बल्कि केवल दोस्त समझती है। यदि कहीं उनके भीतर प्यार की भावना है भी तो वह उसे अभी महसूस नहीं कर पा रही हैं। सच्चाई यह है कि उनकी नजर में आपके प्यार की कोई अहमियत नहीं है। आपको इस रिश्ते को केवल दोस्ती की श्रेणी में रखकर आगे बढ़ जाना चाहिए। साथ समय बिताना अच्छा लगता है तो समय बिताएँ पर उससे ज्यादा अपेक्षा न करें।
आप कुछ कदम ऐसा उठा सकते हैं जिससे आपकी दोस्त को इस रिश्ते को समझने में सहायता मिल सकती है। आपके प्रति उनके मन के भीतर क्या है वह समझ सकती है। आप उसे साफ तौर पर कह दें कि आप अपनी जीवनसाथी तलाश कर रहे हैं। यह बात आपकी ओर से गंभीरता से सामने आनी चाहिए। आप कोई तोहफा उन्हें अब नहीं दें। उन्हें संपर्क करने दें। एक माह तक संपर्क न करें।
यदि वह संपर्क नहीं करती हैं तो आप एक माह बाद यह बताएँ कि आप लंबे रिश्ते की तलाश में हैं इसीलिए समय नहीं मिला। जब उन्हें आपको खो देने का डर होगा तब वह गंभीरता से आपके बारे में विचार कर पाएँगी। रिश्ते को लेकर यह चिंतन व मंथन बेजा नहीं जाएगा। आप दोनों बेहतर तौर पर अपने भविष्य की योजना बना पाएँगे। इन सारी प्रक्रिया से गुजर कर आपकी दोस्ती भी अच्छी मजबूत हो जाएगी और भावनाओं के पैमाने का भी पता चल जाएगा।
मुझे जीने दो अपना मौसम
मेरी कोमल उड़ान को
नजर मत लगाओ।
ठंडी नशीली बयारों में
अपना आँचल लहराने दो मुझे।
भर लेने दो मेहँदी की खुशबू मुझे
अपनी सघन रेशमी जुल्फों में।
चूमने दो नाजुक एड़ियाँ
चमकीली पायल को।
मुझे अपना मौसम जीने दो।
कौन चाहती है भटकना, बहकना?
मुझे मिल जाए अगर
सच्चा प्यार।
सिर्फ मेरा प्यार।
तो क्या देंगे मुझे 'ब्रेकफास्ट' में
आजादी की 'ब्रेड' पर
विश्वास का 'बटर'
प्यार तो बस हो जाता है
प्यार करने वाले से पूछा गया कि प्यार क्या होता है? कैसा लगता है? तो उसका जवाब था कि प्यार गेहूँ की तरह बंद है, अगर पीस दें तो उजला हो जाएगा, पानी के साथ गूँथ लो तो लचीला हो जाएगा... बस यह लचीलापन ही प्यार है, लचीलापन पूरी तरह समर्पण से आता है, जहाँ न कोई सीमा है न शर्त। प्यार एक एहसास है, भावना है। प्रेम परंपराएँ तोड़ता है। प्यार त्याग व समरसता का नाम है।
प्रेम की अभिव्यक्ति सबसे पहले आंखों से होती है और फिर होंठ हाले दिल बयाँ करते हैं। और सबसे मज़ेदार बात यह होती है कि आपको प्यार कब, कैसे और कहाँ हो जाएगा आप खुद भी नहीं जान पाते। वो पहली नजर में भी हो सकता है और हो सकता है कि कई मुलाकातें भी आपके दिल में किसी के प्रति प्यार न जगा सकें।
प्रेम तीन स्तरों में प्रेमी के जीवन में आता है। चाहत, वासना और आसक्ति के रूप में। इन तीनों को पा लेना प्रेम को पूरी तरह से पा लेना है। इसके अलावा प्रेम से जुड़ी कुछ और बातें भी हैं -
प्रेम का दार्शनिक पक्ष-
प्रेम पनपता है तो अहंकार टूटता है। अहंकार टूटने से सत्य का जन्म होता है। यह स्थिति तो बहुत ऊपर की है, यदि हम प्रेम में श्रद्धा मिला लें तो प्रेम भक्ति बन जाता है, जो लोक-परलोक दोनों के लिए ही कल्याणकारी है। इसलिए गृहस्थ आश्रम श्रेष्ठ है, क्योंकि हमारे पास भक्ति का कवच है। जहाँ तक मीरा, सूफी संतों की बात है, उनका प्रेम अमृत है।
साथ ही अन्य तमाम रिश्तों की तरह ही प्रेम का भी वास्तविक पहलू ये है कि इसमें भी सामंजस्य बेहद जरूरी है। आप यदि बेतरतीबी से हारमोनियम के स्वर दबाएं तो कर्कश शोर ही सुनाई देगा, वहीं यदि क्रमबद्ध दबाएं तो मधुर संगीत गूंजेगा। यही समरसता प्यार है, जिसके लिए सामंजस्य बेहद ज़रूरी है।
प्रेम का पौराणिक पक्ष-
प्रेम के पौराणिक पक्ष को लेकर पहला सवाल यही दिमाग में आता है कि प्रेम किस धरातल पर उपजा-वासना या फिर चाहत....? माना प्रेम में काम का महत्वपूर्ण स्थान है, लेकिन महज वासना के दम पर उपजे प्रेम का अंत तलाक ही होता है। जबकि चाहत के रंगों में रंगा प्यार जिंदगीभर बहार बन दिलों में खिलता है, जिसकी महक उम्रभर आपके साथ होती है।
प्रेम का वर्जित क्षेत्र-
सामान्यतः समाज में विवाह के बाद प्रेम संबंध की अनुमति है। दूध के रिश्ते का निर्वाह तो सभी करते हैं, इसके अलावा निकट के सभी रक्त संबंध भी वर्जित क्षेत्र माने जाते हैं, जैसे- चचेरे, ममेरे, मौसेरे, फुफेरे भाई-बहन या मित्र की बहन या पत्नी आदि। किसी बुजुर्ग का किसी किशोरी से प्रेम संबंध भी व्याभिचार की श्रेणी में आता है। ऐसा इसलिए भी है कि एक सामाजिक प्राणी होने के नाते नियमों की रक्षा करना हमारा कर्त्तव्य भी है।
आई लव यू, स्वीट हार्ट
आपसे कुछ कदमों की दूरी पर वह लड़की खड़ी है, जिसे आप प्यार करते हैं, लेकिन परेशानी यह है कि आप अब तक उसे अपने दिल की बात नहीं बता सकते। वह दूर खड़ी अपने सर्कल में बातें कर रही है, लेकिन वह जानती नहीं कि आप उसे देख रहे हैं और आपकी दिल की धड़कन तेज हो रही है।
यह समस्या लगभग हर दूसरे प्रेमी की है, कि वह किसी लड़की से मन ही मन प्यार तो कर लेता है, लेकिन इजहार-ए-मुहब्बत की हिम्मत नहीं जुटा पाता। आइए हम आपको बता रहे हैं कि किसी लड़की के दिल में जगह किस तरह बनाई जाए, उसे अपनी मुहब्बत में कैसे गिरफ्तार किया जाए।
सबसे पहले आप अपने मन में सोच लीजिए कि आप दस लड़कियों को प्रेम प्रस्ताव देने जा रहे हैं और उन दस लड़कियों मे से केवल दो ही आप के प्रस्ताव को स्वीकार करेंगी, शेष आठ लड़कियाँ प्रस्ताव ठुकरा देंगी। इस तरह सोचने से आप मानसिक रूप से खुद को तैयार कर पाएँगे और हौसला भी बढ़ेगा।
खुद में इतना विश्वास पैदा कीजिए कि आपको किसी और सहारे कि जरूरत न पड़े। याद रखिए अगर आप अपनी मदद नहीं कर सकते तो दुनिया में कौन है जो आप कि मदद कर सकता है। अधिक से अधिक यही होगा कि वह मना कर देगी, लेकिन आपको इस बात का संतोष तो रहेगा कि कम से कम आपने कोशिश तो की।
जाइए और लड़की से स्वयं बात कीजिए, अगर आप पहल नहीं करेंगे तो कोई और बाजी मार ले जाएगा, वक्त किसी के लिए नहीं रुकता। आप के बात करने के दो परिणाम होंगे पहला यह कि वह लड़की आपका प्रस्ताव ठुकरा दे, लेकिन इससे कम से कम ये तो पता चल जाएगा कि वह चाहती क्या है? और आप उस लड़की के दिल में हलचल भी मचा देंगे।
दूसरा परिणाम यह कि वह कोई जवाब ही न दे, इसका मतलब यह है कि वह सोचने के लिए वक्त चाहती है और ये आपकी जीत की निशानी है। तो देर किस बात की, जाइए और कह दीजिए दिल की बात और डूब जाइए रोमांस में।
प्रेम में बंधन नहीं है
प्रेम में बंधन नहीं है
तुम उसे अहसास के,
नन्हें सजीले
पंख देकर मुक्त कर दो।
वह उड़ेगा,
क्षण भर उड़ेगा
और फिर से लौटकर
स्नेह के बंधन तुम्हारे,
चूम लेगा।
देह के लघु खंड तो,
क्षण की शिला हैं,
छू नहीं सकते, स्थिर हैं,
वे तुम्हारे प्रेम की नवसर्जना में
गदगद करेंगे,
मूक अभिनंदन करेंगे।
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