दुल्हन 25, दूल्हा 21 भी कबूल है
करियर ओरिएंटेड युवाओं के विवाह में उम्र का अंतर धीरे-धीरे घट रहा है। कई बार तो यूँ भी होता है कि उम्र के मामले में हमारी पारंपरिक मान्यताएँ आड़े आ जाती हैं और मामला बनते-बनते बिगड़ जाता है।
लड़कियों के भी करियर को लेकर गंभीर होने से कई बार मनपंसद रिश्तों में लड़के-लड़की की उम्र का अंतर न के बराबर होता है, तो कई बार ऐसा भी होता है कि लड़की की उम्र लड़के से ज्यादा होती है। ऐसे में उम्र के थोड़े-बहुत अंतर को ज्यादा तूल नहीं दिया जाए तो बेहतर है।
वैशाली एमसीए कर पूना की एक कंपनी में काम कर रही है। परिजनों ने उसकी शादी के लिए अखबार में वैवाहिक विज्ञापन प्रकाशित कराया। कई प्रस्ताव आए। उन्हें एक लड़के का बायोडाटा पसंद आया, जो एमसीए, एमबीए था व पूना की ही एक कंपनी में ऊँचे पद पर कार्यरत है।
हर दृष्टि से वह लड़का वैशाली के लिए उपयुक्त है। लेकिन जब जन्म तारीख देखी तो वह उम्र में उससे तीन महीने छोटा था। परिजन मन मसोसने लगे कि मात्र तीन महीने के अंतर से इतना अच्छा संबंध हाथ से निकल रहा है।
इसी बीच किसी काम से वैशाली के पिता हमारे घर आए। बातों ही बातों में मैंने जब पूछा, 'आपने वैशाली के रिश्ते के लिए अखबार में इश्तेहार दिया था, कोई रिस्पांस मिला या नहीं?' इस पर उन्होंने अपनी दुविधा बताई। हमने उनसे कहा, 'आज के युग में उम्र का बंधन कोई मायने नहीं रखता। यदि सब कुछ ठीक है तो छोटी उम्र के लड़के से शादी करने में भी क्या बुराई है?'
इस पर वे बोले- 'क्या सामने वाला अपने से बड़ी उम्र की लड़की से शादी करने को तैयार होगा?'
हमने कहा, 'बात करके देखते हैं।'
बात की तो वे और उसके परिजन तैयार हो गए। अब बारी वैशाली को समझाने की थी। वह भी इसके लिए तैयार हो गई। पिछले दिनों दोनों का धूमधाम से विवाह हुआ और वे अब हनीमून पर हैं।
वैशाली के पति और उनके परिजनों की भाँति कितने लोग सोचते हैं? अधिकांश प्रकरणों में बायोडाटा में यदि लड़के से लड़की बड़ी होती है तो न लड़की वाला आगे पहल करता है और न लड़के वाले। और बात वहीं समाप्त हो जाती है। पर इस अच्छे रिश्ते के छूट जाने का अफसोस दोनों पक्षों को होता है। काश! यदि दोनों पक्ष खुले दिमाग से सोचें तो उन्हें पछताना नहीं पड़ेगा।
एक समय था जब परिजन अपनी लड़की की शादी के लिए ऐसे वर की तलाश करते थे, जो उम्र में उससे पाँच-सात साल तक बड़ा हो। फिर यह अंतर दो से चार साल के बीच रह गया। समय के साथ लोगों की सोच बदली और बराबर की उम्र के लड़के-लड़कियों के बीच वैवाहिक संबंध होने लगे। लेकिन आज ऐसे लड़के-लड़कियों की भी शादी होने लगी है जिसमें लड़की, लड़के से उम्र में बड़ी है। यह अंतर कुछ महीनों से लेकर कुछ वर्षों तक का हो सकता है।
आज जब कोई अभिभावक अपने बेटे या बेटी के लिए वर-वधू तलाशता है तो उसका ध्यान उम्र की बजाए उनकी पढ़ाई-लिखाई, पारिवारिक हैसियत, रंग-रूप और आचार-विचार पर अधिक होता है। अब शादी में उम्र आड़े नहीं आती। यदि लड़की, लड़के से थोड़ी बड़ी है, पर बाकी सब बातें पसंदीदा या अनुकूल हैं तो संबंध तय होने लगे हैं। ये संबंध अपवादस्वरूप नहीं, आमतौर पर होने लगे हैं और इसमें कोई बुराई भी नहीं है।
दुनिया में ऐसे एक नहीं अनेक उदाहरण हैं, जहाँ आयोजित विवाह हुआ है। पत्नी अपने पति से उम्र में बड़ी और उनका दांपत्य जीवन खुशियों से भरपूर है।
आज लड़का व लड़की दोनों पहले अपना करियर बनाते हैं फिर शादी की सोचते हैं। ऐसी परिस्थिति में यह जरूरी नहीं कि लड़की को उससे बड़ी उम्र का लड़का ही मिले और यदि मिले तो वह अन्य सभी दृष्टि से उपयुक्त हो। इसी प्रकार यदि लड़के वाले भी अपने लड़के के लिए उससे छोटी उम्र की लड़की ढूँढने निकलें तो मिलेगी किंतु मनमाफिक नहीं यानी समझौता दोनों पक्षों को करना होगा। जब समझौता ही करना है तो उम्र पर करना बुद्धिमानी है, क्योंकि बाकी सारी बातें तो मेल खाती ही हैं।
जब लड़के के बड़ा होने में कोई हर्ज नहीं तो लड़की के बड़ा होने पर क्यों फर्क होना चाहिए? कई बार अच्छे रिश्ते इसलिए छूट जाते हैं कि लड़की उम्र में लड़के से दो माह बड़ी है। अब आप ही सोचिए, क्या इस वजह से रिश्ता नकार देना बुद्धिमानी होगी?
पति-पत्नी के बीच जब तक उम्र में बहुत अधिक अंतर न हो, तब तक उनके दांपत्य में कोई बाधा या परेशानी नहीं होती। यदि परेशानी होती भी है तो वह मनोवैज्ञानिक होती है। लड़का सोचता है कि लड़की मुझसे बड़ी है और लड़की सोचती है लड़का उम्र में मुझसे छोटा है। पर यदि इस सचाई को स्वीकार करते हुए दोनों वैवाहिक बंधन में बँधते हैं तो उन्हें यह परेशानी नहीं होगी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें