पावर ही नहीं टाइमिंग भी जरूरी
सुनील गावस्कर
गत चैंपियन डक्कन चार्जर्स अभी तक अपनी पिछले साल वाली फार्म हासिल नहीं कर पाई है। टूर्नामेंट का उद्घाटन मैच वह जीतते-जीतते हार गए। 50 ओवरों में मैच में कुछ खिलाडि़यों को यह समझने में थोड़ी देर लगी कि यह सिर्फ बडे़ शाट का खेल नहीं है। शुरू में धीमी शुरुआत कर बाद में अगर विकेट हाथ में हो, तो बड़ा स्कोर खड़ा किया जा सकता है। श्रीलंका ने यह परंपरा तोड़ी और पहले 15 ओवरों में ज्यादा से ज्यादा रन बनाए। वर्तमान में हर टीम ऐसा कर रही है।
ट्वंटी-20 में भी किसी भी के लिए पहली ही गेंद से शाट मारना मुश्किल काम है। खासतौर से जब विपक्षी टीम ने बड़ा स्कोर खड़ा किया हो। दस रन प्रति ओवर से अधिक के लक्ष्य का पीछा करते हुए टीम को एक एंकर की जरूरत होती है, जिसके इर्द-गिर्द दूसरे बल्लेबाज अपने चौके-छक्के लगाएं। बेंगलूर रॉयल चैलेंजर्स की शानदार जीत में कालिस ने ठीक ऐसा ही काम किया। पहले उसने एक छोर संभाले रखा और फिर बाद में चारों ओर शाट लगाकर मैच जल्द ही निबटा दिया।
डक्कन चार्जर्स का बल्लेबाजी क्रम शानदार है। जिस टीम में गिलक्रिस्ट, गिब्स, सायमंड्स और रोहित शर्मा जैसे बल्लेबाज हों, उसके नाम से ही डर लग सकता है। मगर दुर्भाग्य से ये सभी गेंद को कुछ ज्यादा ही जोर से हिट करने की कोशिश कर रहे हैं। छक्के मारने के लिए हमेशा पावर नहीं चाहिए बल्कि टाइमिंग से भी यह काम बखूबी किया जा सकता है। यूसुफ पठान छक्के मारने में बिल्कुल जोर नहीं लगाते, बल्कि बेहद आसानी से वह कत्लेआम मचा देते हैं।
किंग्स इलेवन पंजाब को डक्कन के खिलाफ सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा। पिछले मैच में 200 रन बनाने के बावजूद हार को उन्हें भुलाना होगा। उन्हें युवराज से अच्छे स्कोर की उम्मीद है, जो कलाई की चोट से ज्यादा कप्तानी से हटाए जाने से आहत हैं। वह किसी भी आक्रमण की धज्जियां उड़ा सकता है। मनविंदर बिसला और रवि बोपारा भी शानदार फार्म में हैं। दोनों के लिए इस मैच में जीतना बेहद जरूरी है क्योंकि हार सेमीफाइनल का रास्ता मुश्किल बना सकती है। बढ़ती गर्मी भी खिलाडि़यों के लिए परेशानी का सबब बन सकती है।
जीत के लिए दो पेसर व एक स्पिनर जरूरी
रवि शास्त्री
एक कहावत है कि गेंदबाज मैच जिताते हैं। आईपीएल-तीन में यह कहावत बिल्कुल सही साबित होती दिख रही है। दो टीमों ने अलग-अलग मैचों में दो सौ से ज्यादा का स्कोर किया, बावजूद इसके ये टीमें मैच जीतने में असफल रहीं। राजस्थान रॉयल्स और किंग्स इलेवन पंजाब को उनके गेंदबाजों ने बहुत निराश किया।
मुंबई इंडियंस के खिलाफ रॉयल्स की टीम लक्ष्य तक पहुंच रही थी। यूसुफ पठान जिस कातिलाना अंदाज में बल्लेबाजी कर रहे थे उससे देखते हुए लग रहा था कि मैच का परिणाम रॉयल्स के पक्ष में होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दूसरे मैच में किंग्स इलेवन पंजाब ने रॉयल चैलेंजर्स को दो सौ से अधिक का लक्ष्य दिया। इसके बाद भी किंग्स इलेवन के गेंदबाज अपनी टीम को जीत नहीं दिला सके। मेरा मानना है कि मैच जीतने के लिए दो अच्छे शुरुआती तेज गेंदबाज और एक योग्य स्पिनर बहुत जरूरी है। रॉयल्स के खिलाफ मैच में इरफान और श्रीसंथ दोनों ने ही अपनी टीम को दुख ही पहुंचाया। शान टैट और दिमित्री मस्केरेंहास भी बहुत प्रभावित नहीं कर पाए। शेन वार्न भी बूढ़ा शेर साबित हुए। इस आईपीएल में दिल्ली डेयरडेविल्स डर्क नानेंस, फरवीज महरूफ और अमित मिश्रा, कोलकाता नाइटराइडर्स शेन बांड, ईशांत शर्मा और मुरली कार्तिक, मुंबई इंडियंस जहीर खान, लसिथ मलिंगा और हरभजन सिंह के साथ बेहतर प्रदर्शन कर रही है। डक्कन चार्जर्स की टीम भी चामिंडा वास, आरपी सिंह व प्रज्ञान ओझा के साथ लगातार ऊपर उठ रही है।
बेंगलूर रॉयल चैलेंजर्स भी प्रवीण कुमार, डेल स्टेन, जैक्स कालिस और अनिल कुंबले के साथ धीरे-धीरे फार्म में आ रही है। मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि इतने बड़े स्कोर के बाद भी राजस्थान रॉयल्स और किंग्स इलेवन पंजाब का मैच में पराजित हो जाना दोनों के लिए बड़ी शर्म की बात है। दोनों टीमों के बल्लेबाजों ने अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन टीम जीत नहीं सकी। यह सही है कि किंग्स इलेवन को ब्रेट ली की कमी खली, लेकिन श्रीसंथ ने बिल्कुल अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई। इसी तरह इरफान पठान और मुनाफ पटेल भी इन दिनों अच्छी फार्म में चल रहे हैं, लेकिन रॉयल्स के लिए बेहतर प्रदर्शन करने में नाकामयाब रहे।
लय बरकरार रखना अहम
अनिल कुंबले
मंगलवार के मैच में एक चीज दिखाई दी कि इस मुकाबले में यह महत्व नहीं रखता कि आप फार्म में हैं या नहीं। इस मैच में जैक्स कालिस ने हमारे लिए वही किया जो पूर्व में राहुल द्रविड़ भारत के लिए कर चुके हैं। कालिस और राहुल जैसे खिलाड़ी विशुद्ध गुणवत्ता वाले होते हैं। वह टीम के ऊपर बढ़ रहे दबाव को समाप्त करने में सफल होते हैं और सामान्यता प्रेशर कूकर वाली स्थिति बनाने में कामयाब होते हैं।
मंगलवार का दिन अनिश्चितता से भी भरा था। ऐसे विकेट जिस पर रन आसानी से बन रहे हों, तब मैच जीतना और मुश्किल हो जाता है। एक कप्तान और एक गेंदबाज होने के नाते मैं कह सकता हूं कि हमने अच्छी गेंदबाजी की लेकिन हमने बहुत से मौके गंवाए भी। विकेट अच्छी स्थिति में था और बल्लेबाजों ने इसका भरपूर फायदा उठाया। अच्छी चीज यह है कि हम यहां पर मैच जीतने में सफल रहे। मैं सोचता हूं कि हमने 25-30 रन ज्यादा दिए, लेकिन अपने लक्ष्य के प्रति हमारी प्रतिबद्धता ने हमें 19 ओवर में ही विजेता बना दिया। कहना गलत न होगा कि 19वां ओवर बहुत महत्वपूर्ण था। यह बहुत ही अच्छा रहा कि जैक्स कालिस ने मैच पर पूरा नियंत्रण कर लिया।
मनीष पांडेय ने भी कालिस को महत्वपूर्ण सहयोग दिया। अच्छी शुरुआत के लिए यह हमेशा जरूरी होता है। जिस प्रकार राबिन उथप्पा ने खेला वह वाकई असाधारण था। डगआउट में बैठा मैं मार्क बाउचर से कह रहा था कि हमें जिस पारी की तलाश थी वह यही है। उथप्पा के 20 गेंदों में बनाए गए पचास रनों ने मैच में हमें बहुत आगे खड़ा कर दिया। अब हम राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ अगले मैच के बारे में सोच रहे हैं। उनकी टीम चोटिल खिलाडि़यों से परेशान है लेकिन हम अपनी लय बरकरार रखने की पूरी कोशिश करेंगे। व्यक्तिगत मेरे लिए यह सुखद है कि मेरी चोट ठीक है। मैं खेलने के लिए बिल्कुल फिट हूं और अपनी टीम को जिताना चाहता हूं।
गिल्लियां नहीं गेंद उड़ते देखना चाहते हैं दर्शक
सुनील गावस्कर
डीएलएफ आईपीएल भारत में लौट आया है और इसे लेकर रोमांच पूरे देश में देखा जा सकता है। खिताब जीतने के लिए टीमों ने भी तैयारियां करनी शुरू कर दी हैं। क्रिकेट का यह प्रारूप इतना तेज है कि खिलाड़ी तो छोडि़ए दर्शकों को भी नजरें हिलाने का समय नहीं मिल पाता है। सच्चाई भी यही है कि ट्वंटी-20 क्रिकेट बल्लेबाजों का खेल है और दर्शक गिल्लियों से ज्यादा गेंद को उड़ते देखना चाहते हैं।
मैदान पर क्रिकेट के अलावा ध्यान भटकाने वाली बहुत सी चीजें मौजूद रहती हैं, लेकिन क्रिकेट फिर भी हमेशा ही बादशाह रहता है। इस प्रारूप के कारण टेस्ट और वनडे क्रिकेट भी आकर्षक हो गया है और उसे अधिक दर्शक मिलने लगे हैं। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय खिलाडि़यों को करीब लाने का काम भी इस टूर्नामेंट ने बखूबी किया है। आईपीएल के शुरू होने के बाद टेस्ट और वनडे क्रिकेट मैचों में खिलाडि़यों की लड़ाई करने की घटनाएं कम हुई हैं और जो घटनाएं भी हो रही हैं, उनमें आईपीएल में न खेलने वाले खिलाड़ी अधिक शामिल हैं।
आईपीएल मैचों में टाइम आउट ने खिलाडि़यों को बाकी बचे ओवरों के लिए योजना बनाने का समय दे दिया है। दोनों ही टीमें इस जरिए अपनी गलतियों में सुधार कर सकती हैं। इस प्रारूप में पासा पलटने के लिए बस कुछ ही गेंदों की जरूरत पड़ती है, इसलिए यहां योजनाओं के लिए कम ही जगह है। जो टीम मैदान पर ज्यादा फिट नजर आएगी और अच्छी फील्डिंग करेगी, उसका पलड़ा भारी रहेगा। आईपीएल के पहले संस्करण में डक्कन चार्जर्स और रायल चैलेंजर्स आखिरी दो पर कायम थे, मगर दूसरे संस्करण में दोनों टीमें फाइनल में थी। कोलकाता नाइटराइडर्स के लिए यह प्रेरणा बन सकती है।
मुंबई इंडियंस का भविष्य शानदार फार्म में चल रहे कप्तान सचिन तेंदुलकर पर निर्भर करेगा। निश्चित रूप से वे टी-20 क्रिकेट में भी अपना पहला शतक जड़ना चाहेंगे। सचिन-जयसूर्या के अलावा कीरेन पोलार्ड भी टीम के लिए कामयाब साबित हो सकते हैं। अगर यह टीम टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा छक्के मारने का रिकार्ड बनाती है, तो हैरानी नहीं होनी चाहिए। दक्षिण अफ्रीका में पिच गेंदबाज और बल्लेबाज दोनों के लिए मददगार थी, लेकिन भारत में सपाट पिचों पर गेंदबाजों का काम परेशानी भरा होगा। दर्शकों को अधिक चौके छक्के देखने को मिलेंगे। भारत में यह सत्र का अंतिम समय चल रहा है, पिच सूखी है, जिससे तेज गेंदबाजों को नई गेंद के साथ संघर्ष करना करना पड़ सकता है, लेकिन स्पिनर अपना कमाल दिखा सकते हैं।
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